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डेरा प्रमुख के सहयोगी कृष्ण लाल की पैरोल याचिका खारिज - पत्रकार छत्रपति रामचंद्र हत्याकांड आरोपी कृष्ण लाल

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पत्रकार छत्रपति रामचंद्र हत्याकांड में डेरा प्रमुख के सहयोगी कृष्ण लाल को पैरोल देने की मांग खारिज करते हुए, याचिका वापस लेने की छूट दे दी है.

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Published : May 13, 2020, 11:24 AM IST

चंडीगढ़: पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में पत्रकार छत्रपति रामचंद्र हत्याकांड मामले की सुनवाई हुई. कोर्ट ने पत्रकार छत्रपति रामचंद्र हत्याकांड में डेरा प्रमुख के सहयोगी कृष्ण लाल को पैरोल देने की मांग खारिज करते हुए, याचिका वापस लेने की छूट दे दी है. कृष्ण लाल इस समय उम्र कैद की सजा के तहत अंबाला जेल में बंद है. याचिका में अंबाला जेल सुपरिंटेंडेंट के 2 मई के उस आदेश को भी रद्द करने की मांग की गई जिसमें उनकी पैरोल की मांग को खारिज कर दिया गया था.

हाई कोर्ट को बताया गया कि कृष्ण लाल की माता का 1 मई को देहांत हो गया था व 13 मई को उसकी माता की तेरहवीं है. इसको लेकर उन्होंने अंबाला जेल सुपरिंटेंडेंट को एक मांग पत्र देकर दो सप्ताह की पैरोल देने की मांग की थी, लेकिन अंबाला जेल सुपरिंटेंडेंट ने सिरसा के एसएचओ की उस रिपोर्ट, जिसमें कहा गया था कि कृष्ण लाल को पैरोल देने से कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है, का हवाला देकर उनकी मांग खारिज कर दी.

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कोर्ट को बताया गया कि ट्रायल के दौरान याची कई साल तक जमानत पर बाहर रहा व उसने कभी कानून के खिलाफ काम नहीं किया. उसकी माता के अंतिम कार्यक्रम में भाग लेना उसका अधिकार भी है. ऐसे में उसे पैरोल दी जाए. मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई ने पैरोल देने का विरोध करते हुए कहा कि याची को पैरोल देने से राज्य कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है.

याची रणजीत सिंह मर्डर केस में भी आरोपी है और वह मामला अपने अंतिम चरण में ऐसे में याची को अगर पैरोल दी जाती है तो वह वापस नहीं आएगा. सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि याची के दो भाई हैं जो उसकी माता की अंतिम रस्म पूरी कर सकते हैं इसलिए याची को जमानत नहीं दी जानी चाहिये. सीबीआई का पक्ष सुनने के बाद कोर्ट ने पैरोल याचिका वापस लेने की छूट देते हुए याचिका खारिज कर दी.

गौरतलब है कि वर्ष 2002 में पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की उनके आवास के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. दरअसल उनके अखबार ‘पूरा सच’ ने एक पत्र प्रकाशित किया था, जिसमें सिरसा स्थित डेरा मुख्यालय में गुरमीत पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया गया था. इस मामले में गुरमीत राम रहीम और समेत चारों आरोपियों को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी. तीन अन्य आरोपी- कुलदीप सिंह, निर्मल सिंह और कृष्ण लाल हैं.

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चंडीगढ़: पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में पत्रकार छत्रपति रामचंद्र हत्याकांड मामले की सुनवाई हुई. कोर्ट ने पत्रकार छत्रपति रामचंद्र हत्याकांड में डेरा प्रमुख के सहयोगी कृष्ण लाल को पैरोल देने की मांग खारिज करते हुए, याचिका वापस लेने की छूट दे दी है. कृष्ण लाल इस समय उम्र कैद की सजा के तहत अंबाला जेल में बंद है. याचिका में अंबाला जेल सुपरिंटेंडेंट के 2 मई के उस आदेश को भी रद्द करने की मांग की गई जिसमें उनकी पैरोल की मांग को खारिज कर दिया गया था.

हाई कोर्ट को बताया गया कि कृष्ण लाल की माता का 1 मई को देहांत हो गया था व 13 मई को उसकी माता की तेरहवीं है. इसको लेकर उन्होंने अंबाला जेल सुपरिंटेंडेंट को एक मांग पत्र देकर दो सप्ताह की पैरोल देने की मांग की थी, लेकिन अंबाला जेल सुपरिंटेंडेंट ने सिरसा के एसएचओ की उस रिपोर्ट, जिसमें कहा गया था कि कृष्ण लाल को पैरोल देने से कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है, का हवाला देकर उनकी मांग खारिज कर दी.

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कोर्ट को बताया गया कि ट्रायल के दौरान याची कई साल तक जमानत पर बाहर रहा व उसने कभी कानून के खिलाफ काम नहीं किया. उसकी माता के अंतिम कार्यक्रम में भाग लेना उसका अधिकार भी है. ऐसे में उसे पैरोल दी जाए. मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई ने पैरोल देने का विरोध करते हुए कहा कि याची को पैरोल देने से राज्य कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है.

याची रणजीत सिंह मर्डर केस में भी आरोपी है और वह मामला अपने अंतिम चरण में ऐसे में याची को अगर पैरोल दी जाती है तो वह वापस नहीं आएगा. सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि याची के दो भाई हैं जो उसकी माता की अंतिम रस्म पूरी कर सकते हैं इसलिए याची को जमानत नहीं दी जानी चाहिये. सीबीआई का पक्ष सुनने के बाद कोर्ट ने पैरोल याचिका वापस लेने की छूट देते हुए याचिका खारिज कर दी.

गौरतलब है कि वर्ष 2002 में पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की उनके आवास के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. दरअसल उनके अखबार ‘पूरा सच’ ने एक पत्र प्रकाशित किया था, जिसमें सिरसा स्थित डेरा मुख्यालय में गुरमीत पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया गया था. इस मामले में गुरमीत राम रहीम और समेत चारों आरोपियों को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी. तीन अन्य आरोपी- कुलदीप सिंह, निर्मल सिंह और कृष्ण लाल हैं.

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