चंडीगढ़: रोहतक लोकसभा सीट से बीजेपी के सांसद अरविंद शर्मा इन दिनों अपने बयानों की वजह से प्रदेश की राजनीति में सुर्खियां बटोर रहे (ARVIND SHARMA STATEMENT) हैं. पहले वे मुख्यमंत्री के सामने ही भ्रष्टाचार को लेकर अपनी आवाज बुलंद कर चुके हैं. वहीं अब उन्होंने पार्टी के नेता और पूर्व राज्य मंत्री मनीष ग्रोवर के खिलाफ भी जुबानी तीर चला कर कई सवालों को जन्म दे दिया है. बीजेपी सांसद अरविंद शर्मा के बयान खड़े कर रहे हैं. अरविंद शर्मा अपनी ही पार्टी के खिलाफ आवाज उठा कर किस राजनीतिक समीकरण को साधने की कोशिश कर रहे हैं?
क्या वे अपनी ही पार्टी के खिलाफ बोलकर सीधी सीधी सरकार को चुनौती दे रहे हैं? या फिर इसके पीछे उनकी कोई और मंशा है? कभी कांग्रेस के झंडे के साथ खड़े रहे और कभी बीएसपी के हाथी पर चढ़े अरविंद शर्मा बीजेपी से सांसद तो बन गए, लेकिन क्या वे आने वाले दिनों के लिए कहीं नई राह तो नहीं तलाश रहे हैं? यह सभी सवाल हैं जो अरविंद शर्मा की ताजा बयान बाजी से उभरते हुए नजर आते हैं.
भविष्य की राजनीति को देखकर और रही ऐसी बयानबाजी: राजनीतिक मामलों के जानकार डॉ. सुरेंद्र धीमान (POLITICAL ANALYST DR SURINDER DHIMAN) कहते हैं कि जिस तरीके की बयानबाजी इस वक्त अरविंद शर्मा कर रहे हैं उसे देखकर लगता है कि वह भविष्य की राजनीति को देखकर ही इस तरह के बयान दे रहे हैं. वे कहते हैं कि अरविंद शर्मा दूरदर्शी नेता हैं और आगे क्या करना है इस बात का भी वे अंदाजा लगा लेते हैं. उसी के मुताबिक ही कदम उठाते हैं. वे कहते हैं कि जैसे पिछले लोकसभा चुनाव में जब उन्हें लगा कि कहीं से टिकट नहीं मिल रही है तो उन्होंने बीजेपी की तरफ स्विच ओवर किया. बीजेपी में जाना उनके लिए अच्छा रहा और लोकसभा चुनाव भी जीत गए.
रोहतक में मनीष ग्रोवर है उनके लिए एक तरह की चुनौती: डॉ. सुरेंद्र धीमान कहते हैं कि लेकिन जिस तरीके की भाषा शैली का इस्तेमाल वे आजकल कर रहे हैं। जैसे कि वे भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर लोगों के हाथ खड़े करके पूछ रहे हैं कि क्या हरियाणा में भ्रष्टाचार है और लोग कह रहे हैं कि (SURINDER DHIMAN ON ARVIND SHARMA) है. वे कहते हैं कि इसे देखकर ऐसा लग रहा है कि भले ही वे अभी बीजेपी को ना छोड़े लेकिन वह अंदर ही अंदर कोई दबाव बनाना चाह रहे हैं. क्योंकि लोकसभा चुनाव में भी रोहतक से जीते हैं, लेकिन वहां उनकी उस तरह की राजनीति नहीं चमक पा रही है, जिस तरह कि मनीष ग्रोवर की है. मनीष ग्रोवर का वहां एकछत्र राज चल रहा है. उनकी सरकार में सुनी भी जा रही है। क्योंकि वे राज्य मंत्री भी रहे हैं तो ऐसे में उनकी वहां के प्रशासन में छाप है.
उनकी बयानबाजी में छिपे हैं भविष्य के संकेत: डॉ. सुरेंद्र धीमान कहते हैं कि हालांकि अरविंद शर्मा मुख्यमंत्री को अच्छा बता रहे हैं, लेकिन उनके आसपास खड़े लोगों जो सलाह दे रहे हैं उन पर सवाल खड़े कर रहे हैं. इसे हम भविष्य की राजनीति के संकेत के तौर पर भी देख सकते (GAUR BRAHMIN EDUCATIONAL INSTITUTION LAND CASE) हैं. इसको कई और तरीके से भी देखा जा सकता है कि उनके जो दो ढाई साल बचे हैं, क्या वे बीजेपी से खुद को धीरे-धीरे दूर कर रहे हैं? इसके पीछे क्या उनकी राजनीति है हालांकि अभी उसका उन्होंने खुलासा नहीं किया है.
