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आरटीआई में केडीबी का जवाब संजय ने धृतराष्ट्र को दिया था गीता जयंती के दिन उपदेश

आरटीआई एक्ट के अंतर्गत लिखित में केडीबी ने बताया कि श्रीमद्भागवत गीता की प्रसिद्धि एक मोक्ष शास्त्र के रूप में है. पूरे देश में मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है.

Kurukshetra Development Board
आरटीआई
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Published : Feb 9, 2020, 8:09 AM IST

कुरुक्षेत्र: धार्मिक शोध केंद्र के अध्यक्ष और एस्ट्रोलॉजर पंडित ऋषभ वत्स ने पिछले साल दिसंबर महीने में गीता जयंती की तिथि के संदर्भ में कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड से जो जानकारी मांगी थी. उसकी जानकारी आरटीआई एक्ट के तहत एडीबी ने दी है. जोकि बहुत चौंकाने वाली है.

पंडित ऋषभ वर्ष के अनुसार उन्होंने केडीबी (कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड) से पूछा था कि उनके पास कौन सी ऐसी प्रमाणिक जानकारी है जिससे ये सिद्ध होता है कि भगवान कृष्ण ने जो गीता का उपदेश दिया था उस दिन मार्गशीर्ष महीने की एकादशी तिथि थी. जिस तिथि सरकार गीता जयंती के रूप में मनाती है.

धृतराष्ट्र को दिया था गीता जयंती के दिन उपदेश

आरटीआई एक्ट के अंतर्गत लिखित में केडीबी ने बताया कि श्रीमद्भागवत गीता की प्रसिद्धि एक मोक्ष शास्त्र के रूप में है. पूरे देश में मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है. माना जाता है इसी दिन भीष्म के शर शैय्या पर पड़ने के पश्चात संजय ने धृतराष्ट्र को गीता उपदेश सुनाया था. हिदू धर्म में प्रत्यक्ष, अनुमान, उपमान, शब्द व संभव समेत आठ प्रमाण किसी घटना की सत्यता एवं असत्यता के प्रमाण के रूप प्रस्तुत किए जाते हैं.

पंडित ऋषभ के अनुसार केडीबी ने आरटीआई एक्ट के तहत जो जवाब दिया है उससे मैं बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हूं इसलिए मैंने फर्स्ट अपील एप्लीकेशन भी लगाई हुई है. स्वयं केडीबी द्वारा डिस्ट्रिक्ट कुरुक्षेत्र की साइट पर जो जानकारी स्थिति के संदर्भ में दी हुई है वो भी इसके विपरीत है. जिससे यह सिद्ध होता है कि भगवान कृष्ण ने जब गीता का उपदेश दिया था, उस दिन मार्गशीर्ष महीने की एकादशी तिथि थी.

उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में आरटीआई एक्ट के माध्यम से अब ये पूछना पड़ेगा की साइट पर लिखी हुई सूचना सत्य है या आरटीआई एक्ट के अंतर्गत मुझे दी गई सूचना सत्य है. क्या केडीबी संजय को भगवान मानती है कि केडीबी ने इस प्रश्न के जवाब में अभी तक कोई प्रमाण प्रस्तुति नहीं दी है जिसको मांगा भी गया था. ऋषभ वत्स ने कहा कि केडीबी ने आरटीआई एक्ट के तहत हमें अन्य प्रश्नों के जवाब दिए हैं उससे भी वो असंतुष्ट हैं.

ये भी पढ़ें- न्यूजीलैंड दौरे से लौटीं 'वर्ल्ड एथलीट ऑफ द ईयर' रानी रामपाल, कृष्ण बेदी ने किया स्वागत

कुरुक्षेत्र: धार्मिक शोध केंद्र के अध्यक्ष और एस्ट्रोलॉजर पंडित ऋषभ वत्स ने पिछले साल दिसंबर महीने में गीता जयंती की तिथि के संदर्भ में कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड से जो जानकारी मांगी थी. उसकी जानकारी आरटीआई एक्ट के तहत एडीबी ने दी है. जोकि बहुत चौंकाने वाली है.

पंडित ऋषभ वर्ष के अनुसार उन्होंने केडीबी (कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड) से पूछा था कि उनके पास कौन सी ऐसी प्रमाणिक जानकारी है जिससे ये सिद्ध होता है कि भगवान कृष्ण ने जो गीता का उपदेश दिया था उस दिन मार्गशीर्ष महीने की एकादशी तिथि थी. जिस तिथि सरकार गीता जयंती के रूप में मनाती है.

धृतराष्ट्र को दिया था गीता जयंती के दिन उपदेश

आरटीआई एक्ट के अंतर्गत लिखित में केडीबी ने बताया कि श्रीमद्भागवत गीता की प्रसिद्धि एक मोक्ष शास्त्र के रूप में है. पूरे देश में मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है. माना जाता है इसी दिन भीष्म के शर शैय्या पर पड़ने के पश्चात संजय ने धृतराष्ट्र को गीता उपदेश सुनाया था. हिदू धर्म में प्रत्यक्ष, अनुमान, उपमान, शब्द व संभव समेत आठ प्रमाण किसी घटना की सत्यता एवं असत्यता के प्रमाण के रूप प्रस्तुत किए जाते हैं.

