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किसानों को एक हफ्ते पहले ही मिल जाएगी मौसम में बदलाव की जानकारी - तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी हिसार

गोष्ठी में न्यूजीलैंड के मैसी विश्वविद्यालय के प्रो. क्रेग मैकगिल समेत देश के 23 राज्यों के 500 कृषि विशेषज्ञों ने शिरकत की. इसमें कृषि विस्तार के 12 थीम पर मंथन किया जाएगा. इस सेमिनार में भारत के किसानों की मदद के लिए एक ऐसा सॉफ्टवेयर बनाने पर मंथन किया जाएगा, जिससे किसानों को वातावरण में बदलाव की सब-डिविजन के अनुसार एक हफ्ते पहले ही पूर्ण जानकारी मिल जाएगी. जिससे वे फसल नष्ट होने से पहले ही इसे बचाने के तरीके निकाल पाएंगे.

hisar agricultural seminar
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Published : Nov 21, 2019, 12:21 PM IST

हिसार: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में सोशियो डिजिटल एपरोचीज़ फॉर ट्रांसफोर्मिंग इंडियन एग्रीकल्चर पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ. ये संगोष्ठी भारतीय विस्तार शिक्षा समिति, नई दिल्ली, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार और बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (उत्तर प्रदेश) के संयुक्त तत्वाधान में हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि महाविद्यालय के सभागार में आयोजित की जा रही है. इस अवसर पर हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केपी सिंह मुख्य अतिथि थे, जबकि बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविधालय के कुलपति एवं अध्यक्ष भारतीय विस्तार शिक्षा समिति, नई दिल्ली डॉ. युएस गौतम ने संगोष्ठी की अध्यक्षता की.

गोष्ठी में न्यूजीलैंड के मैसी विश्वविद्यालय के प्रो. क्रेग मैकगिल समेत देश के 23 राज्यों के 500 कृषि विशेषज्ञों ने शिरकत की. इसमें कृषि विस्तार के 12 थीम पर मंथन किया जाएगा. इस सेमिनार में भारत के किसानों की मदद के लिए एक ऐसा सॉफ्टवेयर बनाने पर मंथन किया जाएगा, जिससे किसानों को वातावरण में बदलाव की सब-डिविजन के अनुसार एक हफ्ते पहले ही पूर्ण जानकारी मिल जाएगी. जिससे वे फसल नष्ट होने से पहले ही इसे बचाने के तरीके निकाल पाएंगे.

हिसार में तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ.

कृषि विस्तार के जरिये किसानों को इस तकनीक के लिए जागरूक किया जाएगा. किसानों की सबसे बड़ी समस्या जानकारी होते हुए भी इसका प्रयोग न कर पाना है. उन्हें इस बात का ज्ञान तो है कि जानकारी किस वेबसाइट पर उपलब्ध है, परंतु उसे प्रयोग किस प्रकार करना है यह उन्हें नहीं पता चल पाता. इस समस्या को हल करने के लिए कृषि विस्तार के जरिये छोटे से छोटे क्षेत्र तक किसानों को जानकारी दी जाएगी.

ये भी पढ़ें: प्रोस्टेट कैंसर मरीजों के लिए कैसे वरदान साबित हो रही रोबोटिक सर्जरी, जानें

डिजिटल टेक्नोलॉजी के महत्व के बारे में बताते हुए प्रो. केपी सिंह कहा कि वर्तमान में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के नए प्लेटफॉर्म विकसित हुए हैं. जिसमें जीआईएस, रिमोट सेंसिंग, एक्सपर्ट सिस्टम, नॉलेज पोर्टल्स, ई-मार्केटिंग पोर्टल्स आदि मुख्य हैं. इससे सूचना प्रसार और संदेशों को किसानों की नई पीढ़ी तक पहुंचाने से कृषि क्षेत्रों में एक क्रांति पैदा की है. वर्तमान में किसान विभिन्न फसल प्रणाली आधारित एप्स से जुड़कर अपने मोबाईल फोन पर अपनी कृषि संबंधी एवं कृषि उत्पाद के विपणन संबधी समस्याओं का समाधान ले सकते हैं और अपने जोखिम को घटाने के साथ-साथ अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं.

