चंडीगढ़: पूर्व प्रधानमंत्री और बीजेपी के दिग्गज दिवंगत नेता अटल बिहारी वाजपेयी की आज पहली पुण्यतिथि है. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘सदैव अटल' पहुंचे और अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि दी. 16 अगस्त 2018 को उनका अटल जी का निधन हो गया था.
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Delhi: President Ram Nath Kovind & Prime Minister Narendra Modi pay tribute to former PM #AtalBihariVajpayee , on his first death anniversary at 'Sadaiv Atal' - the memorial of Atal Bihari Vajpayee. pic.twitter.com/2gSFy65idL
— ANI (@ANI) August 16, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) August 16, 2019Delhi: President Ram Nath Kovind & Prime Minister Narendra Modi pay tribute to former PM #AtalBihariVajpayee , on his first death anniversary at 'Sadaiv Atal' - the memorial of Atal Bihari Vajpayee. pic.twitter.com/2gSFy65idL
— ANI (@ANI) August 16, 2019
1996 में बने थे प्रधानमंत्री
बीजेपी के उदार छवि के नेता समझे जाने वाले वाजपेयी सबसे पहले 1996 में प्रधानमंत्री बने थे. हालांकि उनकी सरकार महज 13 दिन तक ही चल सकी. इसके बाद वह 1998 में दूसरी बार प्रधानमंत्री बने और उनकी ये सरकार 13 महीनों तक चली. आखिरकार 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी ने अपना कार्यकाल पूरा किया. बता दें कि वाजपेयी 1957 में पहली बार उत्तर प्रदेश के बलरामपुर से लोकसभा के लिए चुने गए.
अविश्वास प्रस्ताव पर अटल जी ने दी धमाकेदार स्पीच
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने 2003 में अटल जी के कार्यकाल के दौरान अविश्वास प्रस्ताव सदन में पेश किया था. इस अविश्वास प्रस्ताव के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी ने जो स्पीच दी थी वो लोग आज भी सुनना पसंद करते हैं.
अटल जी के स्पीच के कुछ मुख्य अंश:
"हम यहां लोगों से चुन के आये हैं, जब तक लोग चाहेंगे हम रहेंगे आपका मेनडेत कौन होता है हमारा फैसला तय करने वाला""किसने आपको जज बनाया है, आप यहां तो शक्ति परीक्षण के लिये तैयार नहीं है, अब जब असैंबली के चुनाव होंगे तब हो जायेंगे दो-दो हाथ"
"मुझे वो दिन याद है जब पंडित जी देश के प्रधानमंत्री थे और सीमा पर चीन के साथ संधर्ष हो गया था, तो 26 जनवरी को रिपब्लिक डे के दिन जो परेड निकली उसमें राष्ट्रीय स्वंय सेवक संध के स्वंय सेवकों को उस परेड में शामिल होने के लिये बुलाया गया था"
सदन में कहे एक वक्तव्य को हमेशा याद करते हैं लोग
17 अप्रैल 1999 में जब अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा चल रही थी. उस दौरान अटल बिहारी वाजपेयी ने सदन में एक वक्तव्य कहा जो आज भी लोग सुनते हैं और उनका याद करते हैं.
उन्होंने कहा कि,
" परंपरा बनी रहे ये प्रकृति बनी रहे, सत्ता का खेल तो चलेगा सरकारे आयेंगी जायेंगी, पार्टियां बनेंगी बिगड़ेंगी मगर ये देश रहना चाहिये इस देश का लोकतंत्र अमर रहना चाहिये"