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चौधर की जंग: 2014 में सीएम के सामने हुई थी सबकी जमानत जब्त, क्या हैं इस बार करनाल में समीकरण?

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Published : Oct 15, 2019, 10:26 PM IST

Updated : Oct 18, 2019, 6:22 PM IST

ये है ईटीवी भारत की खास पेशकश 'चौधर की जंग'. इस कार्यक्रम में हम आपको हरियाणा की हर विधानसभा सीट का लेखा-जोखा बता रहे हैं. इस बार हम बात करेंगे करनाल विधानसभा सीट की.

karnal assembly constituency

करनाल: 2014 तक आम विधायक देते आ रहे करनाल हल्के ने इस बार प्रदेश को मुख्यमंत्री दिया था. इस विधानसभा सीट ने जैसा गौरव 2014 में प्राप्त किया वैसा पहले कभी नहीं किया था. करनाल सीट पर हुई भाजपा उम्मीदवार मनोहर लाल खट्टर की जीत वोट प्रतिशत के हिसाब से पूरे हरियाणा में 2014 की सबसे बड़ी जीत रही. उनके मुकाबले चुनाव में उतरे हर उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई थी.

देखिए क्या हैं इस बार करनाल विधानसभा सीट के समीकरण.

मनोहर लाल खट्टर का उदय
मनोहर लाल खट्टर ने 1977 में आरएसएस की सदस्यता ली थी और 1980 में वे संघ के पूर्णकालिक प्रचारक बन गए थे. घर-बार त्याग कर और बिना शादी किए उन्होंने संघ में 14 साल विभिन्न जिम्मेदारियों के साथ काम किया और 1994 में वे बीजेपी में आ गए. मनोहर लाल ने आरएसएस और भाजपा संगठन में खूब काम किया था लेकिन हरियाणा भाजपा में वे कम ही सक्रिय रहे थे. भाजपा में उन्होंने लंबे समय तक हरियाणा संगठन महामंत्री का पद संभाला था.

साल 2000 के बाद वे हरियाणा भाजपा के संगठन महामंत्री बन गए और आखिरकार 2014 लोकसभा चुनाव में उन्हें पार्टी ने हरियाणा की चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बना दिया. 2014 के लोकसभा चुनाव में शानदार जीत के बाद मनोहर लाल हरियाणा के मामले में और ज्यादा दिलचस्पी लेने लगे थे. धीरे-धीरे उनका नाम पार्टी की ओर से सीएम पद के उम्मीदवारों में मजबूती के साथ लिया जाने लगा था और आखिर में बीजेपी आलाकमान ने उन्हें प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया.

कांग्रेस ने उतारा था नया उम्मीदवार
करनाल सीट पर 2005 और 2009 के चुनावों से सुमिता सिंह कांग्रेस के लिए चुनाव लड़ रही थी लेकिन सुमिता सिंह 2014 में चुनाव लड़ने असंध चली गईं और कांग्रेस ने करनाल से सुरेंद्र सिंह नरवाल को टिकट दी. सुरेंद्र सिंह ने खट्टर के सामने मात्र 9.12 प्रतिशत वोट ही ले पाए.

इनेलो को भी नहीं मिली सफलता
वहीं इनेलो के लिए करनाल कमजोर सीट ही रही और उनका उम्मीदवार यहां कभी दूसरे स्थान पर भी नहीं आया. इनेलो ने यहां से मनोज वाधवा को टिकट दी थी जो 12.60 वोट प्रतिशत वोट के साथ अपनी जमानत भी जब्त करवा गए. हालांकि इनेलो के लिए यहां संतोषजनक बात ये रही कि उनका उम्मीदवार 2009 के चुनाव से ज्यादा वोट लेकर आया था.

निर्दलीय जेपी गुप्ता रहे दूसरे स्थान पर
करनाल सीट के एक पुराने खिलाड़ी हैं जयप्रकाश गुप्ता जो 1987 से यहां से चुनाव लड़ते रहे हैं. 2014 को मिलाकर कुल 7 बार चुनाव लड़ चुके गुप्ता ने 2 बार जीत हासिल की जबकि 5 बार वे दूसरे स्थान पर रहे थे. 2014 के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर उतरे गुप्ता को 13.33 प्रतिशत वोट मिले और वो दूसरे स्थान पर रहे थे.

