रोहतक: जमीनों के अधिग्रहण व कम मुआवजे के विरोध में चल रहे 'संविधान सत्याग्रह आंदोलन' के नौवें दिन शनिवार को भारत भूमि बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष चौधरी रमेश दलाल के नेतृत्व में प्रभावित परिवारों ने प्रतीकात्मक भूमि-समाधि ली. उन्होंने इस मामले में प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप कर इन परिवारों को बचाने का आग्रह किया है.
15 जनवरी से चल रहा है आंदोलन
15 जनवरी 2021 से संविधान सत्याग्रह आंदोलन में भाग ले रहे राजस्थान के गांव सूरतगढ़ के शारवान कुमार ने कहा कि वे अपने परिवार की आजीविका के लिए चिंतित थे. वहीं आंदोलन पर बैठे बच्चों ने कहा कि उनके माता-पिता 2018 में उनकी भूमि अधिग्रहण के दिन से सो नहीं रहे हैं.
बच्चे भी बैठे हैं धरने पर
बच्चों ने आगे कहा कि वे और उनका परिवार अपने जीवन से थक चुके हैं क्योंकि उनके परिवार को अपमानित किया गया, उनका शोषण किया गया और उन्हें बुरी तरह बर्बाद कर दिया गया. जबरन भूमि अधिग्रहण की गी. बच्चों ने ये भी खुलासा किया कि वे राजस्थान से अपने परिवार के साथ प्रधानमंत्री से न्याय की उम्मीद के साथ आए थे.
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वहीं बच्चों के माता-पिता ने स्पष्ट किया कि उन्होंने बच्चों को घर पर रहने के लिए मनाने की कोशिश की थी, लेकिन बच्चों ने उन्हें अपने माता-पिता के साथ रहने के लिए दबाव डाला. इस दौरान महिलाएं बच्चों को प्रेरक और देशभक्ति के गीत गाकर प्रेरित कर रही थीं.
केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री से नाराज किसान
केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री द्वारा अपनाए गए भेदभावपूर्ण दृष्टिकोण के प्रति प्रभावित परिवारों ने कहा कि कृषि मंत्री ने तीन कृषि कानूनों से संबंधित समाधान खोजने के लिए कृषि नेताओं के साथ 11 बैठकें की हैं, जबकि परिवहन मंत्री ने वास्तविक समस्याओं के समाधान के लिए एक भी बैठक नहीं की.
इच्छामृत्यु की मांग की
भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसान इन कारणों से दिन के समय प्रतीकात्मक भूमि-समाधि ले रहे हैं और केंद्र सरकार के भेदभावपूर्ण दृष्टिकोण के खिलाफ एक मजबूत संदेश देकर इच्छामृत्यु के लिए न्याय या अनुमति की मांग कर रहे हैं. वहीं दिव्यांग किसान जिसका नाम जेठा राम है, जो पूरी तरह से चलने में असमर्थ है, उसने भी प्रतीकात्मक भूमि-समाधि ली. अध्यक्ष रमेश दलाल के नेतृत्व में प्रभावित परिवारों ने भारत के राष्ट्रपति, मुख्य न्यायाधीश और मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष से आग्रह किया कि वे अपने पूरे परिवार के लिए इच्छामृत्यु की अनुमति प्रदान करें.
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उन्होंने ये भी कहा कि स्थानीय प्रशासन के सक्रिय समर्थन के साथ भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने अवैध तरीके से अपनी भूमि का अधिग्रहण किया था और सड़क परिवहन मंत्रालय ने कानून के अनुसार उन्हें उचित मुआवजा और पुनर्वास पैकेज का भुगतान नहीं किया था.
उन्होंने कहा कि जब मंत्री और उनके अधिकारी भारत के संविधान और संसद का सम्मान नहीं करेंगे, तो उनके द्वारा इस तरह के अमानवीय और अलोकतांत्रिक तरीके से अपना जीवन जीने की कोई आवश्यकता नहीं है. ा इसलिए ये लोग इच्छामृत्यु की अनुमति चाहते हैं.
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