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खुलासाः करनाल नगर निगम में धड़ल्ले से अवैध निर्माण, अधिकारियों की जेबे भरकर हो रहा काम - पारदर्शिता

ऑफ द रिकॉर्ड बातचीत में करनाल नगर निगम के टाउन प्लानर ने खुलासा किया कि सीएम सिटी में रिहायशी इमारतें ही नहीं बल्कि 10-20 लाख रुपए देकर कई बड़े शोरूम, ढाबे और होटल भी बिना नक्शा पास कराए चल रहे हैं. जिनके पीछे राजनीतिक आकाओं का हाथ होता है.

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Published : Jul 27, 2019, 11:46 PM IST

Updated : Jul 30, 2019, 9:08 PM IST

करनालः सीएम सिटी करनाल में अवैध निर्माण का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है. नगर निगम अधिकारियों के नाक के नीचे शहर के पॉश एरिया से लेकर तंग गलियों तक में अवैध इमारतें रोजाना सर उठा रही हैं.

हालात ये हैं कि मकान बनाने के लिए नगर निगम के नियमों का उल्लंघन करके बिना नक्शा पास कराए, बिना फायर एनओसी लिए नगर निगम के अधिकारियों को पैसे खिलाकर और राजनीतिक संरक्षण में शहर के पॉश इलाकों में और पतली गलियों में बिना रोकटोक के कई इमारतें, होटल, ढाबे, शो रुम और रिहायशी इमारतें बन रही हैं.

राजनीतिक संरक्षण में हो रहा काम

नियमों को ताक पर रखकर शहर की सूरत बिगाड़ने और हादसों को न्योता देने के काम में निगम के चुने हुए जनप्रतिनिधि से लेकर निगम के कर्मचारी तक शामिल हैं, जिनके आशीर्वाद की बदौलत करनाल शहर अवैध कब्जों और अवैध इमारतों का जंगल बनता जा रहा है.

रुपया, रसूख और राजनीति का बंधक बना नगर निगम
शहर की सूरत बिगाड़ने में जिम्मेदार लोगों के कारनामे ऑफ द रिकॉर्ड बातचीत में खुलकर सामने आए. जिसमें खुद निगम के टाउन प्लानर मोहन सिंह ने माना कि वे तो कार्रवाई करने को तैयार हैं, लेकिन कार्रवाई से पहले ही ऊपर से दबाव आ जाता है. ऐसे में उन्हें उल्टे पांव वापस आना पड़ता है. बातचीत के दौरान उन्होंने खुलासा किया कि शहर में रिहायशी इमारतें ही नहीं बल्कि 10-20 लाख रुपए देकर कई बड़े शोरूम, ढाबे और होटल भी बिना नक्शा पास कराए चल रहे हैं. जिनके पीछे राजनीतिक आकाओं का हाथ होता है.

क्लिक कर देखें वीडियो.

शिकायत मिलने पर औपचारिकता होती है पूरी
जब कोई शिकायत करता है तो नोटिस देकर औपचारिकता पूरी कर ली जाती है, हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि किसी तरह की शिकायत पर वे संबंधित इमारत के मालिक को नोटिस देते हैं और काम को बंद करा दिया जाता है.

करनाल नगर निगम के मुताबिक इमारत बनाने के नियम :-

  • मकान बनाने से पहले अधिकृत आर्किटेक्ट या अभियंता से मकान का नक्शा बनवाना.
  • नक्शे को नगर निगम से पास करवाना जरुरी है .
  • मकान के चारों ओर 1 फीट जमीन छोड़ना होता है .
  • नाली का निकास निर्धारित नाले की ओर होना चाहिए.
  • मकान के धरातल की ऊंचाई भी सामान्य से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.
  • निवास के लिए बनाए भवन में व्यवसायिक कार्य नहीं कर सकते हैं.
  • 3 मंजिल से ज्यादा ऊंची बिल्डिंग का निर्माण नहीं कर सकते हैं.

मेयर और उप नगर कमिश्नर के पास भी जवाब नहीं

ऑफ द रिकॉर्ड बातचीत में ये साफ हो गया कि नगर निगम करनाल में खाने के दांत कुछ और और दिखाने के कुछ और हैं. इस बारे में जब निगम के उप कमिश्नर धीरज कुमार और मेयर रेनू बाला गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने किसी प्रकार के राजनीतिक दवाब से इंकार कर दिया और कहा कि शहर में अवैध इमारतों की शिकायत पर निगम पूरी पारदर्शिता से कार्रवाई करता है.

इसमें सबसे पहले नोटिस दिया जाता है. उसके बाद अगर इमारत का मालिक शर्ते पूरी नहीं करता है तो कानूनी एक्शन लेते हुए इमारत को सील किया जाता है. हालांकि अब तक कितनी इमारतों को सील किया गया है, इस सवाल का स्पष्ट जवाब किसी के पास नहीं था.

