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Teachers Day 2022: कहानी उस 'गब्बर सिंह' की, जिसने गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए खुद का पिंडदान कर दिया

वैसे तो हमारे देश में गुरु शिष्य परंपरा काफी पुरानी है. हमारे पौराणिक ग्रंथों व लोक कथाओं में इसके तमाम उदाहरण मिलते हैं. इस शिक्षक दिवस (Teachers Day 2022) को मनाने की परम्परा को प्राचीनकालीन गुरु-शिष्य परम्परा के रूप में देखा जाता है. हम लोग गुरु पूर्णिमा के दिन वैसे भी अपने आध्यात्मिक व धार्मिक गुरु को पूजते हैं. शिक्षक दिवस के मौके पर आज हम ऐके ऐसे शिक्षक से रूबरू कराने जा रहे हैं, जिन्होंने गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए अपना परिवार छोड़ दिया. बच्चे उन्हें गब्बर सर (Gabbar Sir Pathshala in Faridabad) के नाम से पुकारते हैं.

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Published : Sep 5, 2022, 1:05 PM IST

फरीदाबाद: हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस (Teachers Day 2022) मनाया जाता है. इस पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को याद करते हुए देशभर में शिक्षकों का सम्मान किया जाता है. साथ ही स्कूलों-कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के साथ साथ अन्य शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक संस्थाओं में कार्यक्रम आयोजित करके लोग अपने अपने शिक्षकों को सम्मान व शुभकामनाएं देते हैं. ऐसे में आज हम एक ऐसे शिक्षक की बात करेंगे जिन्होंने अपने जीवन को शिक्षा के नाम कर दिया, और लाइम लाइट से दूर रहकर बच्चों के लिए 'गब्बर सर' बन गए.

दरअसल गब्बर सर यानी अनुज सिंघल को शुरू से ही शिक्षा से लगाव होने के कारण उन्होंने आगे चलकर गरीब बच्चों को शिक्षित करने के लिए एक मुहिम की शुरुआत कर दी. गरीब बच्चों को शिक्षित करने में कहीं कोई अड़चन न आए इसलिए गब्बर सर ने परिवार से नाता तोड़ दिया और खुद का पिंडदान कर दिया. गब्बर का जन्म आगरा में एक साधारण परिवार में हुआ. इनकी स्कूली पढ़ाई भी आगरा से ही हुई. उसके बाद वह कोटा चले गए, जहां प्राइवेट कॉलेज से उन्होंने एमएससी की. उसके बाद उन्होंने बीएड की. बीएड करने के बाद प्राइवेट कॉलेज में बतौर रसायन प्रोफेसर बच्चों को पढ़ाने लगे. उसके बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी. शायद गब्बर के भाग्य को कुछ और ही मंजूर था, शायद यही कारण है कि कुछ दिन पढ़ाने के बाद वह आगरा से गुजरात चले गए.

Gabbar Sir Pathshala in Faridabad
फरीदाबाद में गब्बर सर की पाठशाला.

200 से अधिक बच्चों को शिक्षा देते हैं अनुज सिंघल: बता दें कि अनुज सिंघल के दिमाग में बचपन से ही कुछ अलग करने का जुनून था. जब भी वह घर से बाहर जाते थे तो गरीब लोगों को देखकर उनका दिल बैठ जाता था. इस दौरान उन्होंने सोचा क्यों न गरीब बच्चों को पढ़ाया जाए. गरीब बच्चों को शिक्षा दी जाए और यही वजह है कि अनुज अपने घर से गुजरात चले गए, जहां पर वे बच्चों को पढ़ाने लगे. लेकिन अनुज को इस दौरान परेशानी भी पेश आई. दरअसल अनुज को गुजराती कम आती थी और बच्चे ज्यादातर गुजराती में ही समझते थे. ऐसे में अनुज ने हरियाणा के फरीदाबाद का रुख किया. जहां वह आज 200 से ज्यादा बच्चों को मुफ्त में शिक्षा (poor children in Faridabad) देते हैं.

Gabbar Sir Pathshala in Faridabad
फरीदाबाद में गब्बर सर की पाठशाला.