2014 विधानसभा चुनाव का परिणाम
2014 के चुनाव में यहां सीएम मनोहर लाल खट्टर ने निर्दलीय उम्मीदवार जयप्रकाश गुप्ता को एकतरफा मुकाबले में हराया था. सीएम खट्टर को 82,485 वोट मिले थे और जय प्रकाश को 18,712 वोट प्राप्त हुए थे. इनेलो उम्मीदवार मनोज वाधवा तीसरे नंबर पर और कांग्रेस उम्मीदवार सुरेंद्र नरवाल चौथे स्थान पर रहे थे. मनोहर लाल ने 58.78 प्रतिशत वोट हासिल किए थे. वहीं दूसरे नंबर पर रहे उम्मीदवार को 45.64 प्रतिशत वोट मिले थे. जीत का ये अंतर प्रतिशत के हिसाब से प्रदेश में सबसे बड़ा था. हालांकि वोटों की संख्या के हिसाब से गुरुग्राम से बीजेपी के उमेश अग्रवाल ने सबसे बड़ी जीत दर्ज की थी.

करनाल का इतिहास
करनाल का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है. माना जाता है कि करनाल को राजा कर्ण ने बसाया था. राजा कर्ण के नाम पर ही शहर का नाम करनाल पड़ा. पहली भारतीय महिला अंतरिक्ष यात्री कल्‍पना चावला इसी क्षेत्र की रहने वाली थीं. इसके अलावा पाकिस्‍तान के पहले प्रधानमंत्री नवाबजादा लियाकत अली खान भी इसी क्षेत्र के निवासी रहे थे.

2019 में मतदाता

  • कुल मतदाता- 2,38,550
  • पुरुष- 1,24,182
  • महिला- 1,14,365

2019 के उम्मीदवार
2019 के चुनाव की बात करें तो करनाल विधानसभा सीट से बीजेपी ने एक बार फिर मनोहर लाल खट्टर पर ही भरोसा जताया है. वहीं कांग्रेस ने त्रिलोचन सिंह को टिकट दिया है. करनाल से इनेलो का कोई भी उम्मीदवार मैदान में नहीं है. वहीं जेजेपी ने पूर्व बीएसएफ जवान तेज बहादुर को टिकट दिया है.

  • मनोहर लाल खट्टर - बीजेपी
  • त्रिलोचन सिंह - कांग्रेस
  • तेज बहादुर - जेजेपी

ये था करनाल विधानसभा सीट का लेखा-जोखा. प्रदेश के सीएम मनोहर लाल खट्टर एक बार फिर करनाल से मैदान में है. क्या इस बार सीएम मनोहर लाल को यहां से कोई चुनौती दे पाएगा या एक बार फिर वो मुकाबला एकतरफा कर देंगे. करनाल के रण में बहरहाल जीत किसकी होती है ये देखना दिलचस्प होगा. जनता का फैसला 24 अक्टूबर को पता चलेगा.

करनाल: 2014 तक आम विधायक देते आ रहे करनाल हल्के ने इस बार प्रदेश को मुख्यमंत्री दिया था. इस विधानसभा सीट ने जैसा गौरव 2014 में प्राप्त किया वैसा पहले कभी नहीं किया था. करनाल सीट पर हुई भाजपा उम्मीदवार मनोहर लाल खट्टर की जीत वोट प्रतिशत के हिसाब से पूरे हरियाणा में 2014 की सबसे बड़ी जीत रही. उनके मुकाबले चुनाव में उतरे हर उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई थी.

देखिए क्या हैं इस बार करनाल विधानसभा सीट के समीकरण.

मनोहर लाल खट्टर का उदय
मनोहर लाल खट्टर ने 1977 में आरएसएस की सदस्यता ली थी और 1980 में वे संघ के पूर्णकालिक प्रचारक बन गए थे. घर-बार त्याग कर और बिना शादी किए उन्होंने संघ में 14 साल विभिन्न जिम्मेदारियों के साथ काम किया और 1994 में वे बीजेपी में आ गए. मनोहर लाल ने आरएसएस और भाजपा संगठन में खूब काम किया था लेकिन हरियाणा भाजपा में वे कम ही सक्रिय रहे थे. भाजपा में उन्होंने लंबे समय तक हरियाणा संगठन महामंत्री का पद संभाला था.

