करनाल: सीएम सिटी करनाल में स्थित देश के एकमात्र गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक लगातार प्रयासरत हैं कि कैसे किसानों की आय को दोगुना किया जा सके. जिसके लिए यहां वैज्ञानिक गेहूं एवं जौ कि नई-नई किस्मों पर शोध कर रहे हैं. इसका अब खासा असर देखने को मिल रहा है. गेहूं कई ऐसी किस्में संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार की गई हैं जो प्रति हेक्टेयर 100 क्विंटल तक की पैदावार देने की क्षमता रखती हैं और जिससे किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी.
राष्ट्रीय गेहूं और जौ अनुसंधान केंद्र ने गेहूं की 10 नई किस्में और जौ की एक नए किस्म ईजाद की है. इन किस्मों की खेती करने से किसानों की आर्थिक स्थिति में क्रांतिकारी सुधार होगा क्योंकि परीक्षण के दौरान इन किस्मों से अच्छी पैदावर होने के परिणाम मिले हैं. अनुसंधान केंद्र के निदेशक जीपी सिंह ने बताया कि इस बार देश में गेहूं 10 किस्मों की पहचान की गई है और जौ की एक नई किस्म ईजाद की है. गेहूं एक किस्म एचडी-3298 कम पानी वाले क्षेत्र में उपयोगी होगी, वहीं एचडी-3293 किस्म बिना पानी के उत्पादन में सक्षम है.
गेहूं की नए किस्में-
- उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों के लिए एचडी-3298 (कम पानी वाले क्षेत्र में उपयोगी)
- डीबीडब्ल्यू-187 अगेती बुवाई सिंचित
- डीबीडब्ल्यू-303 अगेती बुवाई सिंचित
- डब्ल्यूएच-1270 अगेती सिंचित
- उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्र के लिए एचडी-3293 (बिना पानी उत्पादन में सक्षम)
- मध्य क्षेत्र के लिए सीजी-1029 सिंचित
- एचआई-1634 देर से बुवाई
- प्रायद्वीपीय क्षेत्र के लिए डीडब्ल्यू-48डी
- एनआई-1633 सिंचित देर से बुवाई
- एनआईडीडब्ल्यू-1149डी सीमित सिंचाई समय से बुवाई
गेहूं की जो ये 10 नए किस्में ईजाद की गई हैं इनमें से तीन किस्मों ने पैदाकर के अविश्वसनीय परिणाम दिए हैं. ये किस्में हैं- डीबीडब्ल्यू-303, डीबीडब्ल्यू-187 और डब्ल्यूएच-1270. अब इन किस्मों की खूबी के बारे में बात करते हैं-
डीबीडब्ल्यू-303: इस किस्म की प्रति हेक्टेयर पैदावार औसतन 81.01 क्विंटल है. इस किस्म की खास बात ये है कि ये किसी भी मौसम में यह गिरती नहीं है. इसका तना भी 85 सेंटीमीटर तक बढ़ता है और इसमें भूसा भी अच्छा निकलेगा.
डीबीडब्ल्यू-187: ये एक अगेती किस्म है. पहले ये पूर्वी भारत में लगाई जाती थी, लेकिन अब इसे उत्तरी भारत के लिए भी रिलीज कर दिया गया है. इसकी पैदावार प्रति हेक्टेयर 100 क्विंटल तक है.
डब्ल्यूएच-1270: ये किस्म चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय ने ईजाद की है. इसकी पैदावर प्रति हेक्टेयर 76 क्विंटल है. इस किस्म पर पिछले 2 साल से रिसर्च चल रही थी.
गेहूं इन तीन किस्मों के अलावा दो और किस्म ऐसी हैं जो कम या बिना पानी वाले क्षेत्रों के लिए खास तौर पर ईजाद की गई हैं. गेहूं एक किस्म एचडी-3298 कम पानी वाले क्षेत्र में उपयोगी होगी, वहीं एचडी-3293 किस्म बिना पानी के उत्पादन में सक्षम है.
जौ की नई किस्म से बनेगी अच्छी बीयर
गेहूं की नई किस्मों के अलावा जौ की भी एक नई किस्म का पताया लगाया गया है. इस किस्म का नाम है, डीडब्ल्यूआरबी-182. वैज्ञानिकों का दावा है कि जौ की ये श्रेष्ठ किस्म है और इससे अच्छी बीयर बनेगी. दक्षिण हरियाणा और राजस्थान के किसानों को इसका सीधा फायदा होगा. वहीं पूरे देश में भी इसकी डिमांड बढ़ने की उम्मीद है.
अब सवाल ये है कि ये सभी किस्में किसानों को कब तक उपलब्ध हो पाएंगी. इस बारे में भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान केंद्र करनाल के निदेशक ने जीपी सिंह ने बताया कि संस्थान प्रयास कर रही है कि जल्द से जल्द किसानों को नई किस्मों के बीज उपलब्ध करवाए जाएं. हालांकि किसानों तक बीज पहुंचने में 2 से 3 साल तक लग जाते हैं, लेकिन हम कुछ किसानों को जल्द ही ये बीज उपलब्ध करवाने की कोशिश करेंगे.
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