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हुड्डा कमेटी पर तो कमेटी हुड्डा पर निर्भर, क्या होगा आखिरी फैसला ? - assembly elections 2019

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 18 अगस्त की रैली में एक 36 सदस्यीय कमेटी बनाने का ऐलान किया था, जिसे फैसला लेना था कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा को आगे नई पार्टी बनानी चाहिए या फिर कांग्रेस में ही बने रहना चाहिए उसी कमेटी से आज हुड्डा ने दिल्ली में सुझाव लिए.

bhupinder hooda
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Published : Sep 3, 2019, 6:43 PM IST

Updated : Sep 3, 2019, 7:37 PM IST

चंडीगढ़-दिल्लीः पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपनी 36 सदस्यीय कमेटी से अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर सुझाव लिए. ये वही कमेटी है जो भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 18 अगस्त को बनाई थी. इसी कमेटी को हुड्डा की नई पार्टी को लेकर फैसला लेना था.

36 सदस्यीय कमेटी के साथ भूपेंद्र हुड्डा ने की मीटिंग, देखिए वीडियो

कमेटी ने हुड्डा पर छोड़ा आखिरी फैसला
दिल्ली स्थित भूपेंद्र सिंह हुड्डा के आवास पर हुई इस बैठक में 36 सदस्यीय कमेटी से हुड्डा ने सुझाव लिए साथ ही एक-एक सदस्य से अलग-अलग बिठाकर भी बात की गई. लेकिन आखिर में इस पूरी कमेटी ने आखिरी फैसला भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर ही छोड़ दिया.

हुड्डा ने दिखाए थे बागी तेवर !
दरअसल भूपेंद्र सिंह हुड्डा और अशोक तंवर के कांग्रेस में रिश्ते जगजाहिर हैं दोनों कभी भी एक मंच पर नहीं आते हैं और जब से अशोक तंवर का हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल खत्म हुआ तब से हुड्डा गुट कांग्रेस हाईकमान पर हुड्डा को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के लिए दबाव डालने लगा. कई बार हुड्डा ने खुलकर कहा कि सूबे के संगठन में बदलाव की जरूरत है वो लगातार बड़े नेताओं से मिले लेकिन कुछ खास बात बन नहीं पाई इसीलिए हुड्डा ने 18 अगस्त की रैली से पहले ऐसा माहौल बनाया जैसे वो नई पार्टी बनाने जा रहे हैं हालांकि बाद में साफ हो गया कि ये केवल दबाव बनाने की रणनीति थी. इसी रैली में हुड्डा ने ये कमेटी बनाने का ऐलान कर दिया और कह दिया कि जो कमेटी कहेगी मैं वही करूंगा और अब उसी कमेटी ने कह दिया कि जो हुड्डा कहेंगे वही आखिरी फैसला होगा.

कांग्रेस का चुनाव में क्या होगा ?
कांग्रेस में अंदर ही अंदर इतनी कशमकश चल रही है कि वो अभी तक चुनाव में नहीं उतर पाई है. क्योंकि विधानसभा चुनाव में बहुत ज्यादा वक्त नहीं बचा है और बीजेपी पूरे तरीके से चुनावी मोड में पहले ही आ चुकी है. जेजेपी भी सक्रिय हो चुकी है लेकिन कांग्रेस में अभी भी हुड्डा बनाम तंवर ही चल रहा है.

चंडीगढ़-दिल्लीः पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपनी 36 सदस्यीय कमेटी से अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर सुझाव लिए. ये वही कमेटी है जो भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 18 अगस्त को बनाई थी. इसी कमेटी को हुड्डा की नई पार्टी को लेकर फैसला लेना था.

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कमेटी ने हुड्डा पर छोड़ा आखिरी फैसला
दिल्ली स्थित भूपेंद्र सिंह हुड्डा के आवास पर हुई इस बैठक में 36 सदस्यीय कमेटी से हुड्डा ने सुझाव लिए साथ ही एक-एक सदस्य से अलग-अलग बिठाकर भी बात की गई. लेकिन आखिर में इस पूरी कमेटी ने आखिरी फैसला भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर ही छोड़ दिया.

हुड्डा ने दिखाए थे बागी तेवर !
दरअसल भूपेंद्र सिंह हुड्डा और अशोक तंवर के कांग्रेस में रिश्ते जगजाहिर हैं दोनों कभी भी एक मंच पर नहीं आते हैं और जब से अशोक तंवर का हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल खत्म हुआ तब से हुड्डा गुट कांग्रेस हाईकमान पर हुड्डा को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के लिए दबाव डालने लगा. कई बार हुड्डा ने खुलकर कहा कि सूबे के संगठन में बदलाव की जरूरत है वो लगातार बड़े नेताओं से मिले लेकिन कुछ खास बात बन नहीं पाई इसीलिए हुड्डा ने 18 अगस्त की रैली से पहले ऐसा माहौल बनाया जैसे वो नई पार्टी बनाने जा रहे हैं हालांकि बाद में साफ हो गया कि ये केवल दबाव बनाने की रणनीति थी. इसी रैली में हुड्डा ने ये कमेटी बनाने का ऐलान कर दिया और कह दिया कि जो कमेटी कहेगी मैं वही करूंगा और अब उसी कमेटी ने कह दिया कि जो हुड्डा कहेंगे वही आखिरी फैसला होगा.

कांग्रेस का चुनाव में क्या होगा ?
कांग्रेस में अंदर ही अंदर इतनी कशमकश चल रही है कि वो अभी तक चुनाव में नहीं उतर पाई है. क्योंकि विधानसभा चुनाव में बहुत ज्यादा वक्त नहीं बचा है और बीजेपी पूरे तरीके से चुनावी मोड में पहले ही आ चुकी है. जेजेपी भी सक्रिय हो चुकी है लेकिन कांग्रेस में अभी भी हुड्डा बनाम तंवर ही चल रहा है.

Intro:नई दिल्ली: हरियाणा की सियासत में कांग्रेस का चेहरा माने जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के सियासत के भविष्य को लेकर आज दिल्ली में बड़ी बैठक हुई। यह बैठक भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा गठित 36 सदस्यों की कमेटी द्वारा की गई जिसमें आगे आने वाले चुनाव में पार्टी की क्या रणनीति रहनी चाहिए उस पर भी विचार किया गया।

ऐसा माना जा रहा है कि इसी बैठक के बाद यह तय किया जाएगा कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस में अपना सफर आगे जारी रखेंगे या नहीं। हालांकि सभी के सुझाव के बावजूद भी आखरी फैसला लेने के लिए कमेटी द्वारा हुड्डा को ही अधिकृत किया गया है।


Body:बता दें कि कांग्रेस से अपनी नाराजगी के बारे में हुड्डा ने 18 अगस्त को हुई महा परिवर्तन रैली के समय ही बता दिया था जिसमें उन्होंने हरियाणा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर को हटाने और पार्टी में अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए शर्ते रखी थी। इस मामले के तहत उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ भी मीटिंग की थी जिसमें उन्होंने अशोक तंवर को हटाने की मांग की थी।

इस मीटिंग के दौरान भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पहले सामूहिक तौर पर सभी सदस्यों की राय ली और उसके बाद कमेटी के सदस्यों से एक-एक करके भी बात की। मीडिया से बातचीत के दौरान कुछ सदस्यों ने बताया की सभी लोगों ने आखरी फैसला लेने के लिए हुड्डा कोई अधिकृत किया है और उनके लिए गए फैसले को सभी लोग स