अंबाला: कोरोना काल में हर तबका आर्थिक मंदी से जूझ रहा है. कुछ तबके ऐसे भी हैं जिनपर कोरोना की मार कुछ ज्यादा ही पड़ी है और वो हैं रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म्स पर काम कर रहे वेंडर्स. ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने जब इन वेंडर्स से बातचीत की तो पता चला कि वेंडर्स को दो जून की रोटी भी नसीब नहीं हो रही. रेलवे स्टेशन पर ज्यादातर दुकानें और रेहड़ियां बंद मिली. मजबूरन इन लोगों ने दिहाड़ी-मजदूरी करना शुरु कर दिया.
अंबाला छावनी रेलवे स्टेशन पर लगभग 500 से 600 वेंडर्स और हॉकर्स काम करते थे, लेकिन अब सिर्फ 200 वेंडर्स ही काम पर आ रहे हैं. अभी छोले-भटूरे, पकौड़े, समोसे बनाने पर प्रशासन ने रोक लगाई है. हॉकर्स यानी फेरीवाले को भी अब ट्रेन के डब्बों में चढ़ने की इजाजत नहीं है. जिस वजह से वो भूखे रहने को मजबूर हैं.
कोरोना के डर से ज्यादातर लोग अब कुछ भी खरीदने से बच रहे हैं. जिससे इन वेंडर्स को आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा है. वेंडर्स का कहना है कि उनके हालात बद से बदतर हैं, लेकिन कोई हमारी सुध लेने वाला नहीं है. वेंडर यूनियन के प्रधान सत्य प्रकाश ने ईटीवी भारत हरियाणा से बातचीत में बताया कि पहले 400 से 500 रुपये रोजाना कमाई होती थी. ये अब 100 से 150 रुपये रह गई है.
भले ही देश में अनलॉक का चौथा चरण जारी हो. लेकिन अभी तक इन वेंडर्स को कोई राहत नहीं मिली है. इन वेंडर्स ने ईटीवी भारत हरियामा के माध्यम से सरकार और प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है. ताकि इन्हें कुछ सहायता मिल सके और ये वेंडर्स बच्चों की फीस और घर का खर्च निकाल पाए.