अनुज बताते हैं कि उन्होंने शुरुआती दिनों में गुजरात में दो बच्चों को पढ़ना शुरू किया. उस समय उनके पास रहने के लिए जगह नहीं थी. वह कभी सड़क तो कभी श्मशान घाट तो कभी फुटफाथ पर बच्चों को पढ़ाते थे. जब वह फरीदाबाद आए तो यहां पर भी अमूमन यही हाल था. उनके पास रहने के लिए जगह नहीं थी. यहां पर ही उन्होंने 5 बच्चों से पढ़ाना शुरू किया. कभी श्मशान घाट में, कभी फुटपाथ पर और कभी खाली पड़े प्लॉट में तो कभी सड़कों पर बच्चों को पढ़ाने लगे. धीरे-धीरे बच्चों की संख्या बढ़ती गई और थोड़ी बहुत मदद बच्चों के परिवार से मिलने लगी तब जाकर अनुज ने एक किराए का कमरा लिया जहां आज भी वो रहते हैं.

Gabbar Sir Pathshala in Faridabad
बच्चों को योगा सिखाते हुए गब्बर सर.

फरीदाबाद के इस्माइलपुर में गब्बर सर की पाठशाला: अनुज आगे बताते हैं कि, 'मुझे पढ़ाते हुए 9 साल हो गए, आज मेरे पास दो हजार से ज्यादा बच्चे फ्री में पढ़ते हैं. शुरुआत के 4 साल मेरे लिए काफी मुश्किल भरा रहा. 4 साल मैंने गर्मी हो या सर्दी जहां जगह मिली, वहीं पर बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. मेरे पास खाने के लिए पैसे नहीं थे. ऐसे में बच्चे मेरे लिए खाना लेकर आते थे. मैं रोड पर ही सोया करता था, लेकिन मेरे अंदर कुछ कर गुजरने का जज्बा था. खाना भी मुझे 2 दिन में एक बार ही मिलता था, लेकिन मैंने अपना लक्ष्य नहीं छोड़ा. मैं बच्चे को शिक्षा का स्तर और बढ़ाना चाहता हूं. जब मैं फरीदाबाद आया तो मेरे साथ गौतम, आशुतोष, आर्यन अंकित लाल श्रीवास्तव मेरे साथ जुड़े. उसके बाद हमने फैसला लिया गरीब बच्चे को हम मुफ्त में कॉपी, पेंसिल देने के साथ व्यायाम पर भी ध्यान देंगे. आज मैं फरीदाबाद के इस्माइलपुर में बच्चों को पढ़ाता हूं और इसके साथ ही फरीदाबाद की दोनों पुलिस लाइन में भी बच्चों की क्लास लेता हूं. बच्चों की सेवा और जन सेवा में समर्पित मैं सरकार से छोटी सी मदद चाहता हूं.'

Gabbar Sir Pathshala in Faridabad
गब्बर सर से व्यायाम सीखते हुए बच्चे.

अनुज सिंघल (Gabbar sir in Faridabad) ने कहा कि, अब आसपास के लोग मुझे जानने लगे हैं और यही वजह है कि कुछ सामाजिक संस्थाएं, कुछ लोग मुझे सपोर्ट करते हैं और यही वजह है कि आज भी मेरा जज्बा कायम है.

अनुज सिंघल का नाम गब्बर कैसे पड़ा: ETV भारत से अनुज से गब्बर नाम पड़ने के पीछे की कहानी के बारे में जानने की कोशिश की तो उन्होंने कि बेहतर होगा आप बच्चों से ही पूछ लें. ऐसे में जब इस बाबत बच्चों से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि, सर का नाम अनूज सिंघल है और वह पढ़ाई के बारे में एकदम सख्त रहते हैं. बच्चों ने कहा कि अनुज सर पढ़ाई के मामले में कभी कोई समझौता नहीं करते हैं, वह हमें अच्छी तरह से पढ़ाते हैं सरल भाषा में समझाते हैं. बच्चों ने कहा कि अनुज सर पढ़ाई में किसी भी तरह से लापरवाही नहीं करते हैं. बच्चों का कहना है कि, अनुज सर पढ़ाई के समय हमेशा हम लोगों से सख्ती के साथ पेश आते हैं. इसी वजह से हमलोगों ने अनुज सर का नाम गब्बर रख दिया.

Gabbar Sir Pathshala in Faridabad
फरीदाबाद में गब्बर सर की क्लास.

अनुज खुद का कर चुके हैं पिंडदान: बता दें कि गब्बर (Gabbar Sir Pathshala in Faridabad) अपना खुद का पिंडदान कर चुके हैं. अनुज कहते हैं कि, 'मैं घर से गरीब बच्चों की सेवा के लिए निकल चुका हूं. ऐसे में परिवार वालों ने मुझसे नाता तोड़ दिया है और यही वजह है कि मैंने अपना खुद का पिंडदान भी कर दिया है. ताकि मेरे मरने के बाद पिंडदान की जरूरत न पड़े. मैं जिंदगी में कभी शादी नहीं करूंगा और इसी तरह से गरीब बच्चों की सेवा करता रहूंगा ताकि बच्चे पढ़ेंगे तो आगे जाकर देश का नाम रोशन होगा.' अनुज को फरीदाबाद में पिछले 9 साल से पढ़ा रहे हैं. आज भी अनुज से पढ़ने के लिए बच्चों की लाइन लगी रहती है.

