चंडीगढ़: सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी के जन्म दिवस का दिन गुरु पर्व या प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है. इस दिन सिख समुदाय के लोग वाहे गुरु, वाहे गुरु जपते हुए सुबह-सुबह प्रभात फेरी निकालते हैं. गुरुद्वारे में शबद-कीर्तन करते हैं, रुमाला चढ़ाते हैं, शाम के वक्त लोगों को लंगर खिलाते हैं.
गुरु पर्व के दिन सिख धर्म के लोग अपनी श्रद्धा के अनुसार सेवा करते हैं. गुरुवाणी का पाठ करते हैं. गुरु नानक जयंती को प्रकाश पर्व के नाम से भी जाना जाता है. ये कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है.
गुरु नानक देव जी की जयंती
गुरु पर्व या प्रकाश पर्व गुरु नानक जी की जन्म की खुशी में मनाते हैं. सिखों के प्रथम गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को राय भोई की तलवंडी नाम की जगह पर हुआ था, जो अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत स्थित ननकाना साहिब में है. इस जगह का नाम ही गुरु नानक देव जी के नाम पर पड़ा. यहां बहुत ही प्रसिद्ध गुरुद्वारा ननकाना साहिब है.
महाराजा रणजीत सिंह ने करवाया ननकाना साहिब का निर्माण
ननकाना साहिब सिखों का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल माना जाता है. इस गुरुद्वारे को देखने के लिए दुनिया भर से लोग आते हैं. शेर-ए-पंजाब नाम से प्रसिद्ध सिख साम्राज्य के राजा महाराजा रणजीत सिंह ने ही गुरुद्वारा ननकाना साहिब का निर्माण करवाया था.
गुरु नानक देव जी ने सिख समाज की नींव रखी
गुरु नानक जी सिख समुदाय के संस्थापक और पहले गुरु थे. इन्होंने ही सिख समाज की नींव रखी. इनके अनुयायी इन्हें नानक देव जी, बाबा नानक और नानकशाह कहकर पुकारते हैं. लद्दाख और तिब्बत में इन्हें नानक लामा कहा जाता है. गुरु नानक जी ने अपना पूरा जीवन मानव सेवा में लगा दिया.
विदेशों में गुरुजी का उपदेश
गुरुजी ने सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि अफगानिस्तान, ईरान और अरब देशों में भी जाकर उपदेश दिए. पंजाबी भाषा में उनकी यात्रा को 'उदासियां' कहते हैं. उनकी पहली 'उदासी' अक्टूबर 1507 ईं. से 1515 ईं. तक रही.
गुरु नानक देव जी के 10 उपदेश
- ईश्वर एक है. वह सर्वत्र विद्यमान है. हम सबका "पिता" वही है इसलिए सबके साथ प्रेम पूर्वक रहना चाहिए.
- तनाव मुक्त रहकर अपने कर्म को निरंतर करते रहना चाहिए तथा सदैव प्रसन्न भी रहना चाहिए.
- गुरु नानक देव पूरे संसार को एक घर मानते थे जबकि संसार में रहने वाले लोगों को परिवार का हिस्सा.
- किसी भी तरह के लोभ को त्याग कर अपने हाथों से मेहनत कर एवं न्यायोचित तरीकों से धन का अर्जन करना चाहिए.
- कभी भी किसी का हक नहीं छीनना चाहिए बल्कि मेहनत और ईमानदारी की कमाई में से ज़रुरतमंद को भी कुछ देना चाहिए.
- लोगों को प्रेम, एकता, समानता, भाईचारा और आध्यत्मिक ज्योति का संदेश देना चाहिए.
- धन को जेब तक ही सीमित रखना चाहिए. उसे अपने हृदय में स्थान नहीं बनाने देना चाहिए.
- स्त्री-जाति का आदर करना चाहिए. वह सभी स्त्री और पुरुष को बराबर मानते थे.
- संसार को जीतने से पहले स्वयं अपने विकारों पर विजय पाना अति आवश्यक है.
- अहंकार मनुष्य को मनुष्य नहीं रहने देता अतः अहंकार कभी नहीं करना चाहिए बल्कि विनम्र हो सेवाभाव से जीवन गुजारना चाहिए.