कुरुक्षेत्र: बेटी अपने पिता के कंधे से कंधा मिलाकर परिवार की जिम्मेदारी उठाने लगे तो समाज में वो एक बहुत बड़ा उदाहरण बन जाती है. ऐसा ही एक बड़ा उदाहरण कुरुक्षेत्र के गांव पलवल की 12 वर्षीय लड़की आशु है. आशु की उम्र बहुत छोटी है, लेकिन उसके सपने बहुत बड़े हैं. दिवाली को लेकर जहां इन दिनों बच्चों में भारी उत्साह है. वहीं सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली आठवीं कक्षा की छात्रा आशु अपने पिता के साथ दूसरों की दिवाली रोशन करने के लिए मिट्टी के बर्तन बेच रही है. आशु की उम्र भले ही छोटी है मगर लक्ष्य को पाने की उड़ान ऊंची है. आशु सड़क किनारे दिये बेचते हुए अपनी पढ़ाई पूरी करती है.
12 साल की बेटी उठा रही परिवार की जिम्मेदारी
आशु के पिता सुबह गली-गली मिट्टी के बर्तन बेचने के लिए निकल जाते हैं और आशु कुरुक्षेत्र के पिपली रोड पर बीएसएनएल एक्सचेंज के सामने सुबह 6 से लेकर 10 बजे तक बर्तन बेचती है और साथ-साथ पढ़ाई भी करती है. आशु के पिता तेजपाल पहले गांव में पंचर लगाते थे, लेकिन ज्यादा काम नहीं होने के कारण वो अकेले घर चलाने में असमर्थ हैं. इसलिए आशु पिता की सहायता के लिए यहां मिट्टी के बर्तन बेचने का काम करती है. आशु के दो बहन-भाई हैं, लेकिन वो दोनों छोटे हैं. इसलिए आशु बड़ी होने के नाते अपना पिता का सहारा बन उनके कामकाज में सहायता करती है.
सड़क पर पढ़ाई के साथ बेच रही मिट्टी के बर्तन
आशु के पिता तेजपाल अपनी लाडली को पुलिस अधिकारी बनाना चाहते हैं, लेकिन वो डॉक्टर बनना चाहती है ताकि डॉक्टर बनकर गरीब लोगों की सेवा कर सके. आशु के पिता बताते हैं कि आशु हर साल क्लास में फर्स्ट आती है. साथ ही खेलकूद में भी अव्वल रहती है. वो कहते हैं कि उनकी लड़की ही उनके लिए लड़के का फर्ज निभा रही है.
उनके कंधे से कंधा मिलाकर कामकाज में हाथ बटाती है और अपनी पढ़ाई भी पूरी करती है. वहीं मिट्टी के बर्तन खरीदने आए रिटायर्ड प्रिंसिपल दर्शन लाल कहते हैं कि कई बार सर्व संपन्न बच्चे अपने सपनों को पूरा नहीं कर पाते हैं. जो अभाव में होते हैं और संघर्ष के साथ अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते हैं वही बच्चे आखिर में बुलंदियों को छूते हैं.
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आशु की उम्र बेशक अभी 12 साल है, लेकिन उसकी समझदारी और दुनियादारी के प्रति सोच उसे बाकी बच्चों से अलग करती है. ईटीवी भारत आप सभी से बस यही अपील करता है कि क्यों ना इस दीवाली आशु की दुकान से दिये खरीदकर उसके घर को खुशियों से रोशन किया जाए.