चंडीगढ़: देश के खस्ताहाल किसानों तक मदद पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने कई बड़े ऐलान किए हैं. आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत किसानों के लिए सरकार ने विभिन्न श्रेत्रों में सब्सिडी देने की बात कही है. लेकिन किसानों की इस बिगड़ती दशा के लिए आज भी सरकार को ही जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.
किसानों की वजह से देश सिर उठाकर खड़ा है- योगेंद्र यादव
ईटीवी भारत के साथ विशेष चर्चा के दौरान स्वराज इंडिया के संयोजक और किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि कोरोना के इस संकट में अगर देश सिर उठाकर खड़ा है तो वो सिर्फ किसानों की वजह से है. क्योंकि आज हमारे अनाज के भंडार भरे हुए हैं. नहीं तो हमारी स्थिति 1960 जैसी हो जाती.
योगेंद्र यादव ने कहा कि देश के किसानों को कुछ दिक्कतें हैं. पहली दिक्कत ये है कि यह कटाई का सीजन था और केंद्र सरकार के पहले नोटिफिकेशन में किसानों को कटाई करनी है. इस बात का जिक्र भी नहीं था. खैर किसी तरह किसानों ने कटाई कर ली. फिर उस फसल को बेचने की समस्या आई. दूसरी दिक्कत ये थी कि जिन किसानों ने सब्जियां उगाई, फल उगाए. उनका तो धंधा चौपट हो गया.
⦁ फिर किसान नेता होने के नाते हमने किसानों के लिए सरकार से कुछ चीजें मांगी कि जिन-जिन किसानों का धंधा चौपट हुआ है, उनका मुआवजा दे दो.
⦁ दूसरा जो फसल हम मंडी में किसी भी तरह से ला रहे हैं. उसका पूरा दाम दे दो.
⦁ तीसरा जो डीजल का दाम पूरी दुनिया में गिरा है. उसका फायदा किसान को भी दे दो.
⦁ और चौथा ये कि नया सीजन शुरू हो रहा है. उसके लिए बीज खरीदना है. इसके लिए किसान को थोड़ी से सब्सिडी दे दो.
सरकार ने कोई भी नया ऐलान नहीं किया- योगेंद्र यादव
देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो घोषणाएं कि उसमें इन चारों मांगों में से एक भी पूरी नहीं की गई. डेढ़ महीने पहले जो उन्होंने घोषणा की थी उसमें भी यही था कि जो पैसा उन्हें मिलना था वो पहले दिया जा रहा है. किसान सम्मान निधि जो उसे अप्रैल से जून के बीच में मिलनी ही थी. सरकार ने कहा कि वो उसे अप्रैल में ही दे देंगे और कहा कि ये किसानों के लिए बड़ा-बड़ा तोहफा है. मजे की बात तो ये है कि यही घोषणा वित्त मंत्री फरवरी में अपने बजट की घोषणा में कर चुकी है. फिर वही ऐलान करने का क्या मतलब है.
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