करनालः सीएम सिटी करनाल में अवैध निर्माण का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है. नगर निगम अधिकारियों के नाक के नीचे शहर के पॉश एरिया से लेकर तंग गलियों तक में अवैध इमारतें रोजाना सर उठा रही हैं.
हालात ये हैं कि मकान बनाने के लिए नगर निगम के नियमों का उल्लंघन करके बिना नक्शा पास कराए, बिना फायर एनओसी लिए नगर निगम के अधिकारियों को पैसे खिलाकर और राजनीतिक संरक्षण में शहर के पॉश इलाकों में और पतली गलियों में बिना रोकटोक के कई इमारतें, होटल, ढाबे, शो रुम और रिहायशी इमारतें बन रही हैं.
राजनीतिक संरक्षण में हो रहा काम
नियमों को ताक पर रखकर शहर की सूरत बिगाड़ने और हादसों को न्योता देने के काम में निगम के चुने हुए जनप्रतिनिधि से लेकर निगम के कर्मचारी तक शामिल हैं, जिनके आशीर्वाद की बदौलत करनाल शहर अवैध कब्जों और अवैध इमारतों का जंगल बनता जा रहा है.
रुपया, रसूख और राजनीति का बंधक बना नगर निगम
शहर की सूरत बिगाड़ने में जिम्मेदार लोगों के कारनामे ऑफ द रिकॉर्ड बातचीत में खुलकर सामने आए. जिसमें खुद निगम के टाउन प्लानर मोहन सिंह ने माना कि वे तो कार्रवाई करने को तैयार हैं, लेकिन कार्रवाई से पहले ही ऊपर से दबाव आ जाता है. ऐसे में उन्हें उल्टे पांव वापस आना पड़ता है. बातचीत के दौरान उन्होंने खुलासा किया कि शहर में रिहायशी इमारतें ही नहीं बल्कि 10-20 लाख रुपए देकर कई बड़े शोरूम, ढाबे और होटल भी बिना नक्शा पास कराए चल रहे हैं. जिनके पीछे राजनीतिक आकाओं का हाथ होता है.
शिकायत मिलने पर औपचारिकता होती है पूरी
जब कोई शिकायत करता है तो नोटिस देकर औपचारिकता पूरी कर ली जाती है, हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि किसी तरह की शिकायत पर वे संबंधित इमारत के मालिक को नोटिस देते हैं और काम को बंद करा दिया जाता है.
करनाल नगर निगम के मुताबिक इमारत बनाने के नियम :-
- मकान बनाने से पहले अधिकृत आर्किटेक्ट या अभियंता से मकान का नक्शा बनवाना.
- नक्शे को नगर निगम से पास करवाना जरुरी है .
- मकान के चारों ओर 1 फीट जमीन छोड़ना होता है .
- नाली का निकास निर्धारित नाले की ओर होना चाहिए.
- मकान के धरातल की ऊंचाई भी सामान्य से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.
- निवास के लिए बनाए भवन में व्यवसायिक कार्य नहीं कर सकते हैं.
- 3 मंजिल से ज्यादा ऊंची बिल्डिंग का निर्माण नहीं कर सकते हैं.
मेयर और उप नगर कमिश्नर के पास भी जवाब नहीं
ऑफ द रिकॉर्ड बातचीत में ये साफ हो गया कि नगर निगम करनाल में खाने के दांत कुछ और और दिखाने के कुछ और हैं. इस बारे में जब निगम के उप कमिश्नर धीरज कुमार और मेयर रेनू बाला गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने किसी प्रकार के राजनीतिक दवाब से इंकार कर दिया और कहा कि शहर में अवैध इमारतों की शिकायत पर निगम पूरी पारदर्शिता से कार्रवाई करता है.
इसमें सबसे पहले नोटिस दिया जाता है. उसके बाद अगर इमारत का मालिक शर्ते पूरी नहीं करता है तो कानूनी एक्शन लेते हुए इमारत को सील किया जाता है. हालांकि अब तक कितनी इमारतों को सील किया गया है, इस सवाल का स्पष्ट जवाब किसी के पास नहीं था.
मेयर और उप निगम कमिश्नर की गोलमोल बातों से साफ होता है कि मकान बनाने के लिए नगर निगम के बनाए नियम सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह रहे हैं और हकीकत में रिश्वत, राजनीतिक दबाव और दूसरे अवैध तरीकों को अपनाकर भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली सरकार के मुखिया के शहर में भ्रष्टाचार का नंगा नाच हो रहा है.