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जींंद: शुगर मिल की पेराई क्षमता बढ़ाने के काम में हो रही देरी को लेकर किसानों ने किया प्रदर्शन

जींद में शुगर मिल की क्षमता बढ़ाने के काम में हो रही देरी को लेकर किसानों ने मिल प्रबंधन के खिलाफ प्रदर्शन किया. नई फसल आने तक चीनी मिल की क्षमता नहीं बढ़ी तो किसान दर-दर भटकेंगे.

jind farmers protest sugar mill
jind farmers protest sugar mill
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Published : Jul 14, 2020, 3:33 PM IST

जींद: शुगर मिल में अगले 4 महीनों में नई फसल आने वाली है, लेकिन पेराई क्षमता बढ़ाने के लिए दूसरे चरण का काम शुरू नहीं हुआ है. काम शुरू होने में देरी के लिए मिल प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराते हुए किसान लगातार रोष जता रहे हैं. किसानों द्वारा जल्द काम शुरू करने की मांग की जा रही है. गौरतलब है कि इस बार गन्ने का रकबा बढ़ा है, ऐसे में अगर सीजन शुरू होने से पहले पेराई क्षमता नहीं बढ़ी, तो किसानों का लाखों क्विंटल गन्ना शुगर मिल नहीं ले पाएगा.

किसानों को हो सकता है बड़ा नुकसान

गन्ना उत्पादक किसान ऋषिपाल का कहना है कि पिछले कार्यकाल में सीएम मनोहर लाल ने मिल की पेराई क्षमता 16 हजार से बढ़ा कर 22 हजार क्विंटल प्रतिदिन करनी थी. इसका एक चरण का काम पूरा हो चुका है. दूसरे चरण का काम मई में पेराई सीजन खत्म होने के साथ ही शुरू हो जाना चाहिए था ताकि नए सीजन की शुरुआत से पहले काम पूरा हो जाता, लेकिन मिल प्रबंधन अब तक दूसरे चरण के काम के टेंडर भी नहीं लगा पाया है. ऐसे में टेंडर प्रक्रिया में ही काफी समय लग जाएगा और दीपावली से पहले पेराई का नया सीजन शुरू हो जाएगा. मिल की पेराई क्षमता कम होने के कारण किसानों का पूरा गन्ना मिल प्रबंधन नहीं ले पाएगा.

जींद के शुगर मिल की पेराई क्षमता बढ़ाने के काम में हो रही देरी को लेकर किसानों ने किया प्रदर्शन.

बता दें कि, पिछली बार क्षेत्र में 13,250 एकड़ में गन्ना था. इस बार 15,968 एकड़ में गन्ना है और 2718 एकड़ रकबा बढ़ा है. इससे गन्ने का उत्पादन करीब पांच क्विंटल और बढ़ जाएगा. पिछले सत्र में 2,85,500 क्विंटल गन्ने की पेराई हुई थी और 25 मई तक मिल चलाना पड़ा था. अगर नया सीजन शुरू होने से पहले मिल की क्षमता नहीं बढ़ी, तो मिल किसानों का सारा गन्ना नहीं ले पाएगा.

सीएम के आश्वासन पर बढ़ाई थी गन्ने की बुवाई

वहीं अगर अगले 4 महीनों के अंदर मिल की क्षमता नहीं बढ़ पाई तो किसान अपने गन्ने को बेचने के लिए दर-दर भटकने को मजबूर होंगे क्योंकि मुख्यमंत्री के आश्वासन पर किसानों ने गन्ने की बुवाई तो बढ़ा दी है, लेकिन अब पेराई के लिए मिल की क्षमता कम होना उनके लिए गले की फांस बन गई है क्योंकि अगर फसल आने तक मिल की क्षमता नहीं बढ़ी तो उन्हें पंजाब, उत्तर प्रदेश के शुगर मिलों में गन्ना लेकर जाना पड़ सकता है.

वहीं चीनी मिल के प्रबंधक राजेश कोथ का कहना है कि पेराई क्षमता बढ़ाने का पहले चरण का काम पूरा हो चुका है. दूसरे चरण में 25 करोड़ रुपये से काम होना है. इसकी डीपीआर तैयार हो चुकी है, जल्द ही टेंडर मांगे जाएंगे. कोरोना काल के चलते इसकी प्रक्रिया में देरी हुई है. गन्ने का रकबा बढ़ा है, सभी किसानों का गन्ना लिया जाएगा. इसके लिए शुगर मिल को समय से पहले बढ़ाने, दूसरे मिल में गन्ना भेजने या जो भी किसानों के हित में होगा, वो कदम उठाया जाएगा.

