अंबाला: मेरा पानी-मेरी विरासत योजना को लेकर जिले में कृषि विभाग की मेहनत रंग लाती दिख रही है. विभाग का दावा है कि जिले में किसान इस योजना का बढ़-चढ़ कर फायदा उठा रहे हैं. कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर गिरीश नागपाल का कहना है कि अंबाला में अभी तक 6 हजार 971 एकड़ भूमि पर किसानों ने धान की बजाय मक्का, अरहर जैसी फसलों की खेती करना शुरू किया है.
इस बारे में कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर गिरीश नागपाल ने जानकारी दी कि हमने अंबाला जिले में लगभग छह हजार एकड़ भूमि पर धान की बजाय मक्का, अरहर जैसे फसलों की खेती करने का लक्ष्य निर्धारित किया था, लेकिन किसानों के रुझान को देखते हुए हम अभी तक तय लक्ष्य से ज्यादा भूमि पर धान की वैकल्पिक फसल की खेती की है.
हरियाणा के इन 8 डार्क जोन में किसानों ने धान छोड़कर अलग फसलें अपनाई-
- बाबैन में 413 किसानों ने 311 हेक्टेयर में धान छोड़कर मक्का, 2 किसानों ने 1.619 हेक्टेयर में दालों, 495 किसानों ने 340 हेक्टेयर में धान छोड़कर बागवानी अपनाई है. इस तरह बाबैन में कुल 910 किसानों ने 653 हेक्टेयर में धान छोड़ी है.
- गुहला में 453 किसानों ने 415 हेक्टेयर में धान छोड़कर मक्का, 42 किसानों ने धान छोड़कर 40 हेक्टेयर में बाजरा, 3 किसानों ने 2 हेक्टेयर में कपास, 46 किसानों ने 29.340 हेक्टेयर में दाल, 288 किसानों ने 484 हेक्टेयर में धान छोड़कर बागवानी अपनाई है. इस तरह गुहला में कुल 832 किसानों ने 971.596 हेक्टेयर में धान छोड़ी है.
- इस्माइलाबाद में 243 किसानों ने 272 हेक्टेयर में धान छोड़कर मक्का, 2 किसानों ने धान छोड़कर 0.809 हेक्टेयर में बाजरा, 12 किसानों ने 13.914 हेक्टेयर में दाल, 233 किसानों ने 261 हेक्टेयर में धान छोड़कर बागवानी अपनाई है. इस तरह इस्माइलाबाद में 490 किसानों ने 549 हेक्टेयर में धान छोड़ी है.
- पीपली में 300 किसानों ने 229 हेक्टेयर में धान छोड़कर मक्का, 9 किसानों ने धान छोड़कर 3.508 हेक्टेयर में दालें, 418 किसानों ने 359 हेक्टेयर में बागवानी को अपनाया है. इस तरह पीपली में कुल 727 किसानों ने 591 हेक्टेयर में धान छोड़ी है.
- रतिया में 40 किसानों ने 26.990 हेक्टेयर में धान छोड़कर मक्का, 21 किसानों ने धान छोड़कर 10 हेक्टेयर में बाजरा, 797 किसानों ने 841 हेक्टेयर में कपास, 30 किसानों ने 20.590 हेक्टेयर में दाल, 351 किसानों ने 362 हेक्टेयर में धान छोड़कर बागवानी अपनाई है. इस तरह रतिया में कुल 1239 किसानों ने 1261 हेक्टेयर में धान छोड़ी है.
- शाहबाद में 215 किसानों ने 146.117 हेक्टेयर में धान छोड़कर मक्का, 7 किसानों ने धान छोड़कर 3.313 हेक्टेयर में बाजरा, 1 किसान ने 0.304 हेक्टेयर में दाले, 438 किसानों ने 315 हेक्टेयर में धान छोड़कर बागवानी अपनाई है इस तरह शाहाबाद में कुल 661 किसानों ने 465 हेक्टेयर में धान छोड़ी है.
- सिरसा में 147 किसानों ने 129 हेक्टेयर में धान छोड़कर मक्का, 68 किसानों ने धान छोड़कर 55 हेक्टेयर में बाजरा, 3002 किसानों ने 3612 हेक्टेयर में कपास, 205 किसानों ने 195 हेक्टेयर में दाल, 340 किसानों ने 297 हेक्टेयर में धान छोड़कर बागवानी अपनाई है. इस तरह सिरसा में कुल 3762 किसानों ने 4290 हेक्टेयर में धान छोड़ी है.
- सिवान में 242 किसानों ने 217 हेक्टेयर में धान छोड़कर मक्का, 3 किसानों ने धान छोड़कर 4.654 हेक्टेयर में बाजरा, 2 किसानों ने 5.66 हेक्टेयर में कपास, 7 किसानों ने 5.059 हेक्टेयर एकड़ में दाल, 157 किसानों ने 245 हेक्टेयर में धान छोड़कर बागवानी अपनाई है. इस तरह सिवान में कुल 411 किसानों ने 478 हेक्टेयर में धान छोड़ी है.
इन ब्लॉक के अलावा अंबाला, भिवानी, चरखीदादरी, फरीदाबाद, फतेहाबाद, गुरुग्राम, हिसार, झज्जर, जींद, कैथल, करनाल, कुरुक्षेत्र, महेंद्रगढ़, मेवात, पलवल, पंचकूला, पानीपत, रेवाड़ी, रोहतक, सिरसा, सोनीपत, यमुनानगर में भी किसानों ने धान छोड़कर अन्य फसलों को अपनाया है.
जानें क्या है मेरा पानी-मेरी विरासत योजना
गौरतलब है कि बीती 6 मई को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने चंडीगढ़ में 'मेरा पानी मेरी विरासत' योजना की शुरुआत की थी. हालांकि सरकार ने इस बार करीब 60 हजार हेक्टेयर भूमि पर किसानों से धान की पैदावार छोड़ने की उम्मीद की थी, लेकिन अब तक 84 हजार हेक्टेयर भूमि का रजिस्ट्रेशन मेरा पानी मेरी विरासत पोर्टल पर हो चुका है. विभाग को उम्मीद है कि ये आंकड़ा बढ़कर एक लाख तक भी जा सकता है.
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