साल 2000 के बाद वे हरियाणा भाजपा के संगठन महामंत्री बन गए और आखिरकार 2014 लोकसभा चुनाव में उन्हें पार्टी ने हरियाणा की चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बना दिया. 2014 के लोकसभा चुनाव में शानदार जीत के बाद मनोहर लाल हरियाणा के मामले में और ज्यादा दिलचस्पी लेने लगे थे. धीरे-धीरे उनका नाम पार्टी की ओर से सीएम पद के उम्मीदवारों में मजबूती के साथ लिया जाने लगा था और आखिर में बीजेपी आलाकमान ने उन्हें प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया.

कांग्रेस ने उतारा था नया उम्मीदवार
करनाल सीट पर 2005 और 2009 के चुनावों से सुमिता सिंह कांग्रेस के लिए चुनाव लड़ रही थी लेकिन सुमिता सिंह 2014 में चुनाव लड़ने असंध चली गईं और कांग्रेस ने करनाल से सुरेंद्र सिंह नरवाल को टिकट दी. सुरेंद्र सिंह ने खट्टर के सामने मात्र 9.12 प्रतिशत वोट ही ले पाए.

इनेलो को भी नहीं मिली सफलता
वहीं इनेलो के लिए करनाल कमजोर सीट ही रही और उनका उम्मीदवार यहां कभी दूसरे स्थान पर भी नहीं आया. इनेलो ने यहां से मनोज वाधवा को टिकट दी थी जो 12.60 वोट प्रतिशत वोट के साथ अपनी जमानत भी जब्त करवा गए. हालांकि इनेलो के लिए यहां संतोषजनक बात ये रही कि उनका उम्मीदवार 2009 के चुनाव से ज्यादा वोट लेकर आया था.

निर्दलीय जेपी गुप्ता रहे दूसरे स्थान पर
करनाल सीट के एक पुराने खिलाड़ी हैं जयप्रकाश गुप्ता जो 1987 से यहां से चुनाव लड़ते रहे हैं. 2014 को मिलाकर कुल 7 बार चुनाव लड़ चुके गुप्ता ने 2 बार जीत हासिल की जबकि 5 बार वे दूसरे स्थान पर रहे थे. 2014 के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर उतरे गुप्ता को 13.33 प्रतिशत वोट मिले और वो दूसरे स्थान पर रहे थे.

2014 विधानसभा चुनाव का परिणाम
2014 के चुनाव में यहां सीएम मनोहर लाल खट्टर ने निर्दलीय उम्मीदवार जयप्रकाश गुप्ता को एकतरफा मुकाबले में हराया था. सीएम खट्टर को 82,485 वोट मिले थे और जय प्रकाश को 18,712 वोट प्राप्त हुए थे. इनेलो उम्मीदवार मनोज वाधवा तीसरे नंबर पर और कांग्रेस उम्मीदवार सुरेंद्र नरवाल चौथे स्थान पर रहे थे. मनोहर लाल ने 58.78 प्रतिशत वोट हासिल किए थे. वहीं दूसरे नंबर पर रहे उम्मीदवार को 45.64 प्रतिशत वोट मिले थे. जीत का ये अंतर प्रतिशत के हिसाब से प्रदेश में सबसे बड़ा था. हालांकि वोटों की संख्या के हिसाब से गुरुग्राम से बीजेपी के उमेश अग्रवाल ने सबसे बड़ी जीत दर्ज की थी.

करनाल का इतिहास
करनाल का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है. माना जाता है कि करनाल को राजा कर्ण ने बसाया था. राजा कर्ण के नाम पर ही शहर का नाम करनाल पड़ा. पहली भारतीय महिला अंतरिक्ष यात्री कल्‍पना चावला इसी क्षेत्र की रहने वाली थीं. इसके अलावा पाकिस्‍तान के पहले प्रधानमंत्री नवाबजादा लियाकत अली खान भी इसी क्षेत्र के निवासी रहे थे.

