अंबाला: आए दिन ऐसी बहुत सी खबरें सुनने को मिलती जिसमें कई लोग मानसिक तनाव के चलते या फिर गृह कलेश की वजह से अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेते हैं. इनमें ज्यादातर लोग ऐसे होते हैं जो आत्महत्या करने के लिए रेलवे ट्रैक का सहारा लेते हैं.
इसी विषय पर ईटीवी भारत की टीम ने अंबाला के रेलवे स्टेशन का रुख किया और रेलवे अधिकारियों से जानने की कोशिश की, कि अंबाला समेत समूचे हरियाणा में ऐसे कितने मामले सामने आते हैं जिसमें लोग ट्रेन के सामने कूद कर अपनी जान गवां देते हैं. इस दौरान जो बातें और तथ्य सामने आए वो हैरान कर देने वाले थे.
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सबसे चौंकाने वाली बात तो ये है कि जो आंकड़े रेलवे पुलिस द्वारा हमारे सामने रखे गए हैं वो लॉक डाउन के समय के हैं, यानी तब, जब पूरे देश में बस कुछ ही ट्रेंनें ट्रैक पर दौड़ रही थी. वहीं हमारी जांच पड़ताल में हादसों के कारणों के बारे में सवाल जवाब करते हुए किसी भी अधिकारी ने ज्यादा कुछ नहीं बताया.
लेकिन कैमरे के पीछे बोलते हुए उन्होंने बताया कि आत्महत्या के मामले हम उसे कहते हैं जिसमें हमें मृतक के पास से कोई सुसाइड लेटर मिला हो या फिर कोई गचश्मदीद वाह हो, अन्यथा बाकियों को हम रेल हादसे में ही गिनते हैं. ऐसे 5 प्रतिशत लोग ही होते हैं जो सच में रेल हादसों के शिकार होते हैं, वरना बाकी सब आत्महत्या के ही मामले होते हैं.
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ये हैं आंकड़े
बेशक इस बात में कोई दो राय नहीं कि जब तक मानसिक तनाव और पारिवारिक कलह से ग्रस्त लोग मनोचिकित्सकों की मदद लेकर तनाव मुक्त नहीं होंगे तब तक आत्महत्या का मामले सामने आते रहेंगे. यदि हरियाणा सरकार अन्य राज्यों जैसे पंजाब की तरह टोल फ्री काउंसलिंग जैसी सुविधा उपलब्ध करवाए तो ऐसे मामलों में कुछ कमी लाई जा सकती है.