Gabbar Sir Pathshala in Faridabad
गब्बर सर से व्यायाम सीखते हुए बच्चे.

ये भी पढ़ें: Teachers Day 2022: कला के जरिए संवार रहे बच्चों का भविष्य, अब तक 60 से ज्यादा बच्चियों को ले चुके हैं गोद

फरीदाबाद: हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस (Teachers Day 2022) मनाया जाता है. इस पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को याद करते हुए देशभर में शिक्षकों का सम्मान किया जाता है. साथ ही स्कूलों-कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के साथ साथ अन्य शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक संस्थाओं में कार्यक्रम आयोजित करके लोग अपने अपने शिक्षकों को सम्मान व शुभकामनाएं देते हैं. ऐसे में आज हम एक ऐसे शिक्षक की बात करेंगे जिन्होंने अपने जीवन को शिक्षा के नाम कर दिया, और लाइम लाइट से दूर रहकर बच्चों के लिए 'गब्बर सर' बन गए.

दरअसल गब्बर सर यानी अनुज सिंघल को शुरू से ही शिक्षा से लगाव होने के कारण उन्होंने आगे चलकर गरीब बच्चों को शिक्षित करने के लिए एक मुहिम की शुरुआत कर दी. गरीब बच्चों को शिक्षित करने में कहीं कोई अड़चन न आए इसलिए गब्बर सर ने परिवार से नाता तोड़ दिया और खुद का पिंडदान कर दिया. गब्बर का जन्म आगरा में एक साधारण परिवार में हुआ. इनकी स्कूली पढ़ाई भी आगरा से ही हुई. उसके बाद वह कोटा चले गए, जहां प्राइवेट कॉलेज से उन्होंने एमएससी की. उसके बाद उन्होंने बीएड की. बीएड करने के बाद प्राइवेट कॉलेज में बतौर रसायन प्रोफेसर बच्चों को पढ़ाने लगे. उसके बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी. शायद गब्बर के भाग्य को कुछ और ही मंजूर था, शायद यही कारण है कि कुछ दिन पढ़ाने के बाद वह आगरा से गुजरात चले गए.

Gabbar Sir Pathshala in Faridabad
फरीदाबाद में गब्बर सर की पाठशाला.

200 से अधिक बच्चों को शिक्षा देते हैं अनुज सिंघल: बता दें कि अनुज सिंघल के दिमाग में बचपन से ही कुछ अलग करने का जुनून था. जब भी वह घर से बाहर जाते थे तो गरीब लोगों को देखकर उनका दिल बैठ जाता था. इस दौरान उन्होंने सोचा क्यों न गरीब बच्चों को पढ़ाया जाए. गरीब बच्चों को शिक्षा दी जाए और यही वजह है कि अनुज अपने घर से गुजरात चले गए, जहां पर वे बच्चों को पढ़ाने लगे. लेकिन अनुज को इस दौरान परेशानी भी पेश आई. दरअसल अनुज को गुजराती कम आती थी और बच्चे ज्यादातर गुजराती में ही समझते थे. ऐसे में अनुज ने हरियाणा के फरीदाबाद का रुख किया. जहां वह आज 200 से ज्यादा बच्चों को मुफ्त में शिक्षा (poor children in Faridabad) देते हैं.

Gabbar Sir Pathshala in Faridabad
फरीदाबाद में गब्बर सर की पाठशाला.

अनुज बताते हैं कि उन्होंने शुरुआती दिनों में गुजरात में दो बच्चों को पढ़ना शुरू किया. उस समय उनके पास रहने के लिए जगह नहीं थी. वह कभी सड़क तो कभी श्मशान घाट तो कभी फुटफाथ पर बच्चों को पढ़ाते थे. जब वह फरीदाबाद आए तो यहां पर भी अमूमन यही हाल था. उनके पास रहने के लिए जगह नहीं थी. यहां पर ही उन्होंने 5 बच्चों से पढ़ाना शुरू किया. कभी श्मशान घाट में, कभी फुटपाथ पर और कभी खाली पड़े प्लॉट में तो कभी सड़कों पर बच्चों को पढ़ाने लगे. धीरे-धीरे बच्चों की संख्या बढ़ती गई और थोड़ी बहुत मदद बच्चों के परिवार से मिलने लगी तब जाकर अनुज ने एक किराए का कमरा लिया जहां आज भी वो रहते हैं.

