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हरियाणा में बीजेपी: कभी हर सीट पर उम्मीदवार नहीं थे, 42 साल में बन गई प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी

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Published : Apr 6, 2022, 2:21 PM IST

Updated : Apr 6, 2022, 3:25 PM IST

6 अप्रैल को बीजेपी अपना स्थापना दिवस (BJP Foundation Day) मना रही है. पूरे देश की तरह हरियाणा भी ऐसा राज्य रहा है जहां कांग्रेस का किला बेहद मजबूत था. इसके बावजूद हरियाणा में अपने पहले चुनाव से लेकर 42 सालों में बीजेपी फर्श से अर्श पर पहुंच गई. कभी 2 विधायक वाली पार्टी राज्य में पूर्ण बहुमत वाली सबसे बड़ी पार्टी बन गई. आइये आपको बताते हैं हरियाणा में बीजेपी का सफर.

BJP Establishment Day
BJP Establishment Day

चंडीगढ़: देश की सत्ता पर आसीन भारतीय जनता पार्टी अपना 42वां स्थापना दिवस (BJP Establishment Day) मना रही है. 42 साल पहले शुरू हुई भारतीय जनता पार्टी आज भारत ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टियों में से एक बन चुकी है. बीजेपी द्वारा दिए गए आंकड़ों की मानें तो बीजेपी के इस समय 18 करोड से ज्यादा कार्यकर्ता हैं जो दुनिया के कई देशों की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा हैं. देश के अलावा भारतीय जनता पार्टी कई अन्य प्रदेशों में भी अपनी सरकार चला रही है. इन्हीं में से एक राज्य है हरियाणा. दिल्ली के पड़ोसी इस राज्य में कभी बीजेपी के टिकट पर लड़ने वाले उम्मीदवार नहीं मिल रहे थे. लेकिन 42 साल में अब बहुत कुछ बदल गया है.

हरियाणा में बीजेपी का पहला चुनाव- भाजपा ने अपने गठन के 2 साल बाद ही साल 1982 में पहली बार हरियाणा में विधानसभा चुनाव लड़ा. तब बीजेपी देवीलाल के साथ गठबंधन करके चुनावी मैदान में उतरी थी. इस चुनाव में बीजेपी ने 24 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे जिनमें से उसे 6 उम्मीदवारों को जीत मिली. 5 साल के बाद साल 1987 में भाजपा ने एक बार फिर देवीलाल के साथ मिलकर हरियाणा में चुनाव लड़ा और इस बार उन्होंने सरकार बनाई. तब देवीलाल हरियाणा के मुख्यमंत्री बने. इन चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने 90 में से 20 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे जिनमें से 16 की जीत हुई थी. इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को कुल 10.08 फीसदी वोट हासिल हुए थे.

BJP history in haryana
इनेलो के साथ मिलकर लड़ी बीजेपी

बीजेपी का हरियाणा में पहला अकेला चुनाव- इसके बाद साल 1991 में भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा में बिना गठबंधन के अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया. इस चुनाव में पार्टी ने 90 में से 89 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे. लेकिन भाजपा की स्थिति इतनी खराब हो गई कि उसे मात्र 2 सीटों पर ही जीत मिल पाई. इन चुनावों में भाजपा का वोट प्रतिशत घटकर 9.43 फीसदी रह गया. इसके बाद साल 1996 में भाजपा ने बंसीलाल की हरियाणा विकास पार्टी के साथ हाथ मिलाया और विधानसभा चुनाव लड़ा. इस चुनाव में भाजपा ने 25 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे जिनमें से उसे महज 3 सीटों पर ही जीत मिली. इन चुनावों में भाजपा को 8.88% वोट मिले.

हालांकि भाजपा और हरियाणा विकास पार्टी के गठबंधन की जीत हुई और बंसीलाल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. लेकिन भाजपा ने साल 1999 में बंसीलाल से समर्थन वापस ले लिया. हरियाणा विकास पार्टी से अलग होकर ओम प्रकाश चौटाला को समर्थन दिया और ओम प्रकाश चौटाला मुख्यमंत्री बन गए. साल 2000 में फिर से हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए इस साल भाजपा ने फिर से चौटाला परिवार में विश्वास जताया और मिलकर चुनाव लड़ा. इन चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने 29 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे जिनमें से उसे 6 सीटों पर जीत मिली. हालांकि पिछले चुनाव के मुकाबले भाजपा का वोट प्रतिशत ज्यादा नहीं बढ़ा वोट प्रतिशत 0.06% बढ़कर 8.94% तक पहुंचा. इन चुनावों में भी इस गठबंधन की जीत हुई और प्रदेश में ओम प्रकाश चौटाला की अगुवाई में सरकार बनी.

