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प्लास्टिक के प्रकोप से डॉक्टर्स को चिंता, कहीं ये पॉलिथीन पूरे देश को ब्रेन स्ट्रोक की चपेट में ना ले ले!

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Published : Feb 28, 2020, 8:01 PM IST

सिंगल हैंड प्लास्टिक के बैग से सबसे ज्यादा प्रदूषण या गंदगी फैलती है. अगर इसको इकट्ठा भी एक स्थान पर कर दिया जाए तो थोड़ी देर बाद यह फिर फैल जाता है. वहीं डॉक्टर्स का कहना है कि प्लास्टिक के जलने से उठने वाली गैसें ब्रेन स्ट्रोक, अधरंग, लीवर और फेफड़ों का कैंसर जैसी घातक बीमारियां फैलाती हैं.

cause of single hand plastic in our health
प्लास्टिक के प्रकोप से डॉक्टर्स को चिंता

कुरुक्षेत्र: सिंगल हैंड यूज प्लास्टिक यानी कि पॉलिथीन हर रोज लोगों की जरूरत बनता जा रहा है. अमूमन हर चीज की पैकिंग पॉलिथीन में ही आती है. वो चाहे दूध हो, तेल, घी, आटा, चावल, दालें, मसालें, कोल्ड ड्रिंक, शर्बत, स्नैक्स, दवायें, कपड़े हों या फिर जरूरत की दूसरी चीज़ें सभी में प्लास्टिक का इस्तेमाल हो रहा है. बाजार से फल या सब्जियां खरीदो तो वे भी प्लास्टिक की ही थैलियों में ही मिलते हैं. प्लास्टिक के इस्तेमाल की एक बड़ी वजह यह भी है कि टिन के डिब्बों, कपड़े के थैलों और कागज के लिफाफों के मुकाबले ये सस्ता पड़ता है, लेकिन आने वाले समय में ये प्लास्टिक हमारे लिए कितना घातक साबित होने वाला है कि इसका हम अनुमान भी नहीं लगा सकते हैं.

सिंगल हैंड पॉलिथीन एक बार यूज होने के बाद लोग इसे अपने घर से बाहर, कूड़ा दान या ऐसे सड़क पर ही फेंक देते हैं जो कि नालियों, नालों में जाकर उसको ब्लॉक कर देते है. नगर पालिका के कर्मचारियों का कहना है कि इस प्लास्टिक के पॉलिथीन से सबसे ज्यादा प्रदूषण या गंदगी फैलती है. अगर इसको इकट्ठा भी एक स्थान पर कर दिया जाए तो थोड़ी देर बाद यह फिर फैल जाता है. उच्च अधिकारियों का कहना है कि प्लास्टिक जलाने पर भी प्रतिबंध लगा हुआ है. ऐसे में खुले में इकट्ठा किया गया प्लास्टिक बरसात के दिनों में फैल जाता है और फिर नालों को जाम कर देता है.

प्लास्टिक से होने वाली घातक बीमारियों के बारे में जानकारी देते हुए दमा रोग विशेषज्ञ, देखिए रिपोर्ट

बैन का असर नहीं हुआ
हरियाणा में 2003 में ही सिंगल हैंड प्लास्टिक को पूरी तरह से बैन कर दिया गया था, इसके बावजूद पॉलिथीन का प्रयोग बंद नहीं हुआ, बल्कि और बढ़ गया है. हालांकि कुछ फैक्ट्रियां सील हो गई थीं. उसके बाद भी पॉलिथीन की बिक्री पर कोई लगाम नहीं लगा.

इंसानों के लिए बेहद खतरनाक है सिंगल हैंड प्लास्टिक
सांस दमा रोग विशेषज्ञ डॉ. शैलेंद्र का कहना है कि सिंगल हैंड यूज प्लास्टिक एक इंसान के लिए बेहद घातक साबित हो सकता है. उन्होंने बताया कि जब प्लास्टिक जलता है तो उससे उठने वाली गैसों से ब्रेन स्ट्रोक, अधरंग, लीवर और फेफड़ों का कैंसर जैसी घातक बीमारियां जन्म ले सकती हैं. पॉलिथीन के जलने से निकलने वाला धुआं भी अस्थमा का एक बड़ा कारण है और जब यह धुआं अंदर जाता है तो रक्त संचार करने वाली नालिकायां इसके प्रभाव से मोटी हो जाती हैं और खून के प्रवाह में रुकावट का काम करती हैं जिससे हर्ट अटैक हो सकता है.

