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गुरुग्राम नगर निगम की बैठक में हंगामा, पार्षदों ने किया बैठक का बहिष्कार

गुरुग्राम नगर निगम की 12वीं सदन की बैठक हंगामेदार रही. बैठक में पार्षद और मेयर आमने-सामने हो गए. इस बैठक में नगर निगम कमिश्नर अमित खत्री व जॉइंट कमिश्नर वाई.एस गुप्ता समेत तमाम अधिकारी भी उपस्थित थे.

gurugram nagar nigam news
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Published : Dec 3, 2019, 11:19 PM IST

गुरुग्राम: इस बैठक में छह प्रस्ताव रखे गए जिनमें पार्षदों ने अपने रखे गए एजेंटों पर चर्चा करने की बात कही लेकिन मेयर की सहमति के न चलते हुए पार्षदों ने बैठक का बहिष्कार कर दिया और सदन से वॉक आउट कर गए.

दरअसल गुरुग्राम नगर निगम सदन की बैठक में पार्षदों के वाक आउट होने का यह पहला मामला नहीं है इससे पहले भी पार्षदों ने सदन में अपने प्रस्तावों को न रखने के चलते सदन से वॉकआउट किया है लेकिन इस बार पार्षदों ने कहा कि पार्षदों की कोई भी सुनवाई नहीं होती है.

इतना ही नहीं पार्षदों ने यह भी कहा कि जब अधिकारी मेयर की ही नहीं सुनते हैं तो पार्षदों की कैसे सुनेंगे क्योंकि नगर निगम में भ्रष्टाचार चरम पर है. इस दौरान पार्षदों ने कहा कि हमें एक करोड़ रुपए की पावर दी जाए ताकि हम अपने वार्ड में विकास कार्य करा सकें जैसे दिल्ली, मुंबई और हैदराबाद कॉरपोरेशन में पार्षदों को एक करोड़ रुपए की पावर है.

गुरुग्राम नगर निगम की बैठक में हंगामा, पार्षदों ने किया बैठक का बहिष्कार.

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वहीं बैठक में इको ग्रीन कंपनी को रद्द करने की मांग की गई. हॉउस की बैठक में जब पास कर दिया है कि इको ग्रीन कंपनी कूड़ा उठाने के लोगों से पैसे चार्ज नहीं कर सकती है. उन्हें पैसे चार्ज करने की कोई पावर नहीं है. लेकिन फिर भी इको ग्रीन कंपनी नहीं मान रही है. पार्षद धर्मवीर भदौरिया ने कहा कि मेयर नहीं चाहती है कि सदन की बैठक चलें क्योंकि मेयर अधिकारियों के साथ मिलकर मलाई खा रही हैं. वहीं निगम में छोटी डीपीआर के तहत जल्दी से काम नहीं होता है क्योंकि बड़ी डीपीआर से ज्यादा मलाई आती है.

वहीं शहरी निकाय विभाग का अनिल विज को मंत्री बनाए जाने पर भी धर्मवीर ने कहा कि गुरुग्राम नगर निगम एक ऐसा निगम है जहां कभी भी करप्शन खत्म नहीं हो सकता है. अनिल विज क्या देवता भी आ जाए तब भी गुरुग्राम नगर निगम में करप्शन खत्म नहीं हो सकता. वहीं पार्षद ब्रहम यादव ने इकोग्रीन का ठेका रद्द करने की मांग की.

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पार्षद आरती यादव ने कहा कि जनता के चुने हुए नुमाइंदे की ही अधिकारी नहीं सुनते हैं तो आम जनता की क्या सुनेंगे. इको ग्रीन के मामले में 35 पार्षदों ने एक ही सुर में आवाज उठाई है फिर भी हमारी बातें नहीं सुनी जाती हैं. वहीं मेयर मधु आजाद ने इस पूरे मामले पर सफाई देते हुए कहा कि जब मेयर के पास ही अधिकारियों की एसीआर लिखने की रिपोर्ट नहीं है तो पार्षदों के पास कैसे हो सकती है.

इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि जिला परिषद के चेयरमैन को एसीआर की पावर दी गई है तो मेयर को क्यों नहीं. मेयर के पास चपरासी तक की भी पावर नहीं है. हालांकि नगर निगम का एक साल का बजट 2200 करोड़ का है लेकिन मेरे पास एक रुपया भी अपनी मर्जी से विकास कार्य पर लगाने की अनुमति नहीं है.