पंडित ऋषभ के अनुसार केडीबी ने आरटीआई एक्ट के तहत जो जवाब दिया है उससे मैं बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हूं इसलिए मैंने फर्स्ट अपील एप्लीकेशन भी लगाई हुई है. स्वयं केडीबी द्वारा डिस्ट्रिक्ट कुरुक्षेत्र की साइट पर जो जानकारी स्थिति के संदर्भ में दी हुई है वो भी इसके विपरीत है. जिससे यह सिद्ध होता है कि भगवान कृष्ण ने जब गीता का उपदेश दिया था, उस दिन मार्गशीर्ष महीने की एकादशी तिथि थी.

उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में आरटीआई एक्ट के माध्यम से अब ये पूछना पड़ेगा की साइट पर लिखी हुई सूचना सत्य है या आरटीआई एक्ट के अंतर्गत मुझे दी गई सूचना सत्य है. क्या केडीबी संजय को भगवान मानती है कि केडीबी ने इस प्रश्न के जवाब में अभी तक कोई प्रमाण प्रस्तुति नहीं दी है जिसको मांगा भी गया था. ऋषभ वत्स ने कहा कि केडीबी ने आरटीआई एक्ट के तहत हमें अन्य प्रश्नों के जवाब दिए हैं उससे भी वो असंतुष्ट हैं.

ये भी पढ़ें- न्यूजीलैंड दौरे से लौटीं 'वर्ल्ड एथलीट ऑफ द ईयर' रानी रामपाल, कृष्ण बेदी ने किया स्वागत

Intro:धार्मिक शोध केंद्र के अध्यक्ष व विख्यात एस्ट्रोलॉजर पंडित ऋषभ वत्स ने पिछले साल दिसंबर महीने में गीता जयंती की तिथि के संदर्भ में कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड से जो जानकारी मांगी थी उसकी जानकारी आरटीआई एक्ट के तहत एडीबी ने जो प्रदान की है वह बहुत चौंकाने वाली है पंडित ऋषभ वर्ष के अनुसार उन्होंने केडीबी से पूछा था कि उनके पास कौन सी ऐसी प्रमाणिक जानकारी है जिससे यह सिद्ध होता है कि भगवान कृष्ण ने जो गीता का उपदेश दिया था उस दिन मैं मार्ग शीर्ष महीने की एकादशी तिथि थी जिस तिथि सरकार गीता जयंती के रूप में मनाती है


Body:उसके जवाब में आरटीआई एक्ट के अंतर्गत लिखित में केडीबी ने बताया कि इस संबंध में अवगत कराया जाता है कि श्री मगभगव द्रिता की प्रसिद्ध एक मोक्ष शास्त्र के रूप में है इसी कारण संपूर्ण भारतवर्ष में मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी मार्च गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है माना जाता है कि इस दिन भीष्म के सरसैया पर पढ़ने के पश्चात संजय ने धृतराष्ट्र को गीता उपदेश सुनाया था पंडित ऋषभ वर्ष के अनुसार केडीबी ने आरटीआई एक्ट के तहत जो जवाब दिया है उससे मैं बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हूं इसलिए मैंने फर्स्ट अपील एप्लीकेशन भी लगाई हुई है स्वयं केडीबी द्वारा डिस्ट्रिक्ट कुरुक्षेत्र की साइट पर जो जानकारी स्थिति के संदर्भ में दी हुई है वह भी इसके विपरीत है उसमें स्पष्ट लिखा है भागवत गीता का संदेश जोश भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं युद्ध क्षेत्र में दिया था जिसको परंपरिक कैलेंडर अनुसार मार्गशीर्ष महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है


Conclusion:इस संदर्भ में आरटीआई एक्ट के माध्यम से अब यह पूछना पड़ेगा की साइट पर लिखी हुई सूचना सत्य है या आरटीआई एक्ट के अंतर्गत मुझे दी गई सूचना सत्य है क्या केडीबी संजय को भगवान मानती है कि डीबी ने इस प्रश्न के जवाब में अभी तक कोई प्रमाण प्रस्तुति नहीं दी है जिसको मांगा भी गया था ऋषभ वत्स ने कहा कि केडीबी ने आरटीआई एक्ट के तहत हमें अन्य प्रश्नों के बीजों जवाब दिए हैं उससे भी वह असंतुष्ट हैं इसलिए उन्होंने अपील एप्लीकेशन लगाई है अब देखना यह होगा कि अपील मैं कब बुलाया जाता है वह क्या जवाब दिया जाता है गीता जैसे महत्वपूर्ण ग्रंथ जिसमें हम सब की आस्था है उसके बारे में हर वर्ष करोड़ों रुपए खर्च करने वाले गीता महोत्सव पर सरकार या केडीबी का स्पष्ट रूप से सत्य व प्रमाणिक जानकारी देना दायित्व के साथ-साथ कर्तव्य भी है

बाईट:- ऋषभ वत्स
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