डॉक्टर सैनी ने बताया कि एक शोध में ये बात सामने आई है कि लगभग 10 लाख लोग हर रोज प्लास्टिक की बोतलें खरीदते हैं और 40 करोड़ लोग रोजाना प्लास्टिक की थैलियों से घरेलू सामान अपने घर तक ले जाते हैं और 5,00,000 लोग कोल्ड ड्रिंक पीने के लिए सिंगल हैंड्स प्लास्टिक से बनी स्ट्रॉ का प्रयोग करते हैं. औसतन रोजाना 50,00,000 प्लास्टिक ग्लास चाय पीने के लिए या कोल्डड्रिंक पीने के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं.

सभी प्लास्टिक की चीजें बैन नहीं हैं
अधिकांश लोगों के बीच यह भ्रम है कि प्लास्टिक की सभी चीजें बंद हो रही हैं या कुछ ही चीजें. कई लोग तो यह भी नहीं जानते की सिंगल यूज प्लास्टिक होता क्या है और अन्य प्लास्टिक से कैसे अलग है ? तो कई लोग ऐसे भी हैं जो यह जानना चाहते हैं कि प्लास्टिक हमारे लिए और प्रकृति के लिए कैसे और कितना नुकसानदायक है। तो आइए आपके मन में उमड़-घुमड़ रहे सभी सवालों के जवाब आज दिये देते हैं।

40 माइक्रोन का प्लास्टिक कम खतरनाक है!
हालांकि 40 माइक्रोन से बने सिंगल हैंड यूज प्लास्टिक को लोग कम खतरनाक बता कर इस्तेमाल तो करते हैं, लेकिन इसको नष्ट करने में बनाने से ज्यादा खर्च आता है. वहीं डॉक्टर शैलेंद्र का कहना है कि इंसान ही नहीं बल्कि जीव-जंतु और समुंदर में रहने वाले जीव भी सिंगल हैंड यूज के कुप्रभाव से नहीं बच पा रहे हैं. लगभग 11,00,000 प्रजाति के समुद्री जीव विलुप्त होने के कगार पर हैं और करीब 700 समुद्री जीवों की प्रजाति पूरी तरह से विलुप्त हो चुकी है, जो वातावरण में संतुलन बनाए रखने का कार्य करती है.

हमें खुद जिम्मेदार बनना होगा
प्लास्टिक के कचरे की समस्या से निजात पाने के लिए प्लास्टिक थैलियों के विकल्प के रूप में जूट से बने थैलों का इस्तेमाल ज्याता से ज्यादा किया जाना चाहिए. साथ ही प्लास्टिक कचरे का समुचित इस्तेमाल किया जाना चाहिए. हालांकि देश में सड़क बनाने और भवन निर्माण की सामाग्री बनाने में इस्तेमाल शुरू हो चुका है, लेकिन सिंगल हैंड प्लास्टिक से निजात तभी मिल सकता है जब देश का हर नागरिक अपनी जिम्मेदारी समझ कर प्लास्टिक के वैकल्पिक चीजों का इस्तेमाल करके ना सिर्फ अपने देश को बल्कि पूरी दुनिया को प्लास्टिक प्रकोप से बचा सकता है.