जब बीजेपी के महज 2 विधायक जीते- हालांकि चुनाव में भाजपा और इनेलो गठबंधन ने जीत हासिल कर सरकार तो बना ली थी लेकिन इसके बाद भाजपा ने अपना रास्ता अकेले तय करने की सोच ली थी. साल 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने हरियाणा की सभी 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे लेकिन इन चुनाव में भाजपा की बुरी हार हुई 90 में से महज 2 सीटें मिली. जिनमें से नारनौल से राम कुमार और हसनगढ़ सीट से नरेश कुमार जीते. इन चुनावों में भाजपा का वोट शेयर 10.36% रहा. इन चुनावों में कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन किया और भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अगुवाई में कांग्रेस की सरकार बनी.

BJP history in haryana
बीजेपी रैली की फाइल फोटो

इस हार के बाद भी भाजपा गठबंधन के मूड में नहीं थी इसीलिए 2009 में फिर से भाजपा ने सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ा और मात्र 4 सीटें ही जीत पाई. जिसमें अंबाला कैंट से अनिल विज, सोनीपत से कविता जैन, तिगांव से कृष्णपाल, और भिवानी से घनश्याम सर्राफ जीते. हालांकि इस चुनाव में भाजपा का वोट शेयर पिछले चुनाव के मुकाबले कम हुआ. इस चुनाव में भाजपा को कुल 9.04 फीसदी वोट मिले.

मोदी लहर में मिला बहुमत- पिछली हार को भुलाकर भाजपा हरियाणा में अगले चुनाव की तैयारी में जुट गई. 2014 आते-आते भाजपा एक बड़ी पार्टी बन चुकी थी. तब तक नरेंद्र मोदी देश के सबसे लोकप्रिय नेता बन चुके थे. देशभर में उनके नाम की लहर चल पड़ी. 2014 में जहां केंद्र में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनी वहीं केंद्र की इस लहर का हरियाणा भाजपा को भी मिला. 2014 विधानसभा चुनाव में हरियाणा में भाजपा ने फिर से अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया और 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए.

इस बार भाजपा का जादू चल निकला. भाजपा ने 90 में से 47 सीटों पर कब्जा जमा लिया. हरियाणा में पहली बार बीजेपी ने अपने दम पर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई. भाजपा का वोट शेयर 9 फीसदी से बढ़कर 33.20 फीसदी तक पहुंच गया. इस साल भाजपा ने संघ के नेता और करनाल से विधायक मनोहर लाल की अगवाई में प्रदेश में सरकार बनाई. बीजेपी का आत्मविश्वास अब सातवें आसमान पर था. बीजेपी को यह साफ हो गया था कि वह हरियाणा की सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है और शायद अब उसे अगले चुनाव में भी गठबंधन की जरूरत नहीं पड़ेगी. साल 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने मिशन-75 का नारा दिया. यानी भाजपा नेता इस चुनाव में 90 में से 75 से ज्यादा सीटों की उम्मीद कर रहे थे लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

BJP history in haryana
मोदी लहर में बीजेपी को हरियाणा में पूर्ण बहुमत मिला

भाजपा को 90 में से 40 सीटें मिली हालांकि उसका वोट शेयर 33 प्रतिशत से बढ़कर 36.49 प्रतिशत पहुंच गया. लेकिन 7 सीटों का नुकसान भी हुआ. ऐसे में भाजपा को एक बार फिर से चौटाला परिवार की याद आई. लेकिन इस बार इंडियन नेशनल लोक दल नहीं बल्कि नई बनी पार्टी जननायक जनता पार्टी उसके सामने थी जो इंडियन नेशनल लोकदल से अलग होकर बनी थी. इस पार्टी के नेता थे चौधरी देवीलाल के पोते और पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के बड़े बेटे अजय चौटाला.

BJP history in haryana
दुष्यंत चौटाला और मुख्यमंत्री मनोहर लाल

पार्टी को खड़ा करने का श्रेय पूरी तरह से अजय चौटाला के बड़े बेटे दुष्यंत चौटाला को जाता है. दुष्यंत चौटाला ने अपने बलबूते पर अकेले चुनाव लड़ा और पहले ही चुनाव में प्रदेश में 10 सीटें जीत ली. बाद में भाजपा और जेजेपी के बीच गठबंधन हुआ. भाजपा ने लगातार दूसरी बार अपनी सरकार बना ली. मनोहर लाल फिर से प्रदेश के मुख्यमंत्री बने जबकि दुष्यंत चौटाला को उप मुख्यमंत्री बनाया गया. वर्तमान में दोनों पार्टियां मिलकर प्रदेश सरकार चला रही हैं. यही नहीं साल 2014 में 10 में से 7 सांसद और 2019 के लोकसभा चुनाव में सभी दस सीटें जीतकर बीजेपी ने इतिहास बना दिया.

