अंबाला: हरियाणा सरकार किसानों की फसल का एक-एक दाना खरीदने के दावा करती है. हाल ही में सीएम मनोहर लाल ने भी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि किसानों और आढ़तियों की पेमेंट का भुगतान दिवाली से पहले हर हाल में किया जाए, लेकिन इन दावों की जमीनी हकीकत अंबाला में देखी जा सकती है. जहां किसानों और आढ़तियों का करीब 505 करोड़ का भुगतान सरकार पर बकाया है.
डीएफएससी विभाग के सुपरिटेंडेंट संजीव कुमार कुंडू ने बताया कि इस बार अंबाला में 64 लाख क्विंटल से ज्यादा धान की खरीदारी हुई है. यानी 1211 करोड रुपये की खरीदारी डीएफएससी, हैफेड और हरियाणा वेयरहाउस कॉरपोरेशन की ओर से की गई है. जिसमें से 707 करोड़ रुपयों का भुगतान किसानों और आढ़तियों के खातों में किया जा चुका है और 505 करोड़ का भुगतान होना अभी बाकी है.
संजीव कुमार कुंडू ने बताया कि इस बार ई-खरीद पोर्टल के अलावा हरियाणा वैलनेस सेंटर पोर्टल यानी (HWC) भी सरकार की ओर से बनाया गया है, जिसमें तकनीकी परेशानियां आ रही है. जिसकी वजह से भुगतान करने में देरी हो रही है.
जब इस बारे में किसानों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि सरकार ने 72 घंटे में पेमेंट करने वादा किया था, लेकिन 1 महीने बाद भी उनकी पेमेंट नहीं हो रही है. जिस वजह से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. किसानों ने कहा कि उनकी अगली फसल लगाने का वक्त है, लेकिन जब पिछली फसल के पैसे नहीं मिलेंगे तो वैसे कैसे अगली फसल तैयार कर सकेंगे.
भुगतान नहीं होने से आढ़ती भी परेशान
भुगतान नहीं होने से एक तरफ जहां किसान परेशान हैं तो वहीं दूसरी तरफ आढ़ियों का हाल भी बुरा है. अंबाला आढ़ती एसोसिएशन के अध्यक्ष दुनीचंद ने कहा कि सरकार ने छोटी रकम का भुगतान तो कर दिया है, लेकिन बड़ी रकम अब भी अटकी पड़ी है. जिस वजह से वो मजदूरों को दिहाड़ी नहीं दे पा रहे हैं.
मजदूरों की दिहाड़ी भी अटकी
वहीं मंडियों में मजदूरी करने वाले प्रवासी मजदूरों ने भी सरकार को जमकर कोसा. उन्होंने कहा कि 2 महीने से उन्हें वेतन नहीं मिला है. आढ़ती भुगतान नहीं होने का हवाला देकर उन्हें वापस भेज देते हैं.
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भुगतान नहीं होने की सबसे बड़ी वजह ई-खरीद पोर्टल में आ रही तकनीकी दिक्कतों को माना जा रहा है. खैर कारण जो भी हो लेकिन सच्चाई ये है कि अंबाला में किसानों और आढ़तियों की 505 करोड़ की पेमेंट सरकार पर बकाया है. जिसका निपटारा जल्द से जल्द सरकार को करना चाहिए, क्योंकि जब ये पेमेंट किसानों के खाते में आएगी तब कहीं जाकर किसान अपनी अगली फसल लगाने की तैयारी करेगा.