चंडीगढ़: हरियाणा में सरसों और गेंहू की फसल खरीद जारी है. लॉक डाउन गाइडलाइंस और सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए किसानों की फसल खरीदी जा रही है. वहीं इस मामले पर नेता प्रतपिक्ष और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हु़ड्डा ने भी सरकार से खरीद प्रक्रिया आसान रखने व किसानों को बिना परेशान किए पूरी फसल खरीदने की बात कही.
उन्होंने ट्वीट कर कहा कि सरकार अपने वादे के मुताबिक किसान की फसल का दाना-दाना ख़रीदे. एकसाथ हर एक किसान से ख़रीद करे, बार-बार किसान को चक्कर ना कटवाए फसल ख़रीद की प्रक्रिया को जटिल नहीं, आसान बनाए सरकार. सरकार इस मुश्किल दौर में आढ़ती से समन्वय बिठाए, नये-नये प्रयोग न करे.
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◆ सरकार अपने वादे के मुताबिक किसान की फसल का दाना-दाना ख़रीदे।
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◆ एकसाथ करे हर एक किसान से ख़रीद, बार-बार ना कटवाए चक्कर।
◆ फसल ख़रीद की प्रक्रिया को जटिल नहीं, आसान बनाए सरकार।
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◆ एकसाथ करे हर एक किसान से ख़रीद, बार-बार ना कटवाए चक्कर।
◆ फसल ख़रीद की प्रक्रिया को जटिल नहीं, आसान बनाए सरकार।
◆ सरकार इस मुश्किल दौर में आढ़ती से समन्वय बिठाए, नये-नये प्रयोग न करे। pic.twitter.com/u09zkCo0EZ◆ सरकार अपने वादे के मुताबिक किसान की फसल का दाना-दाना ख़रीदे।
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◆ एकसाथ करे हर एक किसान से ख़रीद, बार-बार ना कटवाए चक्कर।
◆ फसल ख़रीद की प्रक्रिया को जटिल नहीं, आसान बनाए सरकार।
◆ सरकार इस मुश्किल दौर में आढ़ती से समन्वय बिठाए, नये-नये प्रयोग न करे। pic.twitter.com/u09zkCo0EZ
वहीं पूर्व सीएम ने लॉक डाउन में ऑनलाइन बिक्री शुरू होने को लेकर कहा कि ऑनलाइन बिक्री से चंद बड़ी कंपनियों को मुनाफ़ा होगा, लाखों छोटे व्यापारियों और दुकानदारों को इस दौरान नुकसान उठाना पड़ेगा. स्थानीय कारोबारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है अगर उनको नुकसान होगा तो अर्थव्यवस्था को भारी घाटा होगा.
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पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा ने प्रदेश के व्यापारियों और दुकानदारों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि देश और प्रदेश की सरकार को लॉकडाउन के दौरान सिर्फ़ ई-कॉमर्स कंपनियों को सामान बेचने की इजाजत नहीं देनी चाहिए क्योंकि, स्थानीय व्यापारी और दुकानदारों का काम-धंधा लॉकडाउन में ठप पड़ा है. अगर सरकार उनकी बजाय सिर्फ बड़ी-बड़ी कंपनियों को बिजनेस शुरू करने और होम डिलिवरी करने की इजाज़त देती है तो स्थानीय दुकानदारों का धंधा बिल्कुल चौपट हो जाएगा.
नेता प्रतिपक्ष ने एक बार फिर सरकार का ध्यान आढ़तियों और किसानों की तरफ दिलाया. उन्होंने कहा कि सरसों खरीद के दौरान सरकारी व्यवस्था पूरी तरह से दुरुस्त नज़र नहीं आ रही है. सरकार आढ़तियों से समन्वय स्थापित करे. ऐसा करना किसानों के हित में ज़रूरी है क्योंकि, हरियाणा के कुछ ही ज़िलों में सरसों की पैदावार होती है. सरकार अब तक पूरी सरसों नहीं ख़रीद पाई इसलिए किसानों को डर है कि गेहूं की ख़रीद में और ज्यादा अव्यवस्था फैल सकती है.
महामारी के इस दौर में सरकार को चाहिए कि परंपरागत ख़रीद प्रक्रिया के तहत आढ़तियों को बड़ी ज़िम्मेदारी सौंपे. पड़ोसी राज्य पंजाब ने भी ऐसा ही किया है. उसने सरसों की ख़रीद के बाद गेहूं की भी लगभग 40% फसल की ख़रीद पूरी कर ली है. हरियाणा में सरकार आज भी ख़रीद प्रक्रिया में लगातार नये-नये प्रयोग कर रही है, जिससे आढ़ती नाराज़ हैं. आढ़तियों के सहयोग के बिना किसान के दाने-दाने की ख़रीद संभव नहीं है.
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