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हिसार में पराली जलाने से रोकने के लिए जिला प्रशासन ने की खास तैयारी - हिसार पराली प्रबंधन

हिसार में फसल अवशेष प्रबंधन के लिए खासकर पराली के लिए व्यापक प्रबंध किए गए हैं. उपायुक्त डॉ. प्रियंका सोनी ने बताया कि पराली जलाने से रोकने के लिए प्रशासन पूरी तरह से तैयार है.

hisar stubble management planning
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Published : Oct 7, 2020, 9:41 AM IST

हिसार: फसल अवशेष प्रबंधन विशेषकर पराली के समुचित एवं उचित प्रबंधन को लेकर जिला प्रशासन ने कमर कस ली है. गांव स्तर से लेकर जिला स्तर तक की निगरानी हेतु टीमें गठित की जा चुकी हैं. इसमें विभिन्न विभागों के कर्मचारी/अधिकारी जैसे कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, राजस्व विभाग, पंचायत विभाग आदि इस मुहिम से जुड़े हुए हैं.

जिला उपायुक्त डॉ. प्रियंका सोनी ने बताया कि किसानों को पराली ना जलाने एवं पराली प्रबंधन के फायदे के लिए प्रेरित किया जा रहा है. इसके अतिरिक्त पराली जलाने वाले किसानों पर सख्ती भी की जा रही है. उन्होंने बताया कि जिले में फसल अवशेष प्रबंधन के लिए किसानों को कृषि मशीन/कृषि यंत्र पराली प्रबंधन हेतु उपलब्ध करवाए जा रहे हैं, जो अंतिम चरण हैं.

इसके अलावा जिले में 56 कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित करने की प्रक्रिया भी लगभग पूरी हो चुकी है. इन कृषि यन्त्र/मशीनों की सहायता से किसान खेत या खेत से बाहर पराली का प्रबंध कर सकते हैं. इसके अतिरिक्त डी-कम्पोजर टैक्नोलॉजी के तहत 9 गांवों में वैज्ञानिकों की टीम की सहायता से खेतों में पराली पर छिड़काव करके खाद बनाकर खेत जल्दी तैयार किया जा सकता है.

ये भी पढ़ें- हरियाणा की 87 शहरी नगर निकायों में से 84 में प्रॉपर्टी-आईडी बनाई गई

उपायुक्त ने बताया कि जिले में बिना एसएमएस कम्बाइन हारवेस्टर चलाने पर बैन लगाया जा चुका है. जिले में हरियाणा कृषि प्रबंधन एवं विस्तार संस्थान जीन्द की टीम की सहायता से रेड जोन गांव में किसानों की मशीनरी के संचालन, रख-रखाव एवं तकनीकी के बारे में 12 अक्टूबर से 16 अक्टूबर 2020 तक प्रशिक्षण कैंप लगाए जाएंगे. इन कैंपों में 280 किसानों को प्रशिक्षित किया जाएगा. इसके अतिरिक्त उपायुक्त ने किसानों से आह्वान किया कि खेत की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने एवं पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त करने के लिये पराली को खेत में बेलर से बेल बनाकर अतिरिक्त आमदनी कमाई जा सकती है.

हिसार: फसल अवशेष प्रबंधन विशेषकर पराली के समुचित एवं उचित प्रबंधन को लेकर जिला प्रशासन ने कमर कस ली है. गांव स्तर से लेकर जिला स्तर तक की निगरानी हेतु टीमें गठित की जा चुकी हैं. इसमें विभिन्न विभागों के कर्मचारी/अधिकारी जैसे कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, राजस्व विभाग, पंचायत विभाग आदि इस मुहिम से जुड़े हुए हैं.

जिला उपायुक्त डॉ. प्रियंका सोनी ने बताया कि किसानों को पराली ना जलाने एवं पराली प्रबंधन के फायदे के लिए प्रेरित किया जा रहा है. इसके अतिरिक्त पराली जलाने वाले किसानों पर सख्ती भी की जा रही है. उन्होंने बताया कि जिले में फसल अवशेष प्रबंधन के लिए किसानों को कृषि मशीन/कृषि यंत्र पराली प्रबंधन हेतु उपलब्ध करवाए जा रहे हैं, जो अंतिम चरण हैं.

इसके अलावा जिले में 56 कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित करने की प्रक्रिया भी लगभग पूरी हो चुकी है. इन कृषि यन्त्र/मशीनों की सहायता से किसान खेत या खेत से बाहर पराली का प्रबंध कर सकते हैं. इसके अतिरिक्त डी-कम्पोजर टैक्नोलॉजी के तहत 9 गांवों में वैज्ञानिकों की टीम की सहायता से खेतों में पराली पर छिड़काव करके खाद बनाकर खेत जल्दी तैयार किया जा सकता है.

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उपायुक्त ने बताया कि जिले में बिना एसएमएस कम्बाइन हारवेस्टर चलाने पर बैन लगाया जा चुका है. जिले में हरियाणा कृषि प्रबंधन एवं विस्तार संस्थान जीन्द की टीम की सहायता से रेड जोन गांव में किसानों की मशीनरी के संचालन, रख-रखाव एवं तकनीकी के बारे में 12 अक्टूबर से 16 अक्टूबर 2020 तक प्रशिक्षण कैंप लगाए जाएंगे. इन कैंपों में 280 किसानों को प्रशिक्षित किया जाएगा. इसके अतिरिक्त उपायुक्त ने किसानों से आह्वान किया कि खेत की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने एवं पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त करने के लिये पराली को खेत में बेलर से बेल बनाकर अतिरिक्त आमदनी कमाई जा सकती है.

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