गुरुग्राम: देश का साइबर सिटी है गुरुग्राम. भारत का सिंगापुर कहा जाता है गुरुग्राम... और तो और हरियाणा के खजाने में सबसे ज्यादा पैसा देने वाले शहरों में में भी शामिल है गुरुग्राम. इसकी पहचान कई हैं, लेकिन आज ये शहर पानी-पानी है.
हल्की सी बारिश में क्यों बहने लगा गुरुग्राम?
महज 145 मिलीलिटर बारिश में यही साइबर सिटी समंदर बन गया. सड़क पर सैलाब उमड़ पड़ा.राजीव चौक, इफको चौक, गोल्फ कोर्स रोड, सेक्टर 53 और सिकंदरपुर चौक अंडरपास या फिर वर्ल्ड क्लास तर्ज पर बना डीएलएफ फेज वन, हर तरफ मानो बाढ़ आ गई. हालत ये हो गई कि लोगों को नाव का सहारा लेना पड़ा.
इसके बावजूद सरकार का दावा है कि कोई खामी नहीं छोड़ी गई. गुरुग्राम नगर निगम आयुक्त का कहना है कि इस बार बारिश ही इतनी हुई की संभाल नहीं पाए. गुरुग्राम की ये हालत हर मौसम में कमोबेस ऐसी ही होती है. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि चंद घंटों की बारिश में गुरुग्राम की सड़कों पर सैलाब उमड़ पड़ा हो. साल 2016 में बारिश की वजह से 'महाजाम' लग गया था. करीब 24 घंटे से ज्यादा वक्त तक लोग सड़कों पर फंसे रह गए थे.
ईटीवी की पड़ताल में हुए हैरान करने वाले खुलासे!
ईटीवी भारत ने इसकी पड़ताल करने की कोशिश की है आखिर साइबर सिटी मामूली सी बारिश में समंदर में कैसे तब्दील हो गया. हमारी पड़ताल में जो सच्चाई सामने आई उसे जानकर आप हैरान हो जाएंगे.
क्यों हर बार फेल हो जाता है ड्रेनेज सिस्टम?
किसी भी विकसित शहर के लिए बारिश के पानी की निकासी भी काफी अहम है. इसलिए किसी भी आधुनिक शहर को बसाने के लिए वहां का दुरुस्त ड्रेनेज सिस्टम बहुत जरूरी है.गुरुग्राम में ड्रेनेज सिस्टम तो है.लेकिन गुरुग्राम में हर साल शहर का ये सिस्टम फेल हो जाता है. लेकिन क्या ये आफत सिर्फ तैयारियों की कमी की वजह से आई है. तो इसका जवाब है नहीं. ईटीवी भारत ने अपनी पड़ताल में पाया कि पिछले दो दशकों में. गुरुग्राम बसाते-बसाते कई भयानक गलतियां और लापरवाही की गई. अधिकारियों ने नियमों को ताक पर रख कर अवैध निर्माण करवाए.शहर की पूरी भूगोलिक परिस्थितियों को नजरअंदाज कर दिया गया.
सबसे पहले अगर हम शहर की भूगोलिक स्थिति को समझे तो गुरुग्राम के सबसे ऊंचे और सबसे निचले इलाके के बीच 90 मीटर का अंतर है. बंधवाड़ी में जहां समुद्र तल से ऊंचाई 290 मीटर है. वहीं शहर के दूसरे छोर खेड़की माजरा में समुद्र तल से ऊंचाई 200 मीटर है.
कहां गई साहिबी नदी?
गुरुग्राम को लेकर हरियाणा में शुरुआती सरकारों पर भी गंभीर आरोप लगे. दावा किया जाता है कि हरियाणा की अपना रेवेन्यू बढ़ाने के लिए कहीं पर भी प्लाट काट दिया. सरकार साहिबी नदी निगल गई. उसके कैचमेंट एरिया में प्लाट काटे गए. नालों पर भी प्लाटिंग करके बेचा गया.
क्या अधूरी प्लानिंग के साथ बना गुरुग्राम?
हरियाणा सरकार के अधिकारी तर्क दे रहे हैं कि सामान्य से कई गुना ज्यादा बारिश हुई है इसलिए शहर में हर ओर पानी भर गया है. लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि जब इस शहर को बसाने की प्लानिंग बन रही थी तब इससे जुड़ी एजेंसियों ने क्यों नहीं यहां पर पिछले सालों में हुई बारिश का रिकॉर्ड निकाला. अधिकतम बारिश के प्रभाव को देखते हुए क्यों नहीं सड़कें, नाले और अंडरपास बनाए गए? क्यों सड़कों के किनारे चौड़े नाले नहीं बनाए गए जिससे कि आसानी से बारिश का पानी बाहर निकल सके.
क्यों नहीं दुरुस्त हुए हार्वेस्टिंग सिस्टम?
आज गुरुग्राम के हालात की जो सबसे बड़ी वजह है. वो है शहर में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का फैलाव नहीं होना है. अगर शहर में रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का जाल बिछाएं तो गुरुग्राम में जलभराव की समस्या तो खत्म होगी. साथ ही साथ भूजल स्तर भी ऊपर आएगा, लेकिन नगर निगम तो मौजूद रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को ही सुचारु रुप से चलाने में असमर्थ साबित हो रही है, लेकिन अधिकारी बस दावे कर रहे हैं.
ईटीवी भारत टीम इस पड़ताल में ये बात सामने आई कि गुरुग्राम की ये हालत कुदरत के कहर की वजह से कम बल्कि सिस्मट की नाकामी की वजह से ज्यादा है. अगर हुक्मरान और प्रशासन ने शहर की भूगौलिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए कारगर कदम उठाए होते, तो ये शहर हर साल इसी तरह जल भराव की समस्या से नहीं जूझता रहता.
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