अंबालाः देश भर में 13 अप्रैल यानी आज बैसाखी का पर्व मनाया जा रहा है. इस दिन लोग अनाज की पूजा करते हैं और फसल के कटकर घर आ जाने की खुशी में भगवान और प्रकृति को धन्यवाद करते हैं. बैसाखी पर्व के मौके पर अंबाला के बादशाही बाग गुरुद्वारा साहिब में सिख श्रद्धालुओं ने माथा टेका और अरदास की. हालांकि इस दौरान भारी संख्या में लोगों की भीड़ नहीं पहुंची.
गुरुद्वारे में नहीं दिखी भीड़
देश में फैले कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर 21 दिनों का लॉकडाउन लगा हुआ है. इसी बीच बैसाखी पर्व भी मनाया जा रहा है. अंबाला शहर के बादशाही बाग गुरुद्वारा में श्रद्धालुओं ने मत्था टेक अरदास की. लेकिन हर बार की तरह इस बार यहां भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को नहीं मिली. लॉकडाउन होने के चलते लोगों ने घरों पर ही अरदास की और कुछ लोग गुरुद्वारे पहुंचे.
श्रद्धालुओं के की गई थी अपील
अंबाला के बादशाही बाग गुरुद्वारा प्रधान प्रीतम सिंह ने बताया कि कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए श्रद्धालुओं से पहले ही अपील की गई थी कि वो आज घर से ही अरदास करें और गुरुद्वारा साहिब ना आए. जिसके चलते काफी कम संख्या में श्रद्धालु माथा टेकने पहुंचे. उन्होंने बताया कि इससे पहले इस गुरुद्वारा साहिब में हजारों श्रद्धालु इकट्ठा होते थे.
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क्यों मनाया जाता है बैसाखी का त्यौहार
बैसाखी, सिख धर्म की स्थापना और फसल पकने के प्रतीक के रूप में मनाई जाती है. इस महीने रबी फसल पूरी तरह से पक कर तैयार हो जाती है और पकी हुई फसल को काटने की शुरुआत भी हो जाती है. ऐसे में किसान अपनी फसल पकने की खुशी में ये त्योहार मनाते हैं. 13 अप्रैल 1699 के दिन सिख पंथ के 10वें गुरू श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी, इसके साथ ही इस दिन को मनाना शुरू किया गया था. आज ही के दिन पंजाबी नए साल की