कितनी खतरनाक है सिंगल हैंड प्लास्टिक?
इस तरह की प्लास्टिक के अंदर जो कैमिकल होते हैं, उनका इंसान और पर्यावरण के स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर पड़ता है. प्लास्टिक की वजह से मिट्टी का कटाव काफी होता है. इसके अंदर का केमिकल बारिश के पानी के साथ जलाशयों में जाता है, जो काफी खतरनाक है.
⦁ दुनिया भर में हर मिनट लोग करीब 10 लाख प्लास्टिक की बोतल खरीदते हैं.
⦁ जितनी प्लास्टिक इस्तेमाल होती है, उनका 91 फीसदी करीब रिसाइकल नहीं होता.
⦁ एक अनुमान के मुताबिक, हर साल दुनिया भर में करीब 40 हजार करोड़ प्लास्टिक की थैलियों का इस्तेमाल होता है. उनमें से सिर्फ 1 फीसदी थैलियों की रिसाइक्लिंग होती है.
⦁ हर दिन दुनिया भर में करीब 5 लाख स्ट्रॉ का इस्तेमाल होता है.
⦁ हर दिन करीब 500 अरब प्लास्टिक के प्याले का इस्तेमाल होता है.
⦁ एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल करीब 11 लाख समुद्री पक्षियों और जानवरों की प्लास्टिक की वजह से मौत होती है.
⦁ इसके अलावा 90 फीसदी पक्षियों और मछलियों के पेट में प्लास्टिक पाई गई. दरअसल प्लास्टिक छोटे-छोटे टुकड़ों में टूटकर समुद्र के अंदर रहती है. जब समुद्र के अंदर भोजन की तलाश में मछलियां और अन्य समुद्री जानवर जाते हैं तो वे गलती से इसका सेवन कर जाते हैं. एक रिसर्च के मुताबिक, करीब 700 समुद्री जीव प्लास्टिक प्रदूषण के कारण लुप्त होने की कगार पर हैं.
⦁ एक शोध में यह सामने आया कि एक इंसान औसतन हर साल 70 हजार माइक्रोप्लास्टिक का सेवन कर जाता है.

क्या है प्लास्टिक के विकल्प
⦁ प्लास्टिक स्ट्रॉ की जगह पेपर के बने स्ट्रॉ का इस्तेमाल किया जा सकता है या पूरी तरह से स्ट्रॉ से परहेज किया जा सकता है.
⦁ प्लास्टिक की पानी के बोतलों की जगह शीशा, धातु, कॉपर और सेरामिक की बनी बोतलों का इस्तेमाल करें. ये मार्केट में आसानी से उपलब्ध हैं.
⦁ प्लास्टिक के कप की जगह दोबारा इस्तेमाल होने वाले कप लेकर अपने साथ जाएं. आप पेपर की प्याली भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
⦁ प्लास्टिक की थैली की जगह जूट की बनी थैली या कागज की बनी थैली का इस्तेमाल कर सकते हैं.
⦁ प्लास्टिक की चाकू, चम्मच के स्थान पर आप स्टेनलेस स्टेल की चाकू इस्तेमाल कर सकते हैं. लकड़ी के चम्मच भी मार्केट में उपलब्ध हैं, उनको इस्तेमाल कर सकते हैं.

कुरुक्षेत्र: सिंगल हैंड यूज प्लास्टिक यानी कि पॉलिथीन हर रोज लोगों की जरूरत बनता जा रहा है. अमूमन हर चीज की पैकिंग पॉलिथीन में ही आती है. वो चाहे दूध हो, तेल, घी, आटा, चावल, दालें, मसालें, कोल्ड ड्रिंक, शर्बत, स्नैक्स, दवायें, कपड़े हों या फिर जरूरत की दूसरी चीज़ें सभी में प्लास्टिक का इस्तेमाल हो रहा है. बाजार से फल या सब्जियां खरीदो तो वे भी प्लास्टिक की ही थैलियों में ही मिलते हैं. प्लास्टिक के इस्तेमाल की एक बड़ी वजह यह भी है कि टिन के डिब्बों, कपड़े के थैलों और कागज के लिफाफों के मुकाबले ये सस्ता पड़ता है, लेकिन आने वाले समय में ये प्लास्टिक हमारे लिए कितना घातक साबित होने वाला है कि इसका हम अनुमान भी नहीं लगा सकते हैं.

सिंगल हैंड पॉलिथीन एक बार यूज होने के बाद लोग इसे अपने घर से बाहर, कूड़ा दान या ऐसे सड़क पर ही फेंक देते हैं जो कि नालियों, नालों में जाकर उसको ब्लॉक कर देते है. नगर पालिका के कर्मचारियों का कहना है कि इस प्लास्टिक के पॉलिथीन से सबसे ज्यादा प्रदूषण या गंदगी फैलती है. अगर इसको इकट्ठा भी एक स्थान पर कर दिया जाए तो थोड़ी देर बाद यह फिर फैल जाता है. उच्च अधिकारियों का कहना है कि प्लास्टिक जलाने पर भी प्रतिबंध लगा हुआ है. ऐसे में खुले में इकट्ठा किया गया प्लास्टिक बरसात के दिनों में फैल जाता है और फिर नालों को जाम कर देता है.