बता दें कि गुरुग्राम नगर निगम पहले से ही सुर्खियों में रहा है लेकिन इस बार नगर निगम में पार्षद और मेयर ही आमने सामने दिख रहे हैं. अब लगातार पार्षद भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं. ऐसे में अनिल विज के लिए भी अब चुनौती है कि वो गुरुग्राम नगर निगम में हो रहे भ्र्ष्टाचार पर कैसे लगाम लगाते हैं.

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गुरुग्राम: इस बैठक में छह प्रस्ताव रखे गए जिनमें पार्षदों ने अपने रखे गए एजेंटों पर चर्चा करने की बात कही लेकिन मेयर की सहमति के न चलते हुए पार्षदों ने बैठक का बहिष्कार कर दिया और सदन से वॉक आउट कर गए.

दरअसल गुरुग्राम नगर निगम सदन की बैठक में पार्षदों के वाक आउट होने का यह पहला मामला नहीं है इससे पहले भी पार्षदों ने सदन में अपने प्रस्तावों को न रखने के चलते सदन से वॉकआउट किया है लेकिन इस बार पार्षदों ने कहा कि पार्षदों की कोई भी सुनवाई नहीं होती है.

इतना ही नहीं पार्षदों ने यह भी कहा कि जब अधिकारी मेयर की ही नहीं सुनते हैं तो पार्षदों की कैसे सुनेंगे क्योंकि नगर निगम में भ्रष्टाचार चरम पर है. इस दौरान पार्षदों ने कहा कि हमें एक करोड़ रुपए की पावर दी जाए ताकि हम अपने वार्ड में विकास कार्य करा सकें जैसे दिल्ली, मुंबई और हैदराबाद कॉरपोरेशन में पार्षदों को एक करोड़ रुपए की पावर है.

गुरुग्राम नगर निगम की बैठक में हंगामा, पार्षदों ने किया बैठक का बहिष्कार.

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वहीं बैठक में इको ग्रीन कंपनी को रद्द करने की मांग की गई. हॉउस की बैठक में जब पास कर दिया है कि इको ग्रीन कंपनी कूड़ा उठाने के लोगों से पैसे चार्ज नहीं कर सकती है. उन्हें पैसे चार्ज करने की कोई पावर नहीं है. लेकिन फिर भी इको ग्रीन कंपनी नहीं मान रही है. पार्षद धर्मवीर भदौरिया ने कहा कि मेयर नहीं चाहती है कि सदन की बैठक चलें क्योंकि मेयर अधिकारियों के साथ मिलकर मलाई खा रही हैं. वहीं निगम में छोटी डीपीआर के तहत जल्दी से काम नहीं होता है क्योंकि बड़ी डीपीआर से ज्यादा मलाई आती है.

वहीं शहरी निकाय विभाग का अनिल विज को मंत्री बनाए जाने पर भी धर्मवीर ने कहा कि गुरुग्राम नगर निगम एक ऐसा निगम है जहां कभी भी करप्शन खत्म नहीं हो सकता है. अनिल विज क्या देवता भी आ जाए तब भी गुरुग्राम नगर निगम में करप्शन खत्म नहीं हो सकता. वहीं पार्षद ब्रहम यादव ने इकोग्रीन का ठेका रद्द करने की मांग की.

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पार्षद आरती यादव ने कहा कि जनता के चुने हुए नुमाइंदे की ही अधिकारी नहीं सुनते हैं तो आम जनता की क्या सुनेंगे. इको ग्रीन के मामले में 35 पार्षदों ने एक ही सुर में आवाज उठाई है फिर भी हमारी बातें नहीं सुनी जाती हैं. वहीं मेयर मधु आजाद ने इस पूरे मामले पर सफाई देते हुए कहा कि जब मेयर के पास ही अधिकारियों की एसीआर लिखने की रिपोर्ट नहीं है तो पार्षदों के पास कैसे हो सकती है.

इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि जिला परिषद के चेयरमैन को एसीआर की पावर दी गई है तो मेयर को क्यों नहीं. मेयर के पास चपरासी तक की भी पावर नहीं है. हालांकि नगर निगम का एक साल का बजट 2200 करोड़ का है लेकिन मेरे पास एक रुपया भी अपनी मर्जी से विकास कार्य पर लगाने की अनुमति नहीं है.

बता दें कि गुरुग्राम नगर निगम पहले से ही सुर्खियों में रहा है लेकिन इस बार नगर निगम में पार्षद और मेयर ही आमने सामने दिख रहे हैं. अब लगातार पार्षद भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं. ऐसे में अनिल विज के लिए भी अब चुनौती है कि वो गुरुग्राम नगर निगम में हो रहे भ्र्ष्टाचार पर कैसे लगाम लगाते हैं.

