चरखी दादरी: दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाने के लिए लोग कुछ भी कर गुजरने को तैयार होते हैं. केरल के रहने वाले अनस ने भी कुछ ऐसा ही फैसला किया. अनस ने स्केटिंग बोर्ड के जरिए कश्मीर से कन्याकुमारी की यात्रा (kashmir to kanyakumari journey on skating board) करने का फैसला किया, लेकिन उसका ये सपना पूरा नहीं हुआ और उसी यात्रा का दुखद अंत हो गया. कन्याकुमारी से कश्मीर जाते समय हरियाणा के पंचकूला में मंगलवार सुबह सड़क दुर्घटना में उसकी मौत हो गई.
31 वर्षीय मृतक अनस केरल के तिरुअनंतपुरम (Thiruvananthapuram) के गांव वन्जारमूड का रहने वाला था. मंगलवार को हिमाचल प्रदेश के नालागढ़ जाते समय पिंजौर नालागढ़ हाईवे पर गांव गरीडा के पास एक अज्ञात वाहन ने उसे टक्कर मार दी. पिंजौर थाने के एएसआई रामकरण ने बताया कि शव को कालका मोर्चरी में रखवा दिया गया है. परिजनों के आने के बाद पोस्टमॉर्टम किया जायेगा. उसके बाद आगे की कार्यवाई की जाएगी.
बीएससी कपयुटर साइंस का छात्र अनस पिछले करीब 3 साल से स्केटिंग बोर्ड के जरिए देश भ्रमण पर निकला था. उसने कुछ महीने पहले उत्तराखंड के देहरादून, मंसूरी और आसपास के इलाके में भी उसने स्केटिंग बोर्ड पर ही सफर किया था. इसके बाद उसमें इससे भी ज्यादा लंबा सफर तय करके दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाने का जनून सवार हुआ. इसी के चलते अनस ने अपना सबसे लंबा सफर कन्याकुमारी से कश्मीर तक स्केटिंग बोर्ड पर करने का फैसला किया.
29 मई को सुबह 8 बजे कन्याकुमारी से अपने स्केटिंग बोर्ड के पहियों पर उसने सफर की शुरूआत की. केरला में अनस के दोस्तों के मुताबिक उसने अपना यह सफर करीब तीन महीने में पूरा करने का लक्ष्य रखा था. कन्याकुमारी से पंजाब तक करीब 11 राज्यों से होकर लगभग तीन हजार किलोमीटर की यात्रा तय की. जिसमें सबसे पहले तमिलनाडू, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, यूपी, एमपी, राज्यस्थान, दिल्ली, हरियाणा और पंजाब राज्यों से होकर गुजरा. उसने बताया था कि पंजाब के बाद शिमला की ओर और फिर लेह, लद्वाख, कुल्लू से होते हुए कश्मीर जाने का प्लान था.
स्केटिंग बोर्ड पर अनस एक दिन में 50 किलोमीटर का सफर तय कर रहा था. रास्ते में लोगों की दुकानों पर ही आराम करता था. कई जगह पर लोग रात ठहरने व खाने का भी प्रबंध भी कर देते थे. अनस के मुताबिक कन्याकुमारी से पंजाब तक उसे रास्ते में कोई दिक्कत नहीं हुई थी. अधिकतर सड़क पर ढलान थी. परन्तु पिंजौर से आगे पहाड़ी क्षेत्र शुरू होता है. इस सफर के लिए भी वो तैयार था. जहां पर कुछ पहाड़ी या फिर ट्रैफिक जाम की समस्या रहती वहां से वो स्केटिंग बोर्ड हाथ में पकड़कर पैदल चलता था.