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स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट का मामला, HC ने हरियाणा सरकार को भेजा नोटिस - school leaving certificate case haryana

स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट के मामले में सुनवाई करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

punjab haryana high court
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Published : Jun 30, 2020, 6:54 PM IST

चंडीगढ़: निजी स्कूलों के संगठन द्वारा पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में दायर अपनी याचिका में हरियाणा सरकार द्वारा 15 जून को जारी इस आदेश को रद्द करने की मांग की थी जिसके तहत दाखिले में स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट की अनिवार्यता खत्म कर दी गई थी.

सीएलसी को लेकर हरियाणा सरकार को नोटिस जारी

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की डबल बेंच को बताया गया कि सरकार के आदेश के तहत सभी निजी स्कूलों को 15 दिनों के भीतर ऑनलाइन स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट जारी करने के निर्देश दिए हैं. अगर कोई प्राइवेट स्कूल संचालक 15 दिन के भीतर एसएलपी जारी नहीं करता है तो स्वाभाविक रूप से स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट को जारी हुआ मान लिया जाएगा और संबंधित विद्यार्थी का नियमित दाखिला कर दिया जाएगा.

याची के वकील ने बेंच को बताया कि सरकार का यह आदेश हरियाणा स्कूल शिक्षा रूल्स 158 के खिलाफ है. याची के वकील ने कहा कि इस मामले में सरकार खुद असमंजस में है. एक तरफ तो सरकार निजी स्कूलों को ट्यूशन फीस लेने की छूट दे रही है और ट्यूशन फीस ना देने वाले छात्रों के नाम काटने की इजाजत भी दी है, लेकिन दूसरी तरफ एसएलपी के बारे में यह आदेश एक दूसरे के विरोधाभास है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

सरकार ने सीएलसी की अनिवार्यता की थी खत्म

हरियाणा सरकार ने 15 जून को ऑर्डर जारी कर लिखा था कि बहुत सारे स्टूडेंट्स प्राइवेट स्कूलों को छोड़कर गवर्नमेंट स्कूलों में एडमिशन लेने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन प्राइवेट स्कूलों द्वारा एसएलसी जारी न किए जाने के कारण उनका एडमिशन नहीं हो पा रहा. ऑर्डर में पेरेंट्स व स्टूडेंट्स को राहत देते हुए लिखा गया था कि सरकारी स्कूल में एडमिशन लेने के इच्छुक सभी स्टूडेंट्स को तुरंत एडमिशन दिया जाए.

सरकारी स्कूलों की ओर से स्टूडेंट के पिछले प्राइवेट स्कूल को इस नए एडमिशन की लिखित में जानकारी भेजी जाए और 15 दिनों के अंदर ऑनलाइन एसएलसी जारी करने के लिए कहा जाए. ये लेटर गवर्नमेंट स्कूल के हेड की ओर से प्राइवेट स्कूल को भेजा जाएगा. लेटर में यह भी लिखा जाएगा कि अगर 15 दिनों में ऑनलाइन एसएलसी जारी नहीं होता तो यह मान लिया जाएगा कि एसएलसी खुद-ब-खुद जारी कर दिया जाएगा. ऑर्डर में साफ लिखा गया है कि कोविड-19 महामारी की वजह से किसी भी स्टूडेंट की पढ़ाई में बाधा नहीं आनी चाहिए.

गौरतलब है कि कोरोना के कारण मार्च माह से राज्य के सभी स्कूल कॉलेज बंद हैं. इस वजह से अभिभावक फीस देने को लेकर असमंजस में हैं. फीस का मामला अभी हाई कोर्ट में चल रहा है. इस बीच सरकार ने स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट की अनिवार्यता खत्म कर दी थी जिससे निजी स्कूल संचालकों में रोष है.

ये भी पढ़ें- फरीदाबाद में इस साल कांवड़ यात्रा पर रोक, पुलिस ने जारी की एडवाइजरी

चंडीगढ़: निजी स्कूलों के संगठन द्वारा पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में दायर अपनी याचिका में हरियाणा सरकार द्वारा 15 जून को जारी इस आदेश को रद्द करने की मांग की थी जिसके तहत दाखिले में स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट की अनिवार्यता खत्म कर दी गई थी.

सीएलसी को लेकर हरियाणा सरकार को नोटिस जारी

पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट की डबल बेंच को बताया गया कि सरकार के आदेश के तहत सभी निजी स्कूलों को 15 दिनों के भीतर ऑनलाइन स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट जारी करने के निर्देश दिए हैं. अगर कोई प्राइवेट स्कूल संचालक 15 दिन के भीतर एसएलपी जारी नहीं करता है तो स्वाभाविक रूप से स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट को जारी हुआ मान लिया जाएगा और संबंधित विद्यार्थी का नियमित दाखिला कर दिया जाएगा.

याची के वकील ने बेंच को बताया कि सरकार का यह आदेश हरियाणा स्कूल शिक्षा रूल्स 158 के खिलाफ है. याची के वकील ने कहा कि इस मामले में सरकार खुद असमंजस में है. एक तरफ तो सरकार निजी स्कूलों को ट्यूशन फीस लेने की छूट दे रही है और ट्यूशन फीस ना देने वाले छात्रों के नाम काटने की इजाजत भी दी है, लेकिन दूसरी तरफ एसएलपी के बारे में यह आदेश एक दूसरे के विरोधाभास है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

सरकार ने सीएलसी की अनिवार्यता की थी खत्म

हरियाणा सरकार ने 15 जून को ऑर्डर जारी कर लिखा था कि बहुत सारे स्टूडेंट्स प्राइवेट स्कूलों को छोड़कर गवर्नमेंट स्कूलों में एडमिशन लेने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन प्राइवेट स्कूलों द्वारा एसएलसी जारी न किए जाने के कारण उनका एडमिशन नहीं हो पा रहा. ऑर्डर में पेरेंट्स व स्टूडेंट्स को राहत देते हुए लिखा गया था कि सरकारी स्कूल में एडमिशन लेने के इच्छुक सभी स्टूडेंट्स को तुरंत एडमिशन दिया जाए.

सरकारी स्कूलों की ओर से स्टूडेंट के पिछले प्राइवेट स्कूल को इस नए एडमिशन की लिखित में जानकारी भेजी जाए और 15 दिनों के अंदर ऑनलाइन एसएलसी जारी करने के लिए कहा जाए. ये लेटर गवर्नमेंट स्कूल के हेड की ओर से प्राइवेट स्कूल को भेजा जाएगा. लेटर में यह भी लिखा जाएगा कि अगर 15 दिनों में ऑनलाइन एसएलसी जारी नहीं होता तो यह मान लिया जाएगा कि एसएलसी खुद-ब-खुद जारी कर दिया जाएगा. ऑर्डर में साफ लिखा गया है कि कोविड-19 महामारी की वजह से किसी भी स्टूडेंट की पढ़ाई में बाधा नहीं आनी चाहिए.

गौरतलब है कि कोरोना के कारण मार्च माह से राज्य के सभी स्कूल कॉलेज बंद हैं. इस वजह से अभिभावक फीस देने को लेकर असमंजस में हैं. फीस का मामला अभी हाई कोर्ट में चल रहा है. इस बीच सरकार ने स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट की अनिवार्यता खत्म कर दी थी जिससे निजी स्कूल संचालकों में रोष है.

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