2019 में मतदाता

  • कुल मतदाता- 2,38,550
  • पुरुष- 1,24,182
  • महिला- 1,14,365

2019 के उम्मीदवार
2019 के चुनाव की बात करें तो करनाल विधानसभा सीट से बीजेपी ने एक बार फिर मनोहर लाल खट्टर पर ही भरोसा जताया है. वहीं कांग्रेस ने त्रिलोचन सिंह को टिकट दिया है. करनाल से इनेलो का कोई भी उम्मीदवार मैदान में नहीं है. वहीं जेजेपी ने पूर्व बीएसएफ जवान तेज बहादुर को टिकट दिया है.

  • मनोहर लाल खट्टर - बीजेपी
  • त्रिलोचन सिंह - कांग्रेस
  • तेज बहादुर - जेजेपी

ये था करनाल विधानसभा सीट का लेखा-जोखा. प्रदेश के सीएम मनोहर लाल खट्टर एक बार फिर करनाल से मैदान में है. क्या इस बार सीएम मनोहर लाल को यहां से कोई चुनौती दे पाएगा या एक बार फिर वो मुकाबला एकतरफा कर देंगे. करनाल के रण में बहरहाल जीत किसकी होती है ये देखना दिलचस्प होगा. जनता का फैसला 24 अक्टूबर को पता चलेगा.

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चौधर की जंग: 2014 में सीएम के सामने हुई थी सबकी जमानत जब्त, क्या हैं इस बार करनाल में समीकरण?



ये है ईटीवी भारत की खास पेशकश 'चौधर की जंग'. इस कार्यक्रम में हम आपको हरियाणा की हर विधानसभा सीट का लेखा-जोखा बता रहे हैं. इस बार हम बात करेंगे करनाल विधानसभा सीट की.



करनाल: 2014 तक आम विधायक देते आ रहे करनाल हल्के ने इस बार प्रदेश को मुख्यमंत्री दिया था. इस विधानसभा सीट ने जैसा गौरव 2014 में प्राप्त किया वैसा पहले कभी नहीं किया था. करनाल सीट पर हुई भाजपा उम्मीदवार मनोहर लाल खट्टर की जीत वोट प्रतिशत के हिसाब से पूरे हरियाणा में 2014 की सबसे बड़ी जीत रही. उनके मुकाबले चुनाव में उतरे हर उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई थी.

मनोहर लाल खट्टर का उदय

मनोहर लाल खट्टर ने 1977 में आरएसएस की सदस्यता ली थी और 1980 में वे संघ के पूर्णकालिक प्रचारक बन गए थे. घर-बार त्याग कर और बिना शादी किए उन्होंने संघ में 14 साल विभिन्न जिम्मेदारियों के साथ काम किया और 1994 में वे बीजेपी में आ गए.

मनोहर लाल ने आरएसएस और भाजपा संगठन में खूब काम किया था लेकिन हरियाणा भाजपा में वे कम ही सक्रिय रहे थे. भाजपा में उन्होंने लंबे समय तक हरियाणा संगठन महामंत्री का पद संभाला था. साल 2000 के बाद वे हरियाणा भाजपा के संगठन महामंत्री बन गए और आखिरकार 2014 लोकसभा चुनाव में उन्हें पार्टी ने हरियाणा की चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बना दिया. 2014 के लोकसभा चुनाव में शानदार जीत के बाद मनोहर लाल हरियाणा के मामले में और ज्यादा दिलचस्पी लेने लगे थे. धीरे-धीरे उनका नाम पार्टी की ओर से सीएम पद के उम्मीदवारों में मजबूती के साथ लिया जाने लगा था और आखिर में बीजेपी आलाकमान ने उन्हें प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया.

कांग्रेस ने उतारा था नया उम्मीदवार

करनाल सीट पर 2005 और 2009 के चुनावों से सुमिता सिंह कांग्रेस के लिए चुनाव लड़ रही थी लेकिन सुमिता सिंह 2014 में चुनाव लड़ने असंध चली गईं और कांग्रेस ने करनाल से सुरेंद्र सिंह नरवाल को टिकट दी. सुरेंद्र सिंह ने खट्टर के सामने मात्र 9.12 प्रतिशत वोट ही ले पाए.