मेयर और उप निगम कमिश्नर की गोलमोल बातों से साफ होता है कि मकान बनाने के लिए नगर निगम के बनाए नियम सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह रहे हैं और हकीकत में रिश्वत, राजनीतिक दबाव और दूसरे अवैध तरीकों को अपनाकर भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली सरकार के मुखिया के शहर में भ्रष्टाचार का नंगा नाच हो रहा है.

करनालः सीएम सिटी करनाल में अवैध निर्माण का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है. नगर निगम अधिकारियों के नाक के नीचे शहर के पॉश एरिया से लेकर तंग गलियों तक में अवैध इमारतें रोजाना सर उठा रही हैं.

हालात ये हैं कि मकान बनाने के लिए नगर निगम के नियमों का उल्लंघन करके बिना नक्शा पास कराए, बिना फायर एनओसी लिए नगर निगम के अधिकारियों को पैसे खिलाकर और राजनीतिक संरक्षण में शहर के पॉश इलाकों में और पतली गलियों में बिना रोकटोक के कई इमारतें, होटल, ढाबे, शो रुम और रिहायशी इमारतें बन रही हैं.

राजनीतिक संरक्षण में हो रहा काम

नियमों को ताक पर रखकर शहर की सूरत बिगाड़ने और हादसों को न्योता देने के काम में निगम के चुने हुए जनप्रतिनिधि से लेकर निगम के कर्मचारी तक शामिल हैं, जिनके आशीर्वाद की बदौलत करनाल शहर अवैध कब्जों और अवैध इमारतों का जंगल बनता जा रहा है.

रुपया, रसूख और राजनीति का बंधक बना नगर निगम
शहर की सूरत बिगाड़ने में जिम्मेदार लोगों के कारनामे ऑफ द रिकॉर्ड बातचीत में खुलकर सामने आए. जिसमें खुद निगम के टाउन प्लानर मोहन सिंह ने माना कि वे तो कार्रवाई करने को तैयार हैं, लेकिन कार्रवाई से पहले ही ऊपर से दबाव आ जाता है. ऐसे में उन्हें उल्टे पांव वापस आना पड़ता है. बातचीत के दौरान उन्होंने खुलासा किया कि शहर में रिहायशी इमारतें ही नहीं बल्कि 10-20 लाख रुपए देकर कई बड़े शोरूम, ढाबे और होटल भी बिना नक्शा पास कराए चल रहे हैं. जिनके पीछे राजनीतिक आकाओं का हाथ होता है.

क्लिक कर देखें वीडियो.

शिकायत मिलने पर औपचारिकता होती है पूरी
जब कोई शिकायत करता है तो नोटिस देकर औपचारिकता पूरी कर ली जाती है, हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि किसी तरह की शिकायत पर वे संबंधित इमारत के मालिक को नोटिस देते हैं और काम को बंद करा दिया जाता है.

करनाल नगर निगम के मुताबिक इमारत बनाने के नियम :-

  • मकान बनाने से पहले अधिकृत आर्किटेक्ट या अभियंता से मकान का नक्शा बनवाना.
  • नक्शे को नगर निगम से पास करवाना जरुरी है .
  • मकान के चारों ओर 1 फीट जमीन छोड़ना होता है .
  • नाली का निकास निर्धारित नाले की ओर होना चाहिए.
  • मकान के धरातल की ऊंचाई भी सामान्य से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.
  • निवास के लिए बनाए भवन में व्यवसायिक कार्य नहीं कर सकते हैं.
  • 3 मंजिल से ज्यादा ऊंची बिल्डिंग का निर्माण नहीं कर सकते हैं.

मेयर और उप नगर कमिश्नर के पास भी जवाब नहीं

ऑफ द रिकॉर्ड बातचीत में ये साफ हो गया कि नगर निगम करनाल में खाने के दांत कुछ और और दिखाने के कुछ और हैं. इस बारे में जब निगम के उप कमिश्नर धीरज कुमार और मेयर रेनू बाला गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने किसी प्रकार के राजनीतिक दवाब से इंकार कर दिया और कहा कि शहर में अवैध इमारतों की शिकायत पर निगम पूरी पारदर्शिता से कार्रवाई करता है.

इसमें सबसे पहले नोटिस दिया जाता है. उसके बाद अगर इमारत का मालिक शर्ते पूरी नहीं करता है तो कानूनी एक्शन लेते हुए इमारत को सील किया जाता है. हालांकि अब तक कितनी इमारतों को सील किया गया है, इस सवाल का स्पष्ट जवाब किसी के पास नहीं था.

मेयर और उप निगम कमिश्नर की गोलमोल बातों से साफ होता है कि मकान बनाने के लिए नगर निगम के बनाए नियम सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह रहे हैं और हकीकत में रिश्वत, राजनीतिक दबाव और दूसरे अवैध तरीकों को अपनाकर भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली सरकार के मुखिया के शहर में भ्रष्टाचार का नंगा नाच हो रहा है.

