हिसार: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में सोशियो डिजिटल एपरोचीज़ फॉर ट्रांसफोर्मिंग इंडियन एग्रीकल्चर पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ. ये संगोष्ठी भारतीय विस्तार शिक्षा समिति, नई दिल्ली, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार और बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (उत्तर प्रदेश) के संयुक्त तत्वाधान में हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि महाविद्यालय के सभागार में आयोजित की जा रही है. इस अवसर पर हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केपी सिंह मुख्य अतिथि थे, जबकि बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविधालय के कुलपति एवं अध्यक्ष भारतीय विस्तार शिक्षा समिति, नई दिल्ली डॉ. युएस गौतम ने संगोष्ठी की अध्यक्षता की.
गोष्ठी में न्यूजीलैंड के मैसी विश्वविद्यालय के प्रो. क्रेग मैकगिल समेत देश के 23 राज्यों के 500 कृषि विशेषज्ञों ने शिरकत की. इसमें कृषि विस्तार के 12 थीम पर मंथन किया जाएगा. इस सेमिनार में भारत के किसानों की मदद के लिए एक ऐसा सॉफ्टवेयर बनाने पर मंथन किया जाएगा, जिससे किसानों को वातावरण में बदलाव की सब-डिविजन के अनुसार एक हफ्ते पहले ही पूर्ण जानकारी मिल जाएगी. जिससे वे फसल नष्ट होने से पहले ही इसे बचाने के तरीके निकाल पाएंगे.
कृषि विस्तार के जरिये किसानों को इस तकनीक के लिए जागरूक किया जाएगा. किसानों की सबसे बड़ी समस्या जानकारी होते हुए भी इसका प्रयोग न कर पाना है. उन्हें इस बात का ज्ञान तो है कि जानकारी किस वेबसाइट पर उपलब्ध है, परंतु उसे प्रयोग किस प्रकार करना है यह उन्हें नहीं पता चल पाता. इस समस्या को हल करने के लिए कृषि विस्तार के जरिये छोटे से छोटे क्षेत्र तक किसानों को जानकारी दी जाएगी.
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डिजिटल टेक्नोलॉजी के महत्व के बारे में बताते हुए प्रो. केपी सिंह कहा कि वर्तमान में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के नए प्लेटफॉर्म विकसित हुए हैं. जिसमें जीआईएस, रिमोट सेंसिंग, एक्सपर्ट सिस्टम, नॉलेज पोर्टल्स, ई-मार्केटिंग पोर्टल्स आदि मुख्य हैं. इससे सूचना प्रसार और संदेशों को किसानों की नई पीढ़ी तक पहुंचाने से कृषि क्षेत्रों में एक क्रांति पैदा की है. वर्तमान में किसान विभिन्न फसल प्रणाली आधारित एप्स से जुड़कर अपने मोबाईल फोन पर अपनी कृषि संबंधी एवं कृषि उत्पाद के विपणन संबधी समस्याओं का समाधान ले सकते हैं और अपने जोखिम को घटाने के साथ-साथ अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं.