चंडीगढ़: एक सड़क हादसे में जान गंवाने वाली हरियाणा की लक्ष्मी देवी आज दुनिया में नहीं हैं, लेकिन वे दुनिया को अलविदा कहते हुए भी तीन लोगों को नया जीवन देकर गई हैं. उनकी दोनों किडनियां दो मरीजों में जबकि लीवर एक अन्य मरीज में प्रत्यारोपित किया गया जिससे इन तीनों लोगों को नई जिंदगी मिली है.
यमुनानगर की रहने वाली थी लक्ष्मी देवी
लक्ष्मी देवी यमुनानगर की रहने वाली थी. वे 15 जनवरी को एक सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गई थी. जिसके बाद उन्हें जगाधरी के सरकारी अस्पताल में ले जाया गया. हालत गंभीर होने की वजह से वहां से उन्हें चंडीगढ़ पीजीआई रेफर कर दिया गया.
21 जनवरी को किया गया था ब्रेन डेड घोषित
21 जनवरी तक डॉक्टरों ने उनकी जान बचाने की भरपूर कोशिश की, लेकिन 21 जनवरी को उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया. जिसके बाद पीजीआई के ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर ने मृतका के बेटे विक्रम सिंह से ऑर्गन डोनेशन पर विचार करने के लिए संपर्क किया और इसके बाद सारी फाॅर्मेलिटीज को पूरा करते हुए इन तीनों ट्रांस्प्लांटस को अंजाम दिया गया.
ग्रीन कॉरिडोर से सवा चार घंटे में चंडीगढ़ से दिल्ली पहुंचाया लीवर
लक्ष्मी देवी का लीवर दिल्ली के मैक्स अस्पताल में लीवर की बीमारी की आखिरी स्टेज में पहुंचे जयपुर के 60 वर्षीय मरीज को ट्रांस्प्लांट किया गया. उनके लीवर को वेल कोआर्डिनेटेड ग्रीन कॉरिडोर से चंडीगढ़ से दिल्ली के बीच का 314 किमी का सफर तय करते हुए सवा चार घंटे में पहुंचाया गया.
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लक्ष्मी देवी के प्रति अपनी श्रद्धांजलि देते हुए पीजीआई के निदेशक प्रो. जगत राम ने बताया कि डोनर परिवार की ओर से सिर्फ एक 'हां' पर ही कैडेवर ऑर्गन डोनेशन प्रोग्राम टिका होता है. मुझे पूरी उम्मीद है कि डोनर परिवार का निस्वार्थ भाव अधिक-से-अधिक लोगों को ऑर्गन डोनेशन के लिए प्रेरित करेगा और ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे लोगों को बचाने में मदद करेगा.
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