चंडीगढ़: देश की सत्ता पर आसीन भारतीय जनता पार्टी अपना 42वां स्थापना दिवस (BJP Establishment Day) मना रही है. 42 साल पहले शुरू हुई भारतीय जनता पार्टी आज भारत ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टियों में से एक बन चुकी है. बीजेपी द्वारा दिए गए आंकड़ों की मानें तो बीजेपी के इस समय 18 करोड से ज्यादा कार्यकर्ता हैं जो दुनिया के कई देशों की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा हैं. देश के अलावा भारतीय जनता पार्टी कई अन्य प्रदेशों में भी अपनी सरकार चला रही है. इन्हीं में से एक राज्य है हरियाणा. दिल्ली के पड़ोसी इस राज्य में कभी बीजेपी के टिकट पर लड़ने वाले उम्मीदवार नहीं मिल रहे थे. लेकिन 42 साल में अब बहुत कुछ बदल गया है.

हरियाणा में बीजेपी का पहला चुनाव- भाजपा ने अपने गठन के 2 साल बाद ही साल 1982 में पहली बार हरियाणा में विधानसभा चुनाव लड़ा. तब बीजेपी देवीलाल के साथ गठबंधन करके चुनावी मैदान में उतरी थी. इस चुनाव में बीजेपी ने 24 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे जिनमें से उसे 6 उम्मीदवारों को जीत मिली. 5 साल के बाद साल 1987 में भाजपा ने एक बार फिर देवीलाल के साथ मिलकर हरियाणा में चुनाव लड़ा और इस बार उन्होंने सरकार बनाई. तब देवीलाल हरियाणा के मुख्यमंत्री बने. इन चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने 90 में से 20 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे जिनमें से 16 की जीत हुई थी. इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को कुल 10.08 फीसदी वोट हासिल हुए थे.

BJP history in haryana
इनेलो के साथ मिलकर लड़ी बीजेपी

बीजेपी का हरियाणा में पहला अकेला चुनाव- इसके बाद साल 1991 में भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा में बिना गठबंधन के अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया. इस चुनाव में पार्टी ने 90 में से 89 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे. लेकिन भाजपा की स्थिति इतनी खराब हो गई कि उसे मात्र 2 सीटों पर ही जीत मिल पाई. इन चुनावों में भाजपा का वोट प्रतिशत घटकर 9.43 फीसदी रह गया. इसके बाद साल 1996 में भाजपा ने बंसीलाल की हरियाणा विकास पार्टी के साथ हाथ मिलाया और विधानसभा चुनाव लड़ा. इस चुनाव में भाजपा ने 25 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे जिनमें से उसे महज 3 सीटों पर ही जीत मिली. इन चुनावों में भाजपा को 8.88% वोट मिले.

हालांकि भाजपा और हरियाणा विकास पार्टी के गठबंधन की जीत हुई और बंसीलाल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. लेकिन भाजपा ने साल 1999 में बंसीलाल से समर्थन वापस ले लिया. हरियाणा विकास पार्टी से अलग होकर ओम प्रकाश चौटाला को समर्थन दिया और ओम प्रकाश चौटाला मुख्यमंत्री बन गए. साल 2000 में फिर से हरियाणा में विधानसभा चुनाव हुए इस साल भाजपा ने फिर से चौटाला परिवार में विश्वास जताया और मिलकर चुनाव लड़ा. इन चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने 29 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे जिनमें से उसे 6 सीटों पर जीत मिली. हालांकि पिछले चुनाव के मुकाबले भाजपा का वोट प्रतिशत ज्यादा नहीं बढ़ा वोट प्रतिशत 0.06% बढ़कर 8.94% तक पहुंचा. इन चुनावों में भी इस गठबंधन की जीत हुई और प्रदेश में ओम प्रकाश चौटाला की अगुवाई में सरकार बनी.

