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सड़कों पर उतरे किसानों का पूर्व सीएम हुड्डा ने किया समर्थन - भूपेंद्र सिंह हुड्डा किसान प्रदर्शन समर्थन

प्रदेश भर में सड़कों पर उतरे किसानों का नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने समर्थन करते हुए सरकार से धान की फसल पर लगाए प्रतिबंध को वापस लिए जाने की मांग की है.

bhupinder singh hooda
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Published : May 26, 2020, 7:22 AM IST

चंडीगढ़: पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने धान बुआई की बंदिशों के खिलाफ फतेहाबाद में सड़कों पर उतरे किसानों का समर्थन का ऐलान किया है. उन्होंने इसके साथ ही सरकार से धान की फसल पर लगाए प्रतिबंध को वापस लिए जाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि जिम्मेदार विपक्ष होने के नाते अन्नदाता की आवाज उठाना हमारा फर्ज है.

हुड्डा ने किसानों के प्रदर्शन को दिया समर्थन

हुड्डा ने कहा कि आज फतेहाबाद, कुरुक्षेत्र, कैथल पूरे प्रदेश का किसान आंदोलनरत है. फतेहाबाद में ट्रैक्टर रैली निकालने से पहले और बाद में भी भारतीय किसान यूनियन ने पंचायत की थी. इसके अलावा धान पाबंदी से प्रभावित तमाम इलाकों में किसान धरना प्रदर्शन कर रहे हैं क्योंकि वह किसी भी सूरत में सरकार की तरफ से लगाई गई बंदिशों को मानने के लिए तैयार नहीं है.

ये भी पढ़ें- प्रदेश में सोमवार को मिले 29 नए कोरोना संक्रमित, एक्टिव केस 395

उन्होंने कहा कि हमने सरकार को बार-बार किसानों की भावनाओं से अवगत करवाया है. अन्नदाता पहले ही बर्बादी की कगार पर है, लेकिन सरकार आंख बंद कर बैठ गई है. भूजल सर्वेक्षण के लिए नई परियोजनाएं चलाने के बजाय किसानों पर बंदिशें थोपी जा रही हैं. सत्ता पक्ष का अड़ियल रवैया सही नहीं है. महामारी के नाजुक दौर में ऐसे फैसले लेना उचित नहीं है, इसे तुरंत वापस लेना चाहिए.

वैकल्पिक खेती करने वाले किसान को हुआ सिर्फ नुकसान

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार किसानों पर वैकल्पिक खेती करने का दबाव तो बना रही है, लेकिन धान की परंपरागत खेती छोड़कर फूल और सब्जी का उत्पादन करने वाले किसानों की हालत खराब है. उनकी फसल खेतों में पड़ी-पड़ी खराब हो रही है. भिवानी समेत प्रदेशभर के किसान अपनी फसल को पशुओं के सामने डालने को मजबूर है क्योंकि ना फसल की खरीद हो रही है और ना ही उचित रेट मिल रहा है. पिछले साल सरकार के कहने पर मक्का उगाने वाले किसानों को भी सिर्फ घाटा ही हाथ लगा था.

कांग्रेस के सामने भी थी चुनौती, पर नहीं लगाई कोई पाबंदी

उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस कार्यकाल के दौरान भी सरकार के सामने भू-जल की चुनौती थी, लेकिन उस वक्त सरकार ने किसानों पर कोई पाबंदी नहीं लगाई थी. हमनें सिरसा में ओटू झील बनवाने के लिए इजरायली ड्रिप सिस्टम से सिंचाई को बढ़ावा देने जैसे कदम उठाए थे. ड्रिप सिंचाई को बढ़ावा देने के लिए फव्वारा सेट और पाइपलाइन के लिए किसानों को अनुदान दिया जाता था, लेकिन बीजेपी सरकार ने उसे बंद कर दिया. मौजूदा सरकार को भी भू-जल संरक्षण की योजनाओं के प्रति सकारात्मक रुख अपनाते हुए हाइब्रिड बीजों से धान की खेती को बढ़ावा देना चाहिए. इससे कम वक्त और कम पानी में धान की अच्छी फसल ली जा सकती है.