हिसार: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में सोशियो डिजिटल एपरोचीज़ फॉर ट्रांसफोर्मिंग इंडियन एग्रीकल्चर पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ. ये संगोष्ठी भारतीय विस्तार शिक्षा समिति, नई दिल्ली, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार और बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (उत्तर प्रदेश) के संयुक्त तत्वाधान में हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि महाविद्यालय के सभागार में आयोजित की जा रही है. इस अवसर पर हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केपी सिंह मुख्य अतिथि थे, जबकि बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविधालय के कुलपति एवं अध्यक्ष भारतीय विस्तार शिक्षा समिति, नई दिल्ली डॉ. युएस गौतम ने संगोष्ठी की अध्यक्षता की.

गोष्ठी में न्यूजीलैंड के मैसी विश्वविद्यालय के प्रो. क्रेग मैकगिल समेत देश के 23 राज्यों के 500 कृषि विशेषज्ञों ने शिरकत की. इसमें कृषि विस्तार के 12 थीम पर मंथन किया जाएगा. इस सेमिनार में भारत के किसानों की मदद के लिए एक ऐसा सॉफ्टवेयर बनाने पर मंथन किया जाएगा, जिससे किसानों को वातावरण में बदलाव की सब-डिविजन के अनुसार एक हफ्ते पहले ही पूर्ण जानकारी मिल जाएगी. जिससे वे फसल नष्ट होने से पहले ही इसे बचाने के तरीके निकाल पाएंगे.

हिसार में तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ.

कृषि विस्तार के जरिये किसानों को इस तकनीक के लिए जागरूक किया जाएगा. किसानों की सबसे बड़ी समस्या जानकारी होते हुए भी इसका प्रयोग न कर पाना है. उन्हें इस बात का ज्ञान तो है कि जानकारी किस वेबसाइट पर उपलब्ध है, परंतु उसे प्रयोग किस प्रकार करना है यह उन्हें नहीं पता चल पाता. इस समस्या को हल करने के लिए कृषि विस्तार के जरिये छोटे से छोटे क्षेत्र तक किसानों को जानकारी दी जाएगी.

ये भी पढ़ें: प्रोस्टेट कैंसर मरीजों के लिए कैसे वरदान साबित हो रही रोबोटिक सर्जरी, जानें

डिजिटल टेक्नोलॉजी के महत्व के बारे में बताते हुए प्रो. केपी सिंह कहा कि वर्तमान में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के नए प्लेटफॉर्म विकसित हुए हैं. जिसमें जीआईएस, रिमोट सेंसिंग, एक्सपर्ट सिस्टम, नॉलेज पोर्टल्स, ई-मार्केटिंग पोर्टल्स आदि मुख्य हैं. इससे सूचना प्रसार और संदेशों को किसानों की नई पीढ़ी तक पहुंचाने से कृषि क्षेत्रों में एक क्रांति पैदा की है. वर्तमान में किसान विभिन्न फसल प्रणाली आधारित एप्स से जुड़कर अपने मोबाईल फोन पर अपनी कृषि संबंधी एवं कृषि उत्पाद के विपणन संबधी समस्याओं का समाधान ले सकते हैं और अपने जोखिम को घटाने के साथ-साथ अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं.

