हिसार: नवंबर, दिसंबर, जनवरी और फरवरी का समय डेयरी व्यवसाय के लिए सुनहरा वक्त माना जाता है. क्योंकि अधिकतर गाय और भैंस इन्हीं महीनों में ज्यादा दूध देती हैं. ये काल दुधारू पशुओं के प्रजनन के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. साथ ही इन दिनों पशुओं की अधिक केयर की आवश्यकता होती है. क्योंकि अमूमन इन दिनों में ही पशुओं के नवजात बच्चों की मृत्यु दर में इजाफा देखने को मिलता है. इसलिए सर्दी के मौसम में पशुओं के रख-रखाव के कुछ विशेष उपाय किए जाने की आवश्यकता होती है.
सर्दियों में पशुओं के आहार एवं जल प्रबंधन
पशुधन उत्पादक प्रबंधन के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. जितेंद्र भिडेन की माने तो सर्दी के मौसम में दुधारू पशुओं को ऊर्जा की अधिक आवश्यकता होती है. इसलिए इन दिनों दुधारू पशुओं को प्रतिदिन 1 किलोग्राम दाना मिश्रण प्रति पशु के हिसाब से अतिरिक्त खिलाना चाहिए. जिससे दुधारू पशुओं का दूध उत्पादन बना रहता है और दुधारू पशुओं के बीमार होने का खतरा कम हो जाता है. डॉ. जितेंद्र भिडेन कहते है कि सर्दी के मौसम में पशुओं को हरे चारे के साथ-साथ सूखा चारा जैसे गेहूं की तूड़ी भी अवश्य खिलाएं और हो सके तो पशुओं के राशन में गुड, शीरा,बिनोले का इस्तेमाल जरूर करे. ताकि सर्दी के मौसम में पशुओं में ऊर्जा बनी रहे.
कैसे करें सर्दियों में पशुओं का रख रखाव
डॉ. जितेंद्र भिडेन कहते है कि सर्दी के मौसम में पशुओं को गीला चारा बिल्कुल ना दें. इससे पशुओं में आफरा होने की संभावना बढ़ जाती है. साथ ही भिडेन कहते हैं कि सर्दी के मौसम में पशुओं को ठंडा पानी ना पिलाएं. क्योंकि पशु ठंडा पानी कम ही पीते हैं. सामान्यता पशु 15 से 20 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान का पानी पिना अधिक पसंद करते हैं. इसलिए उन्हें दो-तीन दिन का रखा हुआ पानी ना पिलाए. यदि हो सके तो पशुओं को ताजा पानी पिलाएं.
सर्दियों में कैसे बढ़ जाती है नवजातों की मृत्यु दर
सर्दियों के मौसम में धुंध और बारिश के कारण अक्सर पशुओं के बाड़े का फर्श गीला रहता है. जिससे पशु ठंड में फर्श पर बैठने से कतराते हैं. ऐसे में पशुओं के बीमार होने का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए सर्दी के मौसम में पशुओं के बाड़े में अच्छी तरह से बिछावन तैयार करें. ताकि पशुओं को सर्दी से बचाया जा सके. साथ ही इस मौसम में पशुओं के नवजात बछड़े, बछड़ीयों का विशेष ध्यान रखना पड़ता है. क्योंकि इन दिनों नवजातों की मृत्यु दर अधिक हो जाती है. डॉ. जितेंद्र भिडेन कहते है कि पशुओं के नवजातों को सर्दी के मौसम में रात के समय बंद कमरे या चारों ओर से बंद शेड के अंदर बांधना चाहिए.
पशुओं के बीमारी से बचाव के उपाय
डॉ. जितेंद्र भिडेन कहते हैं कि ठंड में पैदा होने वाले बछड़े, बछड़ियों के शरीर को बोरी से बांधकर रखे. जिससे उनके शरीर को गर्मी मिलती रहे और रक्त संचार होता रहे. ठंड में बछड़े, बछड़ीयां सफेद दस्त, निमोनिया जैसे बीमारी से ग्रस्त हो जाते हैं. इसलिए सर्दीयों में पशुघर को चारों तरफ से ढक कर रखें. यदि हो सके तो रात के समय पशुघर में हीटर का प्रयोग करे. ताकि पशुओं को ठंड़ से बचाया जा सके. डॉ. जितेंद्र भिडेन कहते हैं कि सर्दीयों के मौसम में पशुओं और नवजात को नहलाने से बचे. केवल धूप निकलने पर ही पशुओं को नहलाएं.
थनैला बीमारी को रोकने के उपाय
सर्दियों में दुधारू पशुओं के अक्सर थनों में सूजन आ जाती है. इससे दूध दोहन में परेशानी के साथ-साथ थनैला बीमारी की संभावना बढ़ जाती है. इसके बचाव के लिए दूध निकालने के बाद कम से कम आधे घंटे तक पशु को जमीन पर बैठने ना दिया जाए.थनैला रोग से पशु को बचाने के लिए दूध दोहन के बाद थनों को पोटेशियम परमैग्नेट के घोल से साफ अवश्य करें.
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जिस तरह से इंसानों को हर मौसम के हिसाब से अपने आप को ढालने की जरूरत होती है वैसे ही आपको अपने पशुओं का भी ध्यान रखना होगा. ताकि सर्दी के इस मौसम में आपके पशु किसी भी तरीके से बीमारी से बच सकें.