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51 शक्तिपीठों में से एक है कुरुक्षेत्र का मां भद्रकाली मंदिर, जानें कैसे हुई यहां पूजा अर्चना - श्रीदेवी कूप भद्रकाली शक्तिपीठ कुरुक्षेत्र

नवरात्र के पहले दिन मठ-मंदिरों शक्ति केंद्रों और घरों में कलश स्‍थापना के साथ ही मां दुर्गा के प्रथम स्‍वरूप मां शैलपुत्री की विधि-विधान से पूजा-अर्चना शुरू हुई. कुरुक्षेत्र के प्राचीन भद्रकाली शक्तिपीठ मंदिर में भी श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा.

51 शक्तिपीठों में से एक है कुरुक्षेत्र का मां भद्रकाली मंदिर
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Published : Sep 29, 2019, 9:03 AM IST

कुरुक्षेत्र: मां भगवती की पावन पवित्र नवरात्र के पहले दिन मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी. श्रद्धालुओं ने मां भगवती का पूजन कर सुख-समृद्धि की कामना की. प्राचीन भद्रकाली शक्तिपीठ मंदिर को इस नवरात्रि में भव्य रूप से सजाया गया है और इस मंदिर में दूर-दराज से लोग नवरात्रों में पूजा के लिए आते हैं. यह ऐतिहासिक मंदिर हरियाणा की एकमात्र सिद्ध शक्तिपीठ है, जहां मां भद्रकाली शक्ति रूप में विराजमान हैं.

कुरुक्षेत्र में श्रीदेवी कूप भद्रकाली शक्तिपीठ
वामन पुराण व ब्रह्मपुराण आदि ग्रंथों में कुरुक्षेत्र के सदंर्भ में चार कूपों का वर्णन आता है. जिसमें चंद्र कूप, विष्णु कूप, रुद्र कूप व देवी कूप हैं. श्रीदेवी कूप भद्रकाली शक्तिपीठ का इतिहास दक्षकुमारी सती से जुड़ा हुआ है. शिव पुराण में इसका वर्णन मिलता है

मां भद्रकाली शक्तिपीठ मंदिर में भी श्रद्धालुओं का तांता

ये भी पढ़ें: नवरात्रि का पहला दिन: देवी दुर्गा के पहले स्वरुप शैलपुत्री का कैसे हुआ नामकरण

घोड़े दान करने की चल रही प्रथा
51 शक्तिपीठ, इनके बारे में तो आपने सुना ही होगा. इनमें से एक शक्ति पीठ हरियाणा में भी है. श्रीदेवी कूप भद्रकाली मंदिर भद्रकाली शक्तिपीठ में देवी सती का दाए पैर का टखना (घुटने के नीचे का भाग) गिरा था. इसका महत्व तब और बढ़ जाता है, जब इसमें श्रीकृष्ण का जिक्र शामिल हो जाता है.

कहा जाता है कि भद्रकाली शक्तिपीठ में श्रीकृष्ण और बलराम का मुंडन हुआ था. ये भी माना जाता है कि महाभारत युद्ध में विजय का आशीर्वाद लेने पांडव श्रीकृष्ण के साथ यहां आए थे. मन्नत पूरी होने के बाद पांडवों ने मंदिर में आकर घोड़े दान किए थे. तब से घोड़े दान करने की प्रथा चली आ रही है.

कुरुक्षेत्र: मां भगवती की पावन पवित्र नवरात्र के पहले दिन मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी. श्रद्धालुओं ने मां भगवती का पूजन कर सुख-समृद्धि की कामना की. प्राचीन भद्रकाली शक्तिपीठ मंदिर को इस नवरात्रि में भव्य रूप से सजाया गया है और इस मंदिर में दूर-दराज से लोग नवरात्रों में पूजा के लिए आते हैं. यह ऐतिहासिक मंदिर हरियाणा की एकमात्र सिद्ध शक्तिपीठ है, जहां मां भद्रकाली शक्ति रूप में विराजमान हैं.

कुरुक्षेत्र में श्रीदेवी कूप भद्रकाली शक्तिपीठ
वामन पुराण व ब्रह्मपुराण आदि ग्रंथों में कुरुक्षेत्र के सदंर्भ में चार कूपों का वर्णन आता है. जिसमें चंद्र कूप, विष्णु कूप, रुद्र कूप व देवी कूप हैं. श्रीदेवी कूप भद्रकाली शक्तिपीठ का इतिहास दक्षकुमारी सती से जुड़ा हुआ है. शिव पुराण में इसका वर्णन मिलता है

मां भद्रकाली शक्तिपीठ मंदिर में भी श्रद्धालुओं का तांता

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घोड़े दान करने की चल रही प्रथा
51 शक्तिपीठ, इनके बारे में तो आपने सुना ही होगा. इनमें से एक शक्ति पीठ हरियाणा में भी है. श्रीदेवी कूप भद्रकाली मंदिर भद्रकाली शक्तिपीठ में देवी सती का दाए पैर का टखना (घुटने के नीचे का भाग) गिरा था. इसका महत्व तब और बढ़ जाता है, जब इसमें श्रीकृष्ण का जिक्र शामिल हो जाता है.

कहा जाता है कि भद्रकाली शक्तिपीठ में श्रीकृष्ण और बलराम का मुंडन हुआ था. ये भी माना जाता है कि महाभारत युद्ध में विजय का आशीर्वाद लेने पांडव श्रीकृष्ण के साथ यहां आए थे. मन्नत पूरी होने के बाद पांडवों ने मंदिर में आकर घोड़े दान किए थे. तब से घोड़े दान करने की प्रथा चली आ रही है.

Intro:नवरात्रि के पहले दिन कुरुक्षेत्र के प्राचीन मंदिर भद्रकाली में सुबह 5:00 बजे से ही भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया है प्राचीन भद्रकाली शक्तिपीठ मंदिर को इस नवरात्रि में भव्य रूप से सजाया गया है और यहां भगत जन पूरे भारतवर्ष से नवरात्रों में पूजा के लिए आते हैं यह ऐतिहासिक मंदिर हरियाणा की एकमात्र सिद्ध शक्तिपीठ है, जहां मां भद्रकाली शक्ति रूप में विराजमान हैं।

वामन पुराण व ब्रह्मपुराण आदि ग्रंथों में कुरुक्षेत्र के सदंर्भ में चार कूपों का वर्णन आता है। जिसमें चंद्र कूप, विष्णु कूप, रुद्र कूप व देवी कूप हैं। श्रीदेवी कूप भद्रकाली शक्तिपीठ का इतिहास दक्षकुमारी सती से जुड़ा हुआ है। शिव पुराण में इसका वर्णन मिलता है

आज से शुरू हो रहे नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के सभी नौ रूपों की पूजा की जाती है। शारदीय नवरात्रि को मुख्‍य नवरात्रि माना जाता है। हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार यह नवरात्रि शरद ऋतु में अश्विन शुक्‍ल पक्ष से शुरू होती हैं और पूरे नौ दिनों तक चलती हैं। मां दुर्गा इस बार सर्वार्थसिद्धि और अमृत सिद्धि योग में हाथी पर सवार होकर रविवार को हमारे घर पधारेंगी। फिर 9 दिन बाद घोड़े पर विदा होंगी। विद्वानों की माने तो सितंबर, 2 अक्टूबर और 7 अक्टूबर के दिन दो-दो योग रहेंगे। इन योगों में नवरात्र पूजा काफी शुभ रहेगी। Body:2Conclusion:2
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