Intro:चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में सोशियो डिजिटल एपरोचीज़ फॉर ट्रांसफोरमिंग इंडियन एग्रीकल्चर पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ। यह संगोष्ठी भारतीय विस्तार शिक्षा समिति, नई दिल्ली, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार व बाँदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, बाँदा (उत्तर प्रदेश) के संयुक्त तत्वाधान में हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि महाविद्यालय के सभागार में आयोजित की जा रही है। इस अवसर पर हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के.पी. सिंह मुख्य अतिथि थे जबकि बाँदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविधालय, बाँदा (उत्तर प्रदेश) के कुलपति एवं अध्यक्ष, भारतीय विस्तार शिक्षा समिति, नई दिल्ली डॉ. यु. एस गौतम ने संगोष्ठी की अध्यक्षता की। इस अवसर पर न्यूजीलैंड़, के मैसी विश्वविद्यालय के प्रो. क्रेग मैकगिल, आई.एस.ई.ई, के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, डॉ. जी. ईश्ववरप्पा, आई.एस.ई.ई, के सचिव, डॉ. बी.के. सिहं, एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के पूर्व डी.डी.जी., डॉ. सी. प्रसाद, मंच पर उपस्थित थे।Body:-प्रो. के.पी. सिंह ने आए हुए मेहमानों का कुछ इस अन्दाज में अभिनन्दन किया ‘वो आए हमारे दर पर खुदा की रहमत है, कभी हम उनको कभी वो हमको देखते है’ । डिजिटल टैकनोलॉजी के महत्ता के बारे में बताते हुए उन्होनें कहा कि वर्तमान में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के नए प्लेटफार्म विकसित हुए है जिसमें जीआईएस, रिमोट सेंसिंग, एक्सपर्ट सिस्टम, नॉलेज पोर्टल्स, ई-मार्केटिंग पोर्टल्स आदि मुख्य हैं। इससे सूचना प्रसार और संदेशों को किसानों की नई पीढ़ी तक पहुचाने से कृषि क्षेत्रों में एक क्रांति पैदा की है। वर्तमान में किसान विभिन्न फसल प्रणाली आधारित एप्स से जुडक़र अपने मोबाईल फोन पर अपनी कृषि संबधी एवं कृषि उत्पाद के विपणन संबधी समस्याओं का समाधान ले सकते है व अपने जोखिम को घटाने के साथ-साथ अपनी आमदनी बढ़ा सकते है।
प्रो. सिहं ने कहा कि कृषि विस्तार विशेषज्ञों के पास कृषि सम्बधी डाटा का बहुत बड़ा भण्डार उपलब्ध है जिसे विभिन्न डिजिटल तकनीक के माध्यम से किसानों तक सुलभ व सुगम तरीके से पहुचाया जाना अहम कदम होगा। Conclusion:वैज्ञानिकों द्वारा सिफारिश की गई तकनीकों से फसलोत्पादन की अधिक पैदावार ली जा सकती है जबकि किसानों द्वारा औसत पैदावार कम ली जा रही है जिसका मुख्य कारण सिफारिश की गई तकनीकों का सही तरीकें से न अपनाना है। उन्होनें कृषि विस्तार विशेषज्ञों का आवाहन करते हुए कहा कि लैब मे किए गए शोध को सही तरीके से किसानों तक पहुचाने मे उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है तथा इसके लिए कृषि के तकनीकी ज्ञान को सूचना एवं प्रौद्योगिकी एवं डिजिटल प्लेटफार्म का अधिक से अधिक इस्तेमाल करके किसानों तक सरल तरीके से पहुचाया जाए। देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से आए 500 कृषि विस्तार विशेषज्ञ, कृषि वैज्ञानिक, व शोध छात्र बारह थीम पर मन्थन करेगें जिसमें मुख्यत: डिजिटल रणनीति और सतत कृषि विकास के लिए दृष्टिकोण, विस्तार अनुसंधान और नीति में नवाचार, कृषक समुदाय की क्षमता निर्माण में प्रगति, सीबीओ के माध्यम से ग्रामीण समुदाय का सशक्तीकरण, माध्यमिक कृषि के लिए डिजिटल दृष्टिकोण, प्रौद्योगिकी मूल्यांकन और प्रसार के लिए स्मार्ट दृष्टिकोण, आर्थिक समृद्धि के लिए अभिसरण मॉडल, कृषि में उद्यमिता विकास के लिए रणनीतियाँ, जलवायु स्मार्ट कृषि के लिए तकनीकी हस्तक्षेप, ग्रामीण समुदायों के लिए खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए पहल, डिजिटल मार्केटिंग में चुनौतियां और अवसर, कृषि में लैंगिक मुद्दों के समाधान के लिए तंत्र आदि होगें।इस समारोह मे कृषि विस्तार क्षेत्र में काम करने वाले देश के श्रेष्ठ कृषि वैज्ञानिकों को उनके उत्कृष्ठ कार्यों के लिए सम्मानित किया गया जिनमें पूर्व सलाहकार, जी.ओ.आई., डॉ. ओ.एस. वर्मा, पूर्व सलाहकार कृषि योजना कमीशन डॉ. वी.वी. सदामाटे, पूर्व निदेशक अटारी, लुधियाना, डॉ. प्रभु कुमार, निदेशक अटारी पटना एवं कोषाध्यक्ष आई.एस.ई.ई, डॉ. अंजनी कुमार, उप-प्रधान, आई.एस.ई.ई, डॉ. के.एल. ढांगी, पूर्व कुलपति, एसबीपीयुएटी, मेरठ, डॉ. गया प्रसाद व डॉ. एस.के. कश्यप शामिल रहें।
बाईट - प्रो. के.पी. सिंह,कुलपति,हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय,हिसार
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