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श्मशान घाट के लॉकर हुए फुल, पेड़ों पर टांग रहे अस्थियां

लॉकडाउन ने ना केवल जिंदगी बल्कि जिंदगी के बाद के सफर को भी रोक कर रख दिया है. शवों के दाह संस्कार के बाद अस्थियों के विसर्जन का काम लॉकडाउन के कारण रुका हुआ है.

hisar Bone immersion
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Published : Apr 10, 2020, 7:49 AM IST

हिसार: निधन के बाद शवों का अंतिम संस्कार तो हुआ, मगर उनकी अस्थियों को अब तक शमशान भूमि के लॉकर में ही रखना पड़ रहा है. हिसार में दो मुख्य श्मशान गृह में लगभग 65 अस्थियां रखी हैं. लॉकडाउन खुलने के बाद ही परिजन पंडित से पूजा-अर्चना करवा कर इनका विसर्जन करवा पाएंगे, लेकिन कब ? इसका जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है. वहीं शम्शान गृह में सभी लॉकर भरे होने के कारण कुछ परिजन अस्थियों को या तो घर में रख रहे हैं या मंदिर और पेड़ों पर रख रहे हैं.

शम्शान में लकड़ी का काम देख रहे लालचंद ने बताया कि लॉकडाउन में कोई हरिद्वार नहीं जा पा रहा इसलिए अस्थियां यहां लॉकर में रख रहे हैं. बस स्टैंड के पीछे बने श्मशान गृह में 31 अस्थियां रखने के लिए लॉकर बने हुए हैं. उसके अलावा लावारिस शवों के लिए अलग व्यवस्था है.

ये भी पढ़ें- इटली की रहने वाली कोरोना संक्रमित महिला की गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में हुई मौत

रीति रिवाजों के चलते कई परिवार अपने घर अस्थियां नहीं ले जा रहे तो वह यहां लॉकर में अस्थियां रख रहे है. अस्थियों को प्रवाह ना कर पाने के कारण वह इनको यहीं रख रहे हैं. हालात यह हैं कि अस्थियां रखने के लिए लॉकर भर चुके हैं. मजबूरन किसी का संस्कार होने के बाद परिवार के लोग अस्थियों को मंदिर में या अन्य जगह पर रख रहे हैं. वहीं कुछ समुदाय के लोग इन्हें घर भी ले जा रहे हैं.

सेक्टर 16-17 में बने शमशान गृह में अस्थियां रखने के लिए 36 लॉकर बने हुए हैं. इन लॉकर में अस्थियों को रखकर परिजन ताले लगाकर चाबी साथ ले गए हैं ताकि लॉकडाउन के बाद इनका प्रवाह कर सकें. इसे विडंबना ही कहेंगे कि अपनी सांसारिक यात्रा पूरी कर चुके दिवंगत लोगों को लॉकडाउन के चलते समय पर मोक्ष भी नहीं मिल पा रहा है.

ये भी पढ़ें- LOCKDOWN: एंबुलेंस के जरिए हो रही नशा तस्करी, पुलिस ने बनाया एक्शन प्लान

हिसार: निधन के बाद शवों का अंतिम संस्कार तो हुआ, मगर उनकी अस्थियों को अब तक शमशान भूमि के लॉकर में ही रखना पड़ रहा है. हिसार में दो मुख्य श्मशान गृह में लगभग 65 अस्थियां रखी हैं. लॉकडाउन खुलने के बाद ही परिजन पंडित से पूजा-अर्चना करवा कर इनका विसर्जन करवा पाएंगे, लेकिन कब ? इसका जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है. वहीं शम्शान गृह में सभी लॉकर भरे होने के कारण कुछ परिजन अस्थियों को या तो घर में रख रहे हैं या मंदिर और पेड़ों पर रख रहे हैं.

शम्शान में लकड़ी का काम देख रहे लालचंद ने बताया कि लॉकडाउन में कोई हरिद्वार नहीं जा पा रहा इसलिए अस्थियां यहां लॉकर में रख रहे हैं. बस स्टैंड के पीछे बने श्मशान गृह में 31 अस्थियां रखने के लिए लॉकर बने हुए हैं. उसके अलावा लावारिस शवों के लिए अलग व्यवस्था है.

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रीति रिवाजों के चलते कई परिवार अपने घर अस्थियां नहीं ले जा रहे तो वह यहां लॉकर में अस्थियां रख रहे है. अस्थियों को प्रवाह ना कर पाने के कारण वह इनको यहीं रख रहे हैं. हालात यह हैं कि अस्थियां रखने के लिए लॉकर भर चुके हैं. मजबूरन किसी का संस्कार होने के बाद परिवार के लोग अस्थियों को मंदिर में या अन्य जगह पर रख रहे हैं. वहीं कुछ समुदाय के लोग इन्हें घर भी ले जा रहे हैं.

सेक्टर 16-17 में बने शमशान गृह में अस्थियां रखने के लिए 36 लॉकर बने हुए हैं. इन लॉकर में अस्थियों को रखकर परिजन ताले लगाकर चाबी साथ ले गए हैं ताकि लॉकडाउन के बाद इनका प्रवाह कर सकें. इसे विडंबना ही कहेंगे कि अपनी सांसारिक यात्रा पूरी कर चुके दिवंगत लोगों को लॉकडाउन के चलते समय पर मोक्ष भी नहीं मिल पा रहा है.

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