प्लास्टिक से होने वाली घातक बीमारियों के बारे में जानकारी देते हुए दमा रोग विशेषज्ञ, देखिए रिपोर्ट

बैन का असर नहीं हुआ
हरियाणा में 2003 में ही सिंगल हैंड प्लास्टिक को पूरी तरह से बैन कर दिया गया था, इसके बावजूद पॉलिथीन का प्रयोग बंद नहीं हुआ, बल्कि और बढ़ गया है. हालांकि कुछ फैक्ट्रियां सील हो गई थीं. उसके बाद भी पॉलिथीन की बिक्री पर कोई लगाम नहीं लगा.

इंसानों के लिए बेहद खतरनाक है सिंगल हैंड प्लास्टिक
सांस दमा रोग विशेषज्ञ डॉ. शैलेंद्र का कहना है कि सिंगल हैंड यूज प्लास्टिक एक इंसान के लिए बेहद घातक साबित हो सकता है. उन्होंने बताया कि जब प्लास्टिक जलता है तो उससे उठने वाली गैसों से ब्रेन स्ट्रोक, अधरंग, लीवर और फेफड़ों का कैंसर जैसी घातक बीमारियां जन्म ले सकती हैं. पॉलिथीन के जलने से निकलने वाला धुआं भी अस्थमा का एक बड़ा कारण है और जब यह धुआं अंदर जाता है तो रक्त संचार करने वाली नालिकायां इसके प्रभाव से मोटी हो जाती हैं और खून के प्रवाह में रुकावट का काम करती हैं जिससे हर्ट अटैक हो सकता है.

डॉक्टर सैनी ने बताया कि एक शोध में ये बात सामने आई है कि लगभग 10 लाख लोग हर रोज प्लास्टिक की बोतलें खरीदते हैं और 40 करोड़ लोग रोजाना प्लास्टिक की थैलियों से घरेलू सामान अपने घर तक ले जाते हैं और 5,00,000 लोग कोल्ड ड्रिंक पीने के लिए सिंगल हैंड्स प्लास्टिक से बनी स्ट्रॉ का प्रयोग करते हैं. औसतन रोजाना 50,00,000 प्लास्टिक ग्लास चाय पीने के लिए या कोल्डड्रिंक पीने के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं.

सभी प्लास्टिक की चीजें बैन नहीं हैं
अधिकांश लोगों के बीच यह भ्रम है कि प्लास्टिक की सभी चीजें बंद हो रही हैं या कुछ ही चीजें. कई लोग तो यह भी नहीं जानते की सिंगल यूज प्लास्टिक होता क्या है और अन्य प्लास्टिक से कैसे अलग है ? तो कई लोग ऐसे भी हैं जो यह जानना चाहते हैं कि प्लास्टिक हमारे लिए और प्रकृति के लिए कैसे और कितना नुकसानदायक है। तो आइए आपके मन में उमड़-घुमड़ रहे सभी सवालों के जवाब आज दिये देते हैं।

40 माइक्रोन का प्लास्टिक कम खतरनाक है!
हालांकि 40 माइक्रोन से बने सिंगल हैंड यूज प्लास्टिक को लोग कम खतरनाक बता कर इस्तेमाल तो करते हैं, लेकिन इसको नष्ट करने में बनाने से ज्यादा खर्च आता है. वहीं डॉक्टर शैलेंद्र का कहना है कि इंसान ही नहीं बल्कि जीव-जंतु और समुंदर में रहने वाले जीव भी सिंगल हैंड यूज के कुप्रभाव से नहीं बच पा रहे हैं. लगभग 11,00,000 प्रजाति के समुद्री जीव विलुप्त होने के कगार पर हैं और करीब 700 समुद्री जीवों की प्रजाति पूरी तरह से विलुप्त हो चुकी है, जो वातावरण में संतुलन बनाए रखने का कार्य करती है.