Gabbar Sir Pathshala in Faridabad
बच्चों को योगा सिखाते हुए गब्बर सर.

फरीदाबाद के इस्माइलपुर में गब्बर सर की पाठशाला: अनुज आगे बताते हैं कि, 'मुझे पढ़ाते हुए 9 साल हो गए, आज मेरे पास दो हजार से ज्यादा बच्चे फ्री में पढ़ते हैं. शुरुआत के 4 साल मेरे लिए काफी मुश्किल भरा रहा. 4 साल मैंने गर्मी हो या सर्दी जहां जगह मिली, वहीं पर बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. मेरे पास खाने के लिए पैसे नहीं थे. ऐसे में बच्चे मेरे लिए खाना लेकर आते थे. मैं रोड पर ही सोया करता था, लेकिन मेरे अंदर कुछ कर गुजरने का जज्बा था. खाना भी मुझे 2 दिन में एक बार ही मिलता था, लेकिन मैंने अपना लक्ष्य नहीं छोड़ा. मैं बच्चे को शिक्षा का स्तर और बढ़ाना चाहता हूं. जब मैं फरीदाबाद आया तो मेरे साथ गौतम, आशुतोष, आर्यन अंकित लाल श्रीवास्तव मेरे साथ जुड़े. उसके बाद हमने फैसला लिया गरीब बच्चे को हम मुफ्त में कॉपी, पेंसिल देने के साथ व्यायाम पर भी ध्यान देंगे. आज मैं फरीदाबाद के इस्माइलपुर में बच्चों को पढ़ाता हूं और इसके साथ ही फरीदाबाद की दोनों पुलिस लाइन में भी बच्चों की क्लास लेता हूं. बच्चों की सेवा और जन सेवा में समर्पित मैं सरकार से छोटी सी मदद चाहता हूं.'

Gabbar Sir Pathshala in Faridabad
गब्बर सर से व्यायाम सीखते हुए बच्चे.

अनुज सिंघल (Gabbar sir in Faridabad) ने कहा कि, अब आसपास के लोग मुझे जानने लगे हैं और यही वजह है कि कुछ सामाजिक संस्थाएं, कुछ लोग मुझे सपोर्ट करते हैं और यही वजह है कि आज भी मेरा जज्बा कायम है.

अनुज सिंघल का नाम गब्बर कैसे पड़ा: ETV भारत से अनुज से गब्बर नाम पड़ने के पीछे की कहानी के बारे में जानने की कोशिश की तो उन्होंने कि बेहतर होगा आप बच्चों से ही पूछ लें. ऐसे में जब इस बाबत बच्चों से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि, सर का नाम अनूज सिंघल है और वह पढ़ाई के बारे में एकदम सख्त रहते हैं. बच्चों ने कहा कि अनुज सर पढ़ाई के मामले में कभी कोई समझौता नहीं करते हैं, वह हमें अच्छी तरह से पढ़ाते हैं सरल भाषा में समझाते हैं. बच्चों ने कहा कि अनुज सर पढ़ाई में किसी भी तरह से लापरवाही नहीं करते हैं. बच्चों का कहना है कि, अनुज सर पढ़ाई के समय हमेशा हम लोगों से सख्ती के साथ पेश आते हैं. इसी वजह से हमलोगों ने अनुज सर का नाम गब्बर रख दिया.

Gabbar Sir Pathshala in Faridabad
फरीदाबाद में गब्बर सर की क्लास.

अनुज खुद का कर चुके हैं पिंडदान: बता दें कि गब्बर (Gabbar Sir Pathshala in Faridabad) अपना खुद का पिंडदान कर चुके हैं. अनुज कहते हैं कि, 'मैं घर से गरीब बच्चों की सेवा के लिए निकल चुका हूं. ऐसे में परिवार वालों ने मुझसे नाता तोड़ दिया है और यही वजह है कि मैंने अपना खुद का पिंडदान भी कर दिया है. ताकि मेरे मरने के बाद पिंडदान की जरूरत न पड़े. मैं जिंदगी में कभी शादी नहीं करूंगा और इसी तरह से गरीब बच्चों की सेवा करता रहूंगा ताकि बच्चे पढ़ेंगे तो आगे जाकर देश का नाम रोशन होगा.' अनुज को फरीदाबाद में पिछले 9 साल से पढ़ा रहे हैं. आज भी अनुज से पढ़ने के लिए बच्चों की लाइन लगी रहती है.

Gabbar Sir Pathshala in Faridabad
गब्बर सर से व्यायाम सीखते हुए बच्चे.

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