इनेलो को भी नहीं मिली सफलता

वहीं इनेलो के लिए करनाल कमजोर सीट ही रही और उनका उम्मीदवार यहां कभी दूसरे स्थान पर भी नहीं आया. इनेलो ने यहां से मनोज वाधवा को टिकट दी थी जो 12.60 वोट प्रतिशत वोट के साथ अपनी जमानत भी जब्त करवा गए. हालांकि इनेलो के लिए यहां संतोषजनक बात ये रही कि उनका उम्मीदवार 2009 के चुनाव से ज्यादा वोट लेकर आया था. 

निर्दलीय जेपी गुप्ता रहे दूसरे स्थान पर

करनाल सीट के एक पुराने खिलाड़ी हैं जयप्रकाश गुप्ता जो 1987 से यहां से चुनाव लड़ते रहे हैं. 2014 को मिलाकर कुल 7 बार चुनाव लड़ चुके गुप्ता ने 2 बार जीत हासिल की जबकि 5 बार वे दूसरे स्थान पर रहे थे. 2014 के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर उतरे गुप्ता को 13.33 प्रतिशत वोट मिले और वो दूसरे स्थान पर रहे थे.  

2014 विधानसभा चुनाव का परिणाम

2014 के चुनाव में यहां सीएम मनोहर लाल खट्टर ने निर्दलीय उम्मीदवार जयप्रकाश गुप्ता को एकतरफा मुकाबले में हराया था. सीएम खट्टर को 82,485 वोट मिले थे और जय प्रकाश को 18,712 वोट प्राप्त हुए थे. इनेलो उम्मीदवार मनोज वाधवा तीसरे नंबर पर और कांग्रेस उम्मीदवार सुरेंद्र नरवाल चौथे स्थान पर रहे थे.

मनोहर लाल ने 58.78 प्रतिशत वोट हासिल किए थे. वहीं दूसरे नंबर पर रहे उम्मीदवार को 45.64 प्रतिशत वोट मिले थे. जीत का ये अंतर प्रतिशत के हिसाब से प्रदेश में सबसे बड़ा था. हालांकि वोटों की संख्या के हिसाब से गुरुग्राम से बीजेपी के उमेश अग्रवाल ने सबसे बड़ी जीत दर्ज की थी.

करनाल का इतिहास

करनाल का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है. माना जाता है कि करनाल को राजा कर्ण ने बसाया था. राजा कर्ण के नाम पर ही शहर का नाम करनाल पड़ा. पहली भारतीय महिला अंतरिक्ष यात्री कल्‍पना चावला इसी क्षेत्र की रहने वाली थीं. इसके अलावा पाकिस्‍तान के पहले प्रधानमंत्री नवाबजादा लियाकत अली खान भी इसी क्षेत्र के निवासी रहे थे.

2019 में मतदाता 

कुल मतदाता- 2,38,550 

पुरुष- 1,24,182 

महिला- 1,14,365 

2019 के उम्मीदवार

2019 के चुनाव की बात करें तो करनाल विधानसभा सीट से बीजेपी ने एक बार फिर मनोहर लाल खट्टर पर ही भरोसा जताया है. वहीं कांग्रेस ने त्रिलोचन सिंह को टिकट दिया है. करनाल से इनेलो का कोई भी उम्मीदवार मैदान में नहीं है. वहीं जेजेपी ने पूर्व बीएसएफ जवान तेज बहादुर को टिकट दिया है. 

मनोहर लाल खट्टर -         बीजेपी 

त्रिलोचन सिंह      -          कांग्रेस

तेज बहादुर         -          जेजेपी 

ये था करनाल विधानसभा सीट का लेखा-जोखा. प्रदेश के सीएम मनोहर लाल खट्टर एक बार फिर करनाल से मैदान में है. क्या इस बार सीएम मनोहर लाल को यहां से कोई चुनौती दे पाएगा या एक बार फिर वो मुकाबला एकतरफा कर देंगे. करनाल के रण में बहरहाल जीत किसकी होती है ये देखना दिलचस्प होगा. जनता का फैसला 24 अक्टूबर को पता चलेगा.


Conclusion:
Last Updated : Oct 18, 2019, 6:22 PM IST
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