हमें खुद जिम्मेदार बनना होगा
प्लास्टिक के कचरे की समस्या से निजात पाने के लिए प्लास्टिक थैलियों के विकल्प के रूप में जूट से बने थैलों का इस्तेमाल ज्याता से ज्यादा किया जाना चाहिए. साथ ही प्लास्टिक कचरे का समुचित इस्तेमाल किया जाना चाहिए. हालांकि देश में सड़क बनाने और भवन निर्माण की सामाग्री बनाने में इस्तेमाल शुरू हो चुका है, लेकिन सिंगल हैंड प्लास्टिक से निजात तभी मिल सकता है जब देश का हर नागरिक अपनी जिम्मेदारी समझ कर प्लास्टिक के वैकल्पिक चीजों का इस्तेमाल करके ना सिर्फ अपने देश को बल्कि पूरी दुनिया को प्लास्टिक प्रकोप से बचा सकता है.


कितनी खतरनाक है सिंगल हैंड प्लास्टिक?
इस तरह की प्लास्टिक के अंदर जो कैमिकल होते हैं, उनका इंसान और पर्यावरण के स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर पड़ता है. प्लास्टिक की वजह से मिट्टी का कटाव काफी होता है. इसके अंदर का केमिकल बारिश के पानी के साथ जलाशयों में जाता है, जो काफी खतरनाक है.
⦁ दुनिया भर में हर मिनट लोग करीब 10 लाख प्लास्टिक की बोतल खरीदते हैं.
⦁ जितनी प्लास्टिक इस्तेमाल होती है, उनका 91 फीसदी करीब रिसाइकल नहीं होता.
⦁ एक अनुमान के मुताबिक, हर साल दुनिया भर में करीब 40 हजार करोड़ प्लास्टिक की थैलियों का इस्तेमाल होता है. उनमें से सिर्फ 1 फीसदी थैलियों की रिसाइक्लिंग होती है.
⦁ हर दिन दुनिया भर में करीब 5 लाख स्ट्रॉ का इस्तेमाल होता है.
⦁ हर दिन करीब 500 अरब प्लास्टिक के प्याले का इस्तेमाल होता है.
⦁ एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल करीब 11 लाख समुद्री पक्षियों और जानवरों की प्लास्टिक की वजह से मौत होती है.
⦁ इसके अलावा 90 फीसदी पक्षियों और मछलियों के पेट में प्लास्टिक पाई गई. दरअसल प्लास्टिक छोटे-छोटे टुकड़ों में टूटकर समुद्र के अंदर रहती है. जब समुद्र के अंदर भोजन की तलाश में मछलियां और अन्य समुद्री जानवर जाते हैं तो वे गलती से इसका सेवन कर जाते हैं. एक रिसर्च के मुताबिक, करीब 700 समुद्री जीव प्लास्टिक प्रदूषण के कारण लुप्त होने की कगार पर हैं.
⦁ एक शोध में यह सामने आया कि एक इंसान औसतन हर साल 70 हजार माइक्रोप्लास्टिक का सेवन कर जाता है.

क्या है प्लास्टिक के विकल्प
⦁ प्लास्टिक स्ट्रॉ की जगह पेपर के बने स्ट्रॉ का इस्तेमाल किया जा सकता है या पूरी तरह से स्ट्रॉ से परहेज किया जा सकता है.
⦁ प्लास्टिक की पानी के बोतलों की जगह शीशा, धातु, कॉपर और सेरामिक की बनी बोतलों का इस्तेमाल करें. ये मार्केट में आसानी से उपलब्ध हैं.
⦁ प्लास्टिक के कप की जगह दोबारा इस्तेमाल होने वाले कप लेकर अपने साथ जाएं. आप पेपर की प्याली भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
⦁ प्लास्टिक की थैली की जगह जूट की बनी थैली या कागज की बनी थैली का इस्तेमाल कर सकते हैं.
⦁ प्लास्टिक की चाकू, चम्मच के स्थान पर आप स्टेनलेस स्टेल की चाकू इस्तेमाल कर सकते हैं. लकड़ी के चम्मच भी मार्केट में उपलब्ध हैं, उनको इस्तेमाल कर सकते हैं.

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