फरीदाबाद: हरियाणा में NRC को लेकर चुनाव से पहले राजनीति गर्मा गई है. मुख्यमंत्री मनोहर लाल के एनआरसी को लेकर दिए गए बयान के बाद अलग-अलग राजनीतिक प्रतिक्रयाएं सामने आ रही हैं. इसी कड़ी में केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने NRC को लेकर बयान दिया.
एनआरसी पर कृष्णपाल गुर्जर की प्रतिक्रिया
कृष्णपाल गुर्जर ने सीएम मनोहर लाल खट्टर का समर्थन करते हुए इसे एक सराहनीय कदम बताया. उन्होंने कहा कि एनआरसी से देश में घुसपैठ कम होगा. उन्होंने कहा कि ये हिंदुस्तान है कोई धर्मशाला नहीं कि कोई भी कहीं से भी आकर यहां बस जाएगा.
क्या है एनआरसी?
- एनआरसी से पता चलता है कि कौन भारतीय नागरिक है और कौन नहीं. जिनके नाम इसमें शामिल नहीं होते हैं, उन्हें अवैध नागरिक माना जाता है. इसके हिसाब से 25 मार्च, 1971 से पहले असम में रह रहे लोगों को भारतीय नागरिक माना गया है.असम पहला राज्य है जहां भारतीय नागरिकों के नाम शामिल करने के लिए 1951 के बाद एनआरसी को अपडेट किया जा रहा है. एनआरसी का पहला मसौदा 31 दिसंबर और एक जनवरी की रात जारी किया गया था, जिसमें 1.9 करोड़ लोगों के नाम थे.
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- असम में बांग्लादेश से आए घुसपैठियों पर बवाल के बाद सुप्रीम कोर्ट ने एनआरसी अपडेट करने को कहा था. पहला रजिस्टर 1951 में जारी हुआ था. ये रजिस्टर असम का निवासी होने का सर्टिफिकेट है. इस मुद्दे पर असम में कई बड़े और हिंसक आंदोलन हुए हैं. 1947 में बंटवारे के बाद असम के लोगों का पूर्वी पाकिस्तान में आना-जाना जारी रहा. 1979 में असम में घुसपैठियों के खिलाफ ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन ने आंदोलन किया. इसके बाद 1985 को तब की केंद्र में राजीव गांधी सरकार ने असम गण परिषद से समझौता किया. इसके तहत 1971 से पहले जो भी बांग्लादेशी असम में घुसे हैं, उन्हें भारत की नागरिकता दी जाएगी.
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- हालांकि तब इस पर काम शुरू नहीं हो सका. 2005 में जाकर कांग्रेस सरकार ने इस पर काम शुरू किया. 2015 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इसमें तेजी आई. इसके बाद असम में नागरिकों के सत्यापन का काम शुरू हुआ. राज्यभर में एनआरसी केंद्र खोले गए. असम का नागरिक होने के लिए वहां के लोगों को दस्तावेज सौंपने थे.