चंडीगढ़: साल 2016 में हरियाणा में राज्यसभा चुनाव (Haryana Rajya Sabha Election 2016) के दौरान कुछ ऐसा हुआ जो सुर्खियां बन गया था. उस वक्त मीडिया जगत के दिग्गज सुभाष चंद्रा की चुनाव में हुई जीत विवादों में आ गई थी. विवादों में आने की वजह रही कि चुनाव में कांग्रेस के 14 वोट रद्द हो गये थे. उस वक्त इस सब के पीछे राजनीतिक दलों ने एक बड़ी साजिश का भी आरोप लगाया था. सुभाष चंद्रा को राज्यसभा पहुंचाने में इन्ही 14 रद्द वोटों ने बड़ी भूमिका निभाई थी.
उस वक्त को याद करते हुए राजनीतिक मामलों के जानकार डॉ सुरेंद्र धीमान कहते हैं कि जैसे इस वक्त जून महीने में राज्यसभा के लिए चुनाव हो रहे हैं वैसे ही साल 2016 में भी राज्यसभा के चुनाव जून महीने में हो रहे थे. उस वक्त परिस्थितियां कुछ ऐसी बनी की 2 सीटों के लिए 3 उम्मीदवार मैदान में थे. हालांकि इस बार भी ऐसी ही उम्मीद जताई जा रही थी कि तीन उम्मीदवार मैदान में हो सकते हैं. क्योंकि अगर दो उम्मीदवार मैदान में होंगे तो दोनों निर्विरोध ही चुने जाएंगे. क्योंकि 2 सीटों के लिए चुनाव हो रहा है.
जून 2016 में हुए चुनाव में आरके आनंद जो इंडियन नेशनल लोकदल के उम्मीदवार थे, माना जाता था कि उनको कांग्रेस और इनेलो का समर्थन प्राप्त था. हालांकि वे खुद भी सोनिया गांधी से मिलकर आये थे तो माना जा रहा था कि उनकी जीत पक्की है. जबकि सुभाष चंद्रा बीजेपी के समर्थन से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में थे. इसके साथ ही एक और उम्मीदवार भी उस वक्त मैदान में थे. यानी उस चुनाव में तीन उम्मीदवार राज्यसभा की 2 सीटों के लिए खड़े थे.
हरियाणा का स्याही कांड क्या है- आरके आनंद इनेलो के करीबी थे क्योंकि उन्होंने लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था. उस वक्त के कांग्रेस नेताओं को लगता था कि वे उन को वोट नहीं देना चाहते थे. सुरेंद्र धीमान कहते हैं कि जैसा भूपेंद्र सिंह हुड्डा कहते हैं कि वे उस वक्त कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को कहकर आए थे कि वह आरके आनंद को वोट नहीं करेंगे. उस चुनाव के दौरान आज के नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपना वोट खाली रखा था. लेकिन उस वक्त जब वोटों की गिनती होने लगी तो ऐसा कहा जाने लगा कि जो आरके आनंद को वोट पड़ने थे उनकी स्याही अलग थी. क्योंकि राज्यसभा चुनाव के लिए एक तरह की पेन से ही वोट करने होते हैं. ये पेन चुनाव आयोग की तरफ से दी जाती है. इसी स्याही के पेन से ही टिक मार्क करना होता है. लेकिन कांग्रेस के 14 उम्मीदवारों के वोट पर दूसरी पेन के निशान थे जिसके चलते उनके वोट कैंसिल कर दिये गये.
हालांकि स्याही का वह विवाद जांच का विषय है, वह मामला कोर्ट में भी गया था. लेकिन अभी तक यह तय नहीं हुआ है कि वो स्याही अलग थी या नहीं. स्याही अलग होने के नाम पर वोट तो कैंसल हो गए. लेकिन अभी तक साफ नहीं हो पाया है कि वह पेन कैसे बदला गया था जिससे टिक मार्क करना था. साथ ही वह पेन किसने बदला था यह भी आज तक स्पष्ट नहीं हो पाया है. क्योंकि आरके आनंद अभय चौटाला के करीबी थे. इसी वजह से उन्होंने आरोप लगाया था कि जानबूझकर कांग्रेस के लोगों ने पेन बदला है. ताकि आरके आनंद के वोट रिजेक्ट हो जाएं और सुभाष चंद्र जीत जाए.
उस वक्त इस मामले में रिटर्निंग ऑफिसर आरके नांदल और उनके सहयोगी पर भी आरोप लगाए गए थे. इस बार भी राज्यसभा चुनाव के रिटर्निंग ऑफिसर आरके नांदल ही हैं. उनके ऊपर भी चुनाव आयोग ने आपत्ति जताई थी. अंत में उसमें भी यही निकला कि उनका कोई दोष नहीं था. वहीं इस बार भी आरके नांदल को रिटर्निंग ऑफिसर बनाया गया है. जबकि स्याही कांड का खुलासा आज तक नहीं हुआ. वह सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप में दबकर रह गया. ना ही आज तक यह पता चला है कि वह पेन किसने बदला था.