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People protest against water logging: पानीपत में जलभराव के विरोध में लोगों ने सड़क पर रोपे धान

पानीपत में सड़कों की स्थिति बद से बदतर हो (Panipat Road Problem)चुकी है. सड़क से गुजरने वाले कांवड़ यात्रियों ने सड़कों की खस्ता हाल देखते हुए विरोध जताने के साथ ही सड़कों में भरे गंदे पानी में धान की बुवाई की (Protest against water logging) है.

People protest against waterlogging
पानीपत में जलजमाव के विरोध में लोगों ने सड़क पर रोपा धान
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Published : Jul 19, 2022, 6:05 PM IST

पानीपत: इंडस्ट्रियल सिटी कहे जाने वाले पानीपत की सड़कों की हालत खस्ता होती जा रही है. बीते दिनों हुई बारिश के बाद जगह-जगह जलभराव ने मुसीबतें और बढ़ा दी हैं. जिसके कारण यहां सड़कों से गुजरने वाले लोगों को भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. सड़कों की दयनीय स्थिति को देखकर कांवड़ यात्रियों ने इसका विरोध किया है. हरिद्वार और गंगोत्री से कावड़ लेकर आ रहे शिव भक्तों ने 2 किलोमीटर तक सड़कों में भरे पानी और गंदगी का विरोध (People protest against waterlogging) किया है. पानीपत में जलभराव को लेकर लोगों ने अनोखे ढंग से प्रदर्शन (Protest against water logging in panipat) किया.

सड़क पर धान की बुवाई- स्थानीय लोगों ने भी शहर की बदहाल सड़कों को लेकर विरोध जताया है. कांवड़ लेकर आ रहे शिव भक्तों ने कहा कि सावन का महीना शुरु हो चुका है. हरियाणा और राजस्थान के लाखों शिव भक्त यहां से पैदल गुजरते हैं. अब उनको अपने गंतव्य पर पहुंचने से पहले पानीपत की अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ रहा है. यहां सड़क में गड्ढे हैं या गड्ढों में सड़क, समझना मुश्किल (water logging in panipat) है. ऊपर से बारिश के बाद इनमें पानी भरने से समस्या और भी विकराल हो गई है. जिसके विरोध गुस्साए स्थानीय लोगों ने सनोली रोड पर जलभराव के बीज धान की बुआई कर (people protest in panipat) दी.

पानीपत में जलजमाव के विरोध में लोगों ने सड़क पर रोपा धान

प्रशासन पर भ्रष्टाचार का आरोप- सड़कों की हालत इतनी खस्ता है कि आए दिन यहां पर ऑटो, रिक्शा व गाड़ियां पलट (Panipat Road Problem) जाती हैं. पैदल यात्रा तो बहुत ही दूर की बात है. इन सड़कों पर बारिश के दौरान हादसे होना आम बात हो चली है. स्थानीय लोगों ने प्रशासन और सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा है कि निर्माण में धांधली के चलते सड़कों का ये हाल हुआ है. प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कहा कि भ्रष्टाचारियों ने लूट मचा रखी है. फिर भी इनका पेट नहीं भर रहा है, जिसके चलते यहां धान की फसल उगाई जाएगी (paddy sowing on road) क्योंकि ये सड़क आम आदमी के पैदल चलने और वाहनों के चलने लायक तो नहीं है. सड़क पर भरे पानी में उतरकर लोगों ने धान की बुआई कर विरोध जताया.

दो साल बाद हो रही है कांवड़ यात्रा: कोरोना के कारण पिछले दो साल कांवड़ यात्रा नहीं हो पाई थी. इस वर्ष कावड़ यात्रा शुरू हुई है और कांवड़िये गंगाजल लेने के लिए पैदल हरिद्वार जा रहे हैं. पानीपत का सनोली रोड हरियाणा और उत्तर प्रदेश को जोड़ने वाली एकमात्र सड़क है. लेकिन सड़क की बदहाली और बरसात के बाद जगह-जगह जलभराव के कारण कांवड़ियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इस सड़क से हर साल लाखों की संख्या में कांवड़िये हरिद्वार पहुंचते हैं और फिर जल लेकर वापस लौटते हैं.
सड़क पर जमी गंदगी: कांवड़िये कहते हैं कि सैंकड़ो किलोमीटर से हम (kanwar yatri panipat) शुद्ध और सच्चे मन से कांवड़ लेकर आते हैं लेकिन पानीपत में आते ही सड़क पर जमी गंदगी और गंदे पानी से उनकी कांवड़ अशुद्ध हो जाती है, इसलिए प्रशासन और स्थानीय नेताओ की आंख खोलने के लिए यहां पर धान की बुवाई की जा रही है. स्थानीय लोगों का भी कहना है कि उन्हें तो इस समस्या से रोजाना दो-चार होना पड़ता है, लेकिन सावन के महीने में शिवरात्रि के मद्देनजर कावड़ लेकर आने वाले कावड़ियों के लिए कोई भी प्रबंध नहीं किए गए हैं. कावड़ियों को यहां भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