Intro:
निगम अधिकारियों की दूर की नजर ठीक लेकिन पास की कमजोर ,शहर में निगम की नाक के नीचे सिर उठा रही अवैध इमारते , न नक्शा पास न अग्निशमन विभाग की मंजूरी, सूरत जैसे हादसे की इंतजार में जिला प्रशासन,ईटीवी भारत के ख़ुफ़िया कैमरे पर निगम के टाउन प्लानर ने माना पैसे देकर शहर में कई इमारतें होटल ,ढाबे ,शोरूम और रिहायशी इमारतें बन रही बिना नक्शे के , कार्यवाही करें तो आ जाता है राजनितिक दबाव। Body:
करनाल नगर निगम की सूरते हाल बहुत अच्छे नही हैं । नगर निगम अधिकारियों की नाक के नीचे शहर के पाश एरिया से लेकर तंग गलियों तक मे अवैध इमारते रोजाना सर उठा रही हैं वहीं निगम अधिकारी बाहरी क्षेत्रों में लाव लश्कर के साथ गरीबों के आशियानों को तोड़ने में मशगूल हैं । अगर कहा जाए कि निगम अधिकारियों की दूर की नजर तो ठीक है लेकिन पास की नजर कमजोर है तो गलत नही होगा । इस कार्य में कुछ लोगों जिनमे निगम के चुने हुए जनप्रतिनिधि से लेकर निगम के कर्मचारी भी शामिल हैं के आशीर्वाद की बदौलत करनाल शहर अवैध कब्जों और अवैध इमारतों का जंगल बनता जा रहा है । शहर की सूरत बिगाड़ने में जिम्मेदार लोगों के कारनामों का कच्चा चिठ्ठा हमारे स्टिंग ऑपरेशन में कैद हुआ है जिसमे खुद निगम के टाउन प्लानर मोहन सिंह ने माना की वे तो कार्यवाही करने को तैयार हैं लेकिन कार्यवाही से पहले ही ऊपर से दबाव आ जाता है , ऐसे में उन्हें उलटे पाँव वापिस आना पड़ता है। स्टिंग के दौरान उन्होंने खुलासा किया की शहर में रिहायशी इमारते ही नहीं अपितु दस बीस लाख देकर कई बड़े शोरूम , ढाबे और होटल भी बिना नक्शा पास चल रहे हैं , इनके पीछे राजनितिक आकाओं का हाथ होता है जिसमे खुद मेयर रेणुबाला गुप्ता,उनके पति बृज गुप्ता व् वार्ड पार्षद शामिल है। जब कोई शिकायत करता है तो नोटिस देकर औपचारिकता पूरी कर ली जाती है। हालाँकि कैमरे पर उन्होंने कहा की किसी तरह की शिकायत पर वे संबंधित इमारत के मालिक को नोटिस देते हैं और काम को बंद करा दिया जाता है।

ख़ुफ़िया कैमरे पर हुए इस सनसनीखेज खुलासे से सपष्ट हो गया की नगर निगम करनाल के खाने के दांत कुछ और तो दिखाने के कुछ और हैं। इस बारे में जब हमने निगम के उप कमिश्नर धीरज कुमार व मेयर रेनू बाला से सवाल किया तो उन्होंने किसी प्रकार के राजनितिक दबाव से इंकार करते हुए कहा की शहर में अवैध इमारतों की शिकायत पर निगम द्वारा पूरी पारदर्शिता से कार्यवाही की जाती है , इसमें सबसे पहले नोटिस दिया जाता है इसके बाद अगर इमारत के मालिक द्वारा शर्ते पूरी नहीं की जाती तो क़ानूनी एक्शन लेते हुए इमारत को सील किया जाता है। हालाँकि अब तक कितनी इमारतों को सील किया गया है इस पर दोनों अधिकारी कोई सपष्ट जवाब नहीं दे पाए। धीरज कुमार ने कहा की उनकी पहली प्राथमिकता शहर में बन रही अवैध कालोनियां हैं जिन पर निगम द्वारा प्रभावी कार्यवाही की जा रही है।

नगरनिगम के मुताबिक क्या है नगर में मकान बनाने का नियम :

1 - मकान बनाने के पहले अधिकृत आर्किटेक या अभियंता से मकान का नक्शा बनाना

2 - उस नक्शे को नगर पंचायत से पास कराना अनिवार्य है।

3 - मकान के चारों ओर एक-एक फीट जमीन छोड़ना होता है।

4 - नाली का निकास निर्धारित नाले की ओर होनी चाहिए।

5 - मकान के धरातल की ऊचाई भी सामान्य से अधिक नहीं होनी चाहिए।

6 - निवास के लिए बनाये घर में नहीं कर सकते व्यावासिक कार्य

7 - पास नक़्शे मुताबिक़ 3 मंजिल से ज्यादा निर्माण नहीं कर सकते Conclusion: Sting opration

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Last Updated : Jul 30, 2019, 9:08 PM IST
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