ये भी पढ़ें- हरियाणा को मिली 8 सुपर हाई-वे की सौगात, नितिन गडकरी ने किया परियोजनाओं का शिलान्यास

जींद: शुगर मिल में अगले 4 महीनों में नई फसल आने वाली है, लेकिन पेराई क्षमता बढ़ाने के लिए दूसरे चरण का काम शुरू नहीं हुआ है. काम शुरू होने में देरी के लिए मिल प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराते हुए किसान लगातार रोष जता रहे हैं. किसानों द्वारा जल्द काम शुरू करने की मांग की जा रही है. गौरतलब है कि इस बार गन्ने का रकबा बढ़ा है, ऐसे में अगर सीजन शुरू होने से पहले पेराई क्षमता नहीं बढ़ी, तो किसानों का लाखों क्विंटल गन्ना शुगर मिल नहीं ले पाएगा.

किसानों को हो सकता है बड़ा नुकसान

गन्ना उत्पादक किसान ऋषिपाल का कहना है कि पिछले कार्यकाल में सीएम मनोहर लाल ने मिल की पेराई क्षमता 16 हजार से बढ़ा कर 22 हजार क्विंटल प्रतिदिन करनी थी. इसका एक चरण का काम पूरा हो चुका है. दूसरे चरण का काम मई में पेराई सीजन खत्म होने के साथ ही शुरू हो जाना चाहिए था ताकि नए सीजन की शुरुआत से पहले काम पूरा हो जाता, लेकिन मिल प्रबंधन अब तक दूसरे चरण के काम के टेंडर भी नहीं लगा पाया है. ऐसे में टेंडर प्रक्रिया में ही काफी समय लग जाएगा और दीपावली से पहले पेराई का नया सीजन शुरू हो जाएगा. मिल की पेराई क्षमता कम होने के कारण किसानों का पूरा गन्ना मिल प्रबंधन नहीं ले पाएगा.

जींद के शुगर मिल की पेराई क्षमता बढ़ाने के काम में हो रही देरी को लेकर किसानों ने किया प्रदर्शन.

बता दें कि, पिछली बार क्षेत्र में 13,250 एकड़ में गन्ना था. इस बार 15,968 एकड़ में गन्ना है और 2718 एकड़ रकबा बढ़ा है. इससे गन्ने का उत्पादन करीब पांच क्विंटल और बढ़ जाएगा. पिछले सत्र में 2,85,500 क्विंटल गन्ने की पेराई हुई थी और 25 मई तक मिल चलाना पड़ा था. अगर नया सीजन शुरू होने से पहले मिल की क्षमता नहीं बढ़ी, तो मिल किसानों का सारा गन्ना नहीं ले पाएगा.

सीएम के आश्वासन पर बढ़ाई थी गन्ने की बुवाई

वहीं अगर अगले 4 महीनों के अंदर मिल की क्षमता नहीं बढ़ पाई तो किसान अपने गन्ने को बेचने के लिए दर-दर भटकने को मजबूर होंगे क्योंकि मुख्यमंत्री के आश्वासन पर किसानों ने गन्ने की बुवाई तो बढ़ा दी है, लेकिन अब पेराई के लिए मिल की क्षमता कम होना उनके लिए गले की फांस बन गई है क्योंकि अगर फसल आने तक मिल की क्षमता नहीं बढ़ी तो उन्हें पंजाब, उत्तर प्रदेश के शुगर मिलों में गन्ना लेकर जाना पड़ सकता है.

वहीं चीनी मिल के प्रबंधक राजेश कोथ का कहना है कि पेराई क्षमता बढ़ाने का पहले चरण का काम पूरा हो चुका है. दूसरे चरण में 25 करोड़ रुपये से काम होना है. इसकी डीपीआर तैयार हो चुकी है, जल्द ही टेंडर मांगे जाएंगे. कोरोना काल के चलते इसकी प्रक्रिया में देरी हुई है. गन्ने का रकबा बढ़ा है, सभी किसानों का गन्ना लिया जाएगा. इसके लिए शुगर मिल को समय से पहले बढ़ाने, दूसरे मिल में गन्ना भेजने या जो भी किसानों के हित में होगा, वो कदम उठाया जाएगा.

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