जब बीजेपी के महज 2 विधायक जीते- हालांकि चुनाव में भाजपा और इनेलो गठबंधन ने जीत हासिल कर सरकार तो बना ली थी लेकिन इसके बाद भाजपा ने अपना रास्ता अकेले तय करने की सोच ली थी. साल 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने हरियाणा की सभी 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे लेकिन इन चुनाव में भाजपा की बुरी हार हुई 90 में से महज 2 सीटें मिली. जिनमें से नारनौल से राम कुमार और हसनगढ़ सीट से नरेश कुमार जीते. इन चुनावों में भाजपा का वोट शेयर 10.36% रहा. इन चुनावों में कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन किया और भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अगुवाई में कांग्रेस की सरकार बनी.

BJP history in haryana
बीजेपी रैली की फाइल फोटो

इस हार के बाद भी भाजपा गठबंधन के मूड में नहीं थी इसीलिए 2009 में फिर से भाजपा ने सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ा और मात्र 4 सीटें ही जीत पाई. जिसमें अंबाला कैंट से अनिल विज, सोनीपत से कविता जैन, तिगांव से कृष्णपाल, और भिवानी से घनश्याम सर्राफ जीते. हालांकि इस चुनाव में भाजपा का वोट शेयर पिछले चुनाव के मुकाबले कम हुआ. इस चुनाव में भाजपा को कुल 9.04 फीसदी वोट मिले.

मोदी लहर में मिला बहुमत- पिछली हार को भुलाकर भाजपा हरियाणा में अगले चुनाव की तैयारी में जुट गई. 2014 आते-आते भाजपा एक बड़ी पार्टी बन चुकी थी. तब तक नरेंद्र मोदी देश के सबसे लोकप्रिय नेता बन चुके थे. देशभर में उनके नाम की लहर चल पड़ी. 2014 में जहां केंद्र में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनी वहीं केंद्र की इस लहर का हरियाणा भाजपा को भी मिला. 2014 विधानसभा चुनाव में हरियाणा में भाजपा ने फिर से अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया और 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए.

इस बार भाजपा का जादू चल निकला. भाजपा ने 90 में से 47 सीटों पर कब्जा जमा लिया. हरियाणा में पहली बार बीजेपी ने अपने दम पर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई. भाजपा का वोट शेयर 9 फीसदी से बढ़कर 33.20 फीसदी तक पहुंच गया. इस साल भाजपा ने संघ के नेता और करनाल से विधायक मनोहर लाल की अगवाई में प्रदेश में सरकार बनाई. बीजेपी का आत्मविश्वास अब सातवें आसमान पर था. बीजेपी को यह साफ हो गया था कि वह हरियाणा की सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है और शायद अब उसे अगले चुनाव में भी गठबंधन की जरूरत नहीं पड़ेगी. साल 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने मिशन-75 का नारा दिया. यानी भाजपा नेता इस चुनाव में 90 में से 75 से ज्यादा सीटों की उम्मीद कर रहे थे लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

BJP history in haryana
मोदी लहर में बीजेपी को हरियाणा में पूर्ण बहुमत मिला

भाजपा को 90 में से 40 सीटें मिली हालांकि उसका वोट शेयर 33 प्रतिशत से बढ़कर 36.49 प्रतिशत पहुंच गया. लेकिन 7 सीटों का नुकसान भी हुआ. ऐसे में भाजपा को एक बार फिर से चौटाला परिवार की याद आई. लेकिन इस बार इंडियन नेशनल लोक दल नहीं बल्कि नई बनी पार्टी जननायक जनता पार्टी उसके सामने थी जो इंडियन नेशनल लोकदल से अलग होकर बनी थी. इस पार्टी के नेता थे चौधरी देवीलाल के पोते और पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के बड़े बेटे अजय चौटाला.

BJP history in haryana
दुष्यंत चौटाला और मुख्यमंत्री मनोहर लाल

पार्टी को खड़ा करने का श्रेय पूरी तरह से अजय चौटाला के बड़े बेटे दुष्यंत चौटाला को जाता है. दुष्यंत चौटाला ने अपने बलबूते पर अकेले चुनाव लड़ा और पहले ही चुनाव में प्रदेश में 10 सीटें जीत ली. बाद में भाजपा और जेजेपी के बीच गठबंधन हुआ. भाजपा ने लगातार दूसरी बार अपनी सरकार बना ली. मनोहर लाल फिर से प्रदेश के मुख्यमंत्री बने जबकि दुष्यंत चौटाला को उप मुख्यमंत्री बनाया गया. वर्तमान में दोनों पार्टियां मिलकर प्रदेश सरकार चला रही हैं. यही नहीं साल 2014 में 10 में से 7 सांसद और 2019 के लोकसभा चुनाव में सभी दस सीटें जीतकर बीजेपी ने इतिहास बना दिया.

Last Updated : Apr 6, 2022, 3:25 PM IST
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