जींद: किसानों को कुदरत की मार से बचाने के लिए चलाई गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना धरातल पर फेल हो रही है. पहले से ही कई तरह के नुकसान झेल रहे किसानों को इस योजना से भी फायदा होने के बजाए नुकसान ही हो रहा है.
सबसे पहले आपको ये बताते हैं कि आखिर ये फसल बीमा योजना क्या है ?
दरअसल इस योजना के तहत किसानों की फसलों का बीमा किया जाता है जिसकी एक निश्चित राशि उनके बैंक खाते से काटी जाती है. उसके बाद उस किसान की फसल में अगर किसी तरह का कोई प्राकृतिक नुकसान होता है तो उसकी भरपाई बीमा कंपनी द्वारा की जाती है.
फसल में किसी भी तरह का बारिश से या फिर मौसम की मार से नुकसान होने पर किसान को बीमा कंपनी को सूचित करना होता है जिसके बाद बीमा कंपनी के अधिकारी मौके पर जाकर रिपोर्ट तैयार करते हैं. फिर क्षेत्र के कृषि अधिकारी के निर्देशानुसार उस फसल के नुकसान की मुआवजा राशि तय की जाती है जिसके बाद वह राशि बीमा कंपनी को किसान के खाते में जमा करवानी होती है.
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किसानों ने सुनाया अपना दुख
इस योजना की धरातल पर क्या स्थिति है किसानों को मुआवजा मिल पा रहा है या नहीं इसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने किसानों से बातचीत की तो मिली जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली. अधिकतर किसानों ने कहा कि बीमा प्रीमियम के नाम पर हमारे खातों से पैसे तो काट लिए जाते हैं पर फसल खराब होने पर मुआवजा नहीं मिलता. इस योजना में बहुत कमियां है. कुछ अधिकारी गौर नहीं करते और बीमा कंपनियां समय पर क्लेम भी नहीं देती है
बता दें कि इस योजना तहत किसानों को खरीफ की फसल के लिये 2 फीसदी प्रीमियम और रबी की फसल के लिये 1.5% प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है. इस योजना में प्राकृतिक आपदाओं के कारण खराब हुई फसल के मामले में बीमा प्रीमियम को बहुत कम रखा गया है. ये योजना बागवानी फसलों के लिए भी बीमा सुरक्षा प्रदान करती है. इसमें हालांकि किसानों को 5% प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है.
कब खुलेगी सरकार की नींद ?
यहां गौर करने वाली बात ये है कि भले ही ये योजना कितनी भी अच्छी क्यों ना लग रही हो लेकिन सभी किसानों तक इसका फायदा नहीं पहुंच पा रहा है. कहीं अधिकारियों की लापरवाही और तो कहीं बीमा कंपनी की चालाकी. आखिर में हर तरह की मार किसान को ही पड़ रही है. अब देखना होगी कि किसानों की आय दोगुनी करने वाली ये सरकार क्या इस ओर ध्यान देकर किसानों को इस नुकसान ये बचाएगी या सिर्फ वादे ही करती रहेगी.
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