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Intro:पार्षदों ने किया बैठक का बहिष्कार 

पार्षदों की नही होती कोई भी सुनवाई 

मेयर और अधिकारियों पर लगाया आरोप 

अधिकारी मेयर की ही नही सुनते तो पार्षदों की कैसे सुनेंगे 

नगर निगम में भ्र्ष्टाचार चरम पर 

सदन की बैठक में इको ग्रीन का मामला पकड़ा तूल 

इको ग्रीन का ठेका रद्द किया जाए 

नगर निगम में लगे 1600 आउटसोर्स कर्मचारियों का मामला भी उठा 

पार्षदों के कहने से आउटसोर्स कर्मचारियों को लगाया जाए और हटाया जाए 

पार्षदों को दी जाए एक करोड़ की पावर 

दिल्ली ,मुम्बई और हैदराबाद कॉर्पोरेशन में पार्षदों को है एक करोड़ की पावर

अधिकारियों की एसीआर रिपोर्ट की पावर पार्षदों को दी जाए 

अनिल विज क्या अनिल विज के देवता भी आ जाए तब भी गुरुग्राम नगर निगम का करप्शन नही हो सकता खत्म 

गुरुग्राम नगर निगम की 12वीं सदन की बैठक हंगामेदार रही बैठक में पार्षद और मेयर आमने-सामने हुए हालांकि इस बैठक में नगर निगम कमिश्नर अमित खत्री व जॉइंट कमिश्नर वाई एस गुप्ता समेत तमाम अधिकारी भी उपस्थित थे वही पार्षदों ने इस बैठक का बहिष्कार कर दिया इस बैठक में छह प्रस्ताव रखे गए जिनमें पार्षदों ने अपने रखे गए एजेंटों पर चर्चा करने की बात कही लेकिन मेयर की सहमति के न चलते हुए पार्षदों ने बैठक का बहिष्कार कर दिया और सदन से वॉक आउट हो गएBody:दरअसल गुरुग्राम नगर निगम सदन की बैठक में पार्षदों के वाक आउट होने का यह पहला मामला नहीं है इससे पहले भी पार्षदों ने सदन में अपने प्रस्तावों को न रखने के चलते सदन से वॉकआउट किया है लेकिन इस बार पार्षदों ने कहा कि पार्षदों की कोई भी सुनवाई नहीं होती है इतना ही नहीं पार्षदों ने यह भी कहा कि जब अधिकारी मेयर की ही नहीं सुनते हैं तो पार्षदों की कैसे सुनेंगे क्योंकि नगर निगम में भ्रष्टाचार चरम पर है इस दौरान पार्षदों ने कहा कि हमें एक करोड रुपए की पावर दी जाए ताकि हम अपने वार्ड में विकास कार्य करा सकें जैसे दिल्ली मुंबई और हैदराबाद कॉरपोरेशन में पार्षदों को एक करोड़ रुपए की पावर है इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि नगर निगम में जो आउट सोर्स से सोलह सौ कर्मचारी लगे हुए हैं उन्हें हटाने और लगाने से पहले पार्षदों की अनुमति ली जाए ताकि नगर निगम में भ्र्ष्टाचार कम हो सके ।

बाईट -आरएस राठी ( पार्षद , वार्ड नम्बर )

वही बैठक में इको ग्रीन कंपनी का मामला भी काफी तूल पकड़ा ।इको ग्रीन को रद्द करने की मांग की गई वही हॉउस की बैठक में जब पास कर दिया है कि इको ग्रीन कंपनी कूड़ा उठाने के लोगो से पैसे चार्ज नही कर सकती है उन्हें पैसे चार्ज करने की कोई पावर नही है लेकिन फिर भी इको ग्रीन कंपनी नही मान रही है ।जगह जगह कूड़े के शहर में ढेर लगे हुए है वही नगर निगम में काम कर रहे जेई ,एसडीओ ,एक्सईन की एसीआर रिपोर्ट लिखने की पावर पार्षदों को दी जाए लेकिन अभी तक कोई काम नही हुआ है मेयर की भी जेई ,एसडीओ ,एक्सईन नही सुनते है तो हमारी कंहा से सुनेंगे ।यदि एसीआर की पावर मिल जाती है तो अधिकारी काम भी करने लगेंगे ।फिलहाल नगर निगम में 2100 कर्मचारी काम पर दिखाए गए है लेकिन 1400 कर्मचारी काम कर रहे है ।700 कर्मचारियों को केवल कागज में ही दिखाया जा रहा है ।

