हिसार: किसान नेता राकेश टिकैत ने हाल ही में एक नारा दिया है कि 'जिंदा है तो दिल्ली आजा'. जिसका बड़ा असर किसान आंदोलन पर देखने को मिल रहा है. आखिरकार इस नारे का क्या मतलब है. यही जानने के लिए हमने राकेश टिकैत के साथ खास बातचीत की.
'जिंदा है तो दिल्ली आजा' इस नारे के मतलब को लेकर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि अगर उसकी सोच जिंदा है तो समझ जाएगा. अगर यह आंदोलन हार गया तो उसकी जमीन जाएगी.
राकेश टिकैत ने कहा कि कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग आएगी और अनाज कंपनियों में जाएगा. टिकैत ने कहा कि तीनों कानून लागू होने के बाद रोटी तिजोरी की वस्तु बन जाएगी. टिकैत ने आशंका जताई कि कानून अगर वापस नहीं लिए गए तो देश बिक जाएगा, पुलिस प्राइवेट होगी जैसे चाइना की मिलिट्री प्राइवेट है.
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दिल्ली में आंदोलन बढ़ाने को लेकर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार बातचीत करना चाहती है तो कर लेगी. अभी ज्यादा दिन नहीं सिर्फ 6 महीने तो हुए हैं. हम मोर्चों पर आने वाले मौसम की तैयारी कर रहे हैं.
बारिश से बचने के लिए तंबू पर टीन के शेड डाल रहे हैं. वहीं अब बात 2024 में होगी. इस बयान को लेकर राकेश टिकैत ने कहा कि समझने वाला बात समझ गया है. अब सरकार बातचीत करना चाहती है तो कर लेगी, हम तो बातचीत के लिए तैयार हैं.
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