चंडीगढ़: सुप्रीम कोर्ट में जाने से पहले इस मामले की सुनवाई हाई कोर्ट में हुई थी. हाई कोर्ट में सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने ये निर्देश जारी किए थे कि चंडीगढ़ से स्ट्रीट वेंडर्स हटाए जाएंगे और इनको एक पट्टी खोल चढ़ा दी जाएगी. इसके बाद दोनों ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया था. सुप्रीम कोर्ट ने भी अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि स्ट्रीट वेंडर्स को हटाया जाए.
सेक्टर-16 में बैठने वाले वेंडर्स का कहना है कि वे 20-20 सालों से यहां बैठ रहे हैं. हमारी रोजी रोटी इन्हीं दुकानों से चलती है. अगर हमें यहां से हटा दिया जाएगा तो उनका रोजी रोटी कैसे चलेगी. वेंडर्स ने कहा कि जब उन्होंने यहां दुकानें लगानी शुरु की थी तब तो उन्हें किसी ने नहीं रोका. अब हमारे परिवार पूरी तरह से इन दुकानों पर निर्भर हो गए हैं तो प्रशासन हमें यहां से हटाना चाहता है.
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इस मामले में सुनवाई करने वाले एडवोकेट पंकज जैन का कहना है कि इन स्ट्रीट वेंडर्स को चार दिसंबर तक हटना पड़ेगा नहीं तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार इन्हें पांच तारीख को जबरदस्ती यहां से हटा दिया जाएगा. यहां का सर्वे करवाया था जिसमें ये साफ हुआ कि चंडीगढ़ के अंदर सिर्फ 6000 ही सर्टिफाइड वेंडर्स हैं जबकि चंडीगढ़ में इस समय 22,000 स्ट्रीट वेंडर्स बैठे हैं. इस मामले में लगातार कई बार सुनवाई हुई लेकिन वेंडर्स ने किसी आदेश को नहीं माना लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानना ही पड़ेगा.
जब इस बारे में चंडीगढ़ के मेयर राजेश कालिया से बात की गई तो उन्होंने कहा कि वे किसी की रोजी रोटी छीनना नहीं चाहते लेकिन हम सबको सुप्रीम कोर्ट का आदेश मानना होगा. नगर निगम कानून का पालन करने लिए प्रतिबद्ध है. वेंडर्स को भी हर हाल में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानना होगा. अगर कोई ऐसा नहीं करेगा तो उसे कानून का उल्लघंन माना जाएगा.
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