ये भी पढ़ें- सिरसा: शादी के बाद सबसे पहले दूल्हा-दुल्हन ने कराया कोरोना टेस्ट

चंडीगढ़: पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने धान बुआई की बंदिशों के खिलाफ फतेहाबाद में सड़कों पर उतरे किसानों का समर्थन का ऐलान किया है. उन्होंने इसके साथ ही सरकार से धान की फसल पर लगाए प्रतिबंध को वापस लिए जाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि जिम्मेदार विपक्ष होने के नाते अन्नदाता की आवाज उठाना हमारा फर्ज है.

हुड्डा ने किसानों के प्रदर्शन को दिया समर्थन

हुड्डा ने कहा कि आज फतेहाबाद, कुरुक्षेत्र, कैथल पूरे प्रदेश का किसान आंदोलनरत है. फतेहाबाद में ट्रैक्टर रैली निकालने से पहले और बाद में भी भारतीय किसान यूनियन ने पंचायत की थी. इसके अलावा धान पाबंदी से प्रभावित तमाम इलाकों में किसान धरना प्रदर्शन कर रहे हैं क्योंकि वह किसी भी सूरत में सरकार की तरफ से लगाई गई बंदिशों को मानने के लिए तैयार नहीं है.

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उन्होंने कहा कि हमने सरकार को बार-बार किसानों की भावनाओं से अवगत करवाया है. अन्नदाता पहले ही बर्बादी की कगार पर है, लेकिन सरकार आंख बंद कर बैठ गई है. भूजल सर्वेक्षण के लिए नई परियोजनाएं चलाने के बजाय किसानों पर बंदिशें थोपी जा रही हैं. सत्ता पक्ष का अड़ियल रवैया सही नहीं है. महामारी के नाजुक दौर में ऐसे फैसले लेना उचित नहीं है, इसे तुरंत वापस लेना चाहिए.

वैकल्पिक खेती करने वाले किसान को हुआ सिर्फ नुकसान

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार किसानों पर वैकल्पिक खेती करने का दबाव तो बना रही है, लेकिन धान की परंपरागत खेती छोड़कर फूल और सब्जी का उत्पादन करने वाले किसानों की हालत खराब है. उनकी फसल खेतों में पड़ी-पड़ी खराब हो रही है. भिवानी समेत प्रदेशभर के किसान अपनी फसल को पशुओं के सामने डालने को मजबूर है क्योंकि ना फसल की खरीद हो रही है और ना ही उचित रेट मिल रहा है. पिछले साल सरकार के कहने पर मक्का उगाने वाले किसानों को भी सिर्फ घाटा ही हाथ लगा था.

कांग्रेस के सामने भी थी चुनौती, पर नहीं लगाई कोई पाबंदी

उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस कार्यकाल के दौरान भी सरकार के सामने भू-जल की चुनौती थी, लेकिन उस वक्त सरकार ने किसानों पर कोई पाबंदी नहीं लगाई थी. हमनें सिरसा में ओटू झील बनवाने के लिए इजरायली ड्रिप सिस्टम से सिंचाई को बढ़ावा देने जैसे कदम उठाए थे. ड्रिप सिंचाई को बढ़ावा देने के लिए फव्वारा सेट और पाइपलाइन के लिए किसानों को अनुदान दिया जाता था, लेकिन बीजेपी सरकार ने उसे बंद कर दिया. मौजूदा सरकार को भी भू-जल संरक्षण की योजनाओं के प्रति सकारात्मक रुख अपनाते हुए हाइब्रिड बीजों से धान की खेती को बढ़ावा देना चाहिए. इससे कम वक्त और कम पानी में धान की अच्छी फसल ली जा सकती है.

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