रोहतकः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रोहतक आ रहे हैं. जहां वो बीजेपी के पन्ना प्रमुखों को संबोधित करेंगे. मुख्यमंत्री मनोहर लाल की जन आशीर्वाद यात्रा भी इसी रैली में आकर खत्म होगी. लेकिन सियासी गलियारों में एक सवाल घूम रहा है कि आखिर बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व रोहतक पर इतना ध्यान क्यों दे रहा है.
रोहतक रैली में पीएम क्या करेंगे ?
इस रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पन्ना प्रमुखों को संबोधित करेंगे और मुख्यमंत्री मनोहर लाल की जन आशीर्वाद यात्रा का भी यहीं पर समापन होगा. ये रैली पूरे तरीके से इको फ्रेंडली है जिसमें प्लास्टिक का उपयोग बिल्कुल नहीं होगा.
क्या है बीजेपी की रणनीति ?
दरअसल इस वक्त अगर बीजेपी के सामने कोई खड़ा दिखाई दे रहा है तो वो हैं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा. क्योंकि जेजेपी और एलएसपी अभी भी अपना भविष्य तलाश रही हैं. इनेलो के ज्यादातर विधायक पहले ही बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. जो बचे वो जेजेपी में चले गए. ऐसे माहौल में जब विपक्ष से नेताओं का लगातार जाना बीजेपी में लगा रहा तब भी कांग्रेस का कोई विधायक बीजेपी में नहीं गया और इसकी बड़ी वजह मानी गई कि कांग्रेस के ज्यादातर विधायक हुड्डा के करीबी हैं. और उनकी निष्ठा अभी भी हुड्डा के साथ है. इसीलिए बीजेपी को अपने लिए अगर कोई खतरा दिख रहा है तो वो हैं भूपेंद्र सिंह हुड्डा. यही वजह है कि बीजेपी भूपेंद्र सिंह हुड्डा का किला पूरे तरीके से ढहा देना चाहती है.
पीएम की रैली पर दीपेंद्र हुड्डा ने क्या कहा ?
कांग्रेस के पूर्व सांसद और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा ने ट्वीट कर लिखा कि, "रोहतक में पिछले 3 महीनों में पहले मोदी जी, फिर मोदी जी दूसरी बार, फिर शाह साहब, फिर नड्डा जी, अब फिर मोदी जी खुद तीसरी बार। कुछ तो बात होगी चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा जी में? रोहतक में अपनी लोकसभा की जीत पर भाजपा को इतना विश्वास?"
रोहतक पर नजर क्यों ?
दरअसल 2014 के विधानसभा चुनाव में रोहतक, सोनीपत और झज्जर में बीजेपी को उतनी कामयाबी नहीं मिली थी जितनी बाकी प्रदेश में मिली थी. इसीलिए बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में इस इलाके पूरी ताकत लगा दी थी और छोटे-बड़े दोनों हुड्डा को हरा दिया था. फिर भी एक कसक अभी बाकी है क्योंकि बीजेपी को पूरे प्रदेश में अगर कहीं टक्कर मिली थी तो वो यही दो सीटें थीं. बाकी जगहों पर बीजेपी ने एकतरफा जीत दर्ज की थी.
2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में मिले वोटों को भी अगर देखें तो बीजेपी को बड़ी बढ़त मिली है. 2014 में दीपेंद्र हुड्डा ने यहां जीत दर्ज की थी लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव में वो हार गए. जरा विधिनसभावार भी देख लीजिए कि 2014 और 2019 में कैसे वोट में अंतर आया.
लोकसभा चुनाव 2014 के रिजल्ट के आधार पर
विधानसभा | बीजेपी को मिले वोट | कांग्रेस को मिले वोट |
महम | 11,384 | 61,982 |
गढ़ी सांपला किलोई | 18,671 | 82,564 |
रोहतक | 41,932 | 49,379 |
कलानौर | 25,823 | 59,151 |
बहादुरगढ़ | 46,311 | 42,783 |
बादली | 38,629 | 49,637 |
झज्जर | 29,526 | 51,740 |
बेरी | 26,950 | 55,444 |
कोसली | 79,758 | 37,220 |
कुल | 3,19,436 (30.55%) | 4,90,063(46.86%) |
जहां 2014 में 9 में से सिर्फ 2 विधानसभा सीटों पर ही बीजेपी को बढ़त मिली थी. जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी को 4 विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली और कोसली विधानसभा में बड़ी बढ़त मिली जिसने अरविंद शर्मा की जीत में बड़ा योगदान दिया.
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अब 2019 में विधानसभावार मिले वोटों को भी देख लीजिए
विधानसभा | बीजेपी को मिले वोट | कांग्रेस को मिले वोट |
गढ़ी सांपला किलोई | 46,881 | 92,606 |
महम | 54,721 | 68,826 |
बेरी | 42,998 | 68,991 |
बादली | 50,374 | 61,928 |
झज्जर | 52,746 | 57,395 |
कोसली | 1,17,825 | 42,845 |
रोहतक | 68,477 | 48,736 |
बहादुरगढ़ | 65,519 | 59,889 |
कलानौर | 66,701 | 62,390 |
कुल | 5,66,242 | 5,63,606 |
इन आंकड़ों का मतलब ये है कि रोहतक की ज्यादातर विधानसभा सीटों पर अभी भी हुड्डा का दबदबा है इसी दबदबे को कम करने के लिए बीजेपी जोर लगा रही है.