पानीपत: इंडस्ट्रियल सिटी कहे जाने वाले पानीपत की सड़कों की हालत खस्ता होती जा रही है. बीते दिनों हुई बारिश के बाद जगह-जगह जलभराव ने मुसीबतें और बढ़ा दी हैं. जिसके कारण यहां सड़कों से गुजरने वाले लोगों को भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. सड़कों की दयनीय स्थिति को देखकर कांवड़ यात्रियों ने इसका विरोध किया है. हरिद्वार और गंगोत्री से कावड़ लेकर आ रहे शिव भक्तों ने 2 किलोमीटर तक सड़कों में भरे पानी और गंदगी का विरोध (People protest against waterlogging) किया है. पानीपत में जलभराव को लेकर लोगों ने अनोखे ढंग से प्रदर्शन (Protest against water logging in panipat) किया.

सड़क पर धान की बुवाई- स्थानीय लोगों ने भी शहर की बदहाल सड़कों को लेकर विरोध जताया है. कांवड़ लेकर आ रहे शिव भक्तों ने कहा कि सावन का महीना शुरु हो चुका है. हरियाणा और राजस्थान के लाखों शिव भक्त यहां से पैदल गुजरते हैं. अब उनको अपने गंतव्य पर पहुंचने से पहले पानीपत की अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ रहा है. यहां सड़क में गड्ढे हैं या गड्ढों में सड़क, समझना मुश्किल (water logging in panipat) है. ऊपर से बारिश के बाद इनमें पानी भरने से समस्या और भी विकराल हो गई है. जिसके विरोध गुस्साए स्थानीय लोगों ने सनोली रोड पर जलभराव के बीज धान की बुआई कर (people protest in panipat) दी.

पानीपत में जलजमाव के विरोध में लोगों ने सड़क पर रोपा धान

प्रशासन पर भ्रष्टाचार का आरोप- सड़कों की हालत इतनी खस्ता है कि आए दिन यहां पर ऑटो, रिक्शा व गाड़ियां पलट (Panipat Road Problem) जाती हैं. पैदल यात्रा तो बहुत ही दूर की बात है. इन सड़कों पर बारिश के दौरान हादसे होना आम बात हो चली है. स्थानीय लोगों ने प्रशासन और सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा है कि निर्माण में धांधली के चलते सड़कों का ये हाल हुआ है. प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कहा कि भ्रष्टाचारियों ने लूट मचा रखी है. फिर भी इनका पेट नहीं भर रहा है, जिसके चलते यहां धान की फसल उगाई जाएगी (paddy sowing on road) क्योंकि ये सड़क आम आदमी के पैदल चलने और वाहनों के चलने लायक तो नहीं है. सड़क पर भरे पानी में उतरकर लोगों ने धान की बुआई कर विरोध जताया.

दो साल बाद हो रही है कांवड़ यात्रा: कोरोना के कारण पिछले दो साल कांवड़ यात्रा नहीं हो पाई थी. इस वर्ष कावड़ यात्रा शुरू हुई है और कांवड़िये गंगाजल लेने के लिए पैदल हरिद्वार जा रहे हैं. पानीपत का सनोली रोड हरियाणा और उत्तर प्रदेश को जोड़ने वाली एकमात्र सड़क है. लेकिन सड़क की बदहाली और बरसात के बाद जगह-जगह जलभराव के कारण कांवड़ियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इस सड़क से हर साल लाखों की संख्या में कांवड़िये हरिद्वार पहुंचते हैं और फिर जल लेकर वापस लौटते हैं.
सड़क पर जमी गंदगी: कांवड़िये कहते हैं कि सैंकड़ो किलोमीटर से हम (kanwar yatri panipat) शुद्ध और सच्चे मन से कांवड़ लेकर आते हैं लेकिन पानीपत में आते ही सड़क पर जमी गंदगी और गंदे पानी से उनकी कांवड़ अशुद्ध हो जाती है, इसलिए प्रशासन और स्थानीय नेताओ की आंख खोलने के लिए यहां पर धान की बुवाई की जा रही है. स्थानीय लोगों का भी कहना है कि उन्हें तो इस समस्या से रोजाना दो-चार होना पड़ता है, लेकिन सावन के महीने में शिवरात्रि के मद्देनजर कावड़ लेकर आने वाले कावड़ियों के लिए कोई भी प्रबंध नहीं किए गए हैं. कावड़ियों को यहां भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

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