बाईट -आरएस राठी ( पार्षद , वार्ड नम्बर )

वहीं पार्षद धर्मवीर भदौरिया ने कहा कि मेयर नहीं चाहती है कि सदन की बैठक चलें क्योंकि मेयर अधिकारियों के साथ मिलकर मलाई खा रही हैं वही निगम में छोटी डीपीआर के तहत जल्दी से काम नहीं होता है क्योंकि बड़ी डीपीआर से ज्यादा मलाई आती है वहीं शहरी निकाय विभाग का अनिल विज को मंत्री बनाए जाने पर भी धर्मवीर ने कहा कि गुरुग्राम नगर निगम एक ऐसा निगम है जहां कभी भी करप्शन खत्म नहीं हो सकता है अनिल विज क्या अनिल विज के देवता भी आ जाए तब भी गुरुग्राम नगर निगम में करप्शन खत्म नहीं हो सकता वहीं पार्षद ब्रहम यादव ने कहा कि इकोग्रीन का ठेका रद्द किया जाए 

बाईट -धर्मवीर ( पार्षद
बाईट -ब्रह्मम यादव ( पार्षद ,वार्ड नम्बर 21 )

वही पार्षद आरती यादव ने कहा कि जनता के चुने हुए नुमाइंदे की ही अधिकारी नहीं सुनते हैं तो आम जनता की क्या सुनेंगे । इको ग्रीन के मामले में 35 पार्षदों ने एक ही सुर में आवाज उठाई है फिर भी हमारी बातें नहीं सुनी जाती हैं वहीं पार्षद कपिल दुआ ने भी कहा कि जनता को हमसे काफी उम्मीदें हैं पार्षदों के कहने से दो महीनों में भी काम नहीं होता है यदि कोई एप्रोच से आता है तो तीन दिन में ही वही काम हो जाता है इसीलिए सदन की बैठक में बैठने से कोई फायदा नहीं है....

बाईट -आरती यादव ( पार्षद ,वार्ड नम्बर 21 )

वहीं मेयर मधु आजाद ने इस पूरे मामले पर सफाई देते हुए कहा कि जब मेयर के पास ही अधिकारियों की एसीआर लिखने की रिपोर्ट नहीं है तो पार्षदों के पास कैसे हो सकती है इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि जिला परिषद के चेयरमैन को एसीआर की पावर दी गई है तो मेयर को क्यों नहीं मेयर के पास चपरासी तक की भी पावर नहीं है हालांकि नगर निगम का एक साल का बजट बाइस सौ करोड़ का है लेकिन मेरे को एक रुपए भी अपनी मर्जी से विकास कार्य पर लगाने की अनुमति नहीं है 

बाईट -मधु आज़ाद ( मेयर , गुरुग्राम नगर निगम )

वहीं एसीआर और पार्षदों के लिए एक करोड़ रुपए के खर्च करने की पावर की रिपोर्ट सरकार को भेजी हुई है लेकिन अभी तक कोई भी जवाब नहीं आया है वही आउट सोर्स से नगर निगम में लगे सोलह सौ कर्मचारियों में पंद्रह सौ कर्मचारी मंत्री ,अधिकारी व जेई के बिहाव पर लगे हुए हैं मेयर ने एक भी कर्मचारी नगर निगम में नहीं लगाया है इसीलिए मैंने कहां पर भ्रष्टाचार किया है यह पार्षद बताएं वहीं मेयर ने यह भी कहा कि कुछ ऑफिसर को निकालने के लिए भी अधिकारियों को कहा गया है लेकिन अभी तक भी कोई कार्यवाही नहीं की है वहीं कंपनी को हटाने व बर्खास्त करने का हाउस की बैठक में भी सरकार को प्रस्ताव भेजा हुआ है इस पर भी अभी कोई कार्यवाही नहीं है

बाईट -मधु आज़ाद ( मेयर , गुरुग्राम नगर निगम )Conclusion:गुरुग्राम नगर निगम पहले से ही सुर्खियों में रहा है लेकिन इस बार नगर निगम में पार्षद और मेयर ही आमने सामने दिख रहे है शहर में विकास कार्यो की आपस मे होड़ लगी है कि जो विकास कार्य वार्ड में होने चाहिए उसकी पावर पार्षदों को दी जाए ऐसे में अब अनिल विज शहरी निकाय मंत्री बन गए वही मंत्री अनिल विज के लिए भी अब चुनौती है कि गुरुग्राम नगर निगम में हो रहा भ्र्ष्टाचार पर कैसे लगाम लगाते है ।
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