ब्राह्मण समाज के साथ 36 बिरादरी पर नजर: वे कहते हैं कि जिस तरीके से ब्राह्मण समुदाय के एक कार्यक्रम में उन्होंने यह सब बातें कहीं और साथ ही रामविलास शर्मा को लेकर जिस तरीके से उन्होंने कहा कि वे मुख्यमंत्री बन सकते थे, तो उसे देखकर लगता है कि वह दो तरह से अपनी बात को रखने की कोशिश कर रहे हैं. एक तो वह अपनी राजनीति को भी बनाए रखना चाहते हैं. दूसरा अपने समाज के लोगों और 36 बरादरी को साथ लेकर चलने का भी प्रयास कर रहे हैं.
राजनीतिक व्यक्ति कभी भी सुधार लेते हैं अपनी भूल: डॉ. सुरेंद्र धीमान कहते हैं कि वे उनके इन बयानों को एक तरह से अभी पार्टी के खिलाफ नहीं देखते हैं. क्योंकि अरविंद शर्मा कई बार अचानक से कुछ भी भूल जाते हैं जैसा कि उन्होंने एक बार कहा था कि मनीष ग्रोवर की और कोई आंख उठाएगा तो उसकी आंख निकाल दी जाएगी. हालांकि ब्राह्मण समाज के कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि वह उनकी बहुत बड़ी भूल थी. वे कहते हैं कि राजनीतिक लोगों के पास यो बहुत बडी एक सुविधा होती है कि, वह कभी भी अपनी बात को कह देते हैं और फिर उसको एक गलती के तौर पर मान भी लेते हैं. यानी राजनीतिक व्यक्ति कभी भी अपनी भूल को सुधार लेता है.
अरविंद शर्मा की भविष्य की ब्यान बाजी पर रखनी होगी नजर: इसी तरीके की बयानबाजी अरविंद शर्मा आगे भी जारी रखते हैं तो उससे उनकी लाइन भी क्लियर हो जाएगी कि वह क्या करना चाह रहे हैं. वे कहते हैं कि हालांकि मुख्यमंत्री भी उनसे बात करना चाह रहे हैं. इसके साथ ही डॉ सुरेंद्र धीमान कहते हैं कि जो भ्रष्टाचार के आरोप या भ्रष्टाचार की बात अरविंद शर्मा कह रहे थे तो उसमें सरकार जल्द हो सकता है कि विजिलेंस की कार्रवाई भी शुरू करवा दें. वे कहते हैं कि जिस तरीके से कांग्रेस के विधायक नीरज शर्मा ने फरीदाबाद में घोटाले की बात कही थी, तो सरकार ने उसकी जांच की और दो-तीन अधिकारियों पर भी उस मामले में कार्रवाई हुई है.
कहीं राजकुमार सैनी की राह पर तो नहीं अरविंद शर्मा: वे कहते हैं कि अगर अरविंद शर्मा आने वाले दिनों में भी बीजेपी के खिलाफ इसी तरीके के बयानबाजी करते हुए दिखाई दिए तो उससे थोड़ा सा समझ आएगा कि क्या वे पार्टी से अलग होना चाह रहे हैं या नहीं. मैं इसे ऐसे भी देख रहा हूं कि अभी दो ढाई साल हैं, एंटी कमबंसी फैक्टर उनके खिलाफ काम ना हो सकता है इसलिए बीवी ऐसी बयानबाजी कर रहे हो. इसलिए वे राजकुमार सैनी की तरह पहले ही उस राह पर चलने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन इसके लिए हमें थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा.
कांग्रेस में जाने की सोच सकते हैं अरविंद शर्मा:क्या अरविंद शर्मा भविष्य में कांग्रेस या आम आदमी पार्टी में तो नहीं जाएंगे तो इस सवाल के जवाब में डॉ सुरेंद्र धीमान कहते हैं कि कांग्रेस में अरविंद शर्मा के लिए मौका हो सकता है. क्योंकि करनाल में पार्टी के पास उनके कद का कोई नेता नहीं है. ऐसे में अगर अरविंद शर्मा कांग्रेस में जाने की सोच रहे हैं तो शायद जा सकते हैं. आम आदमी पार्टी में वे शायद ना जाएं. बाकी तो भविष्य की राजनीति पर निर्भर करता है, लेकिन दो बार वे करनाल से सांसद रह चुके हैं तो ऐसे में हो सकता है वह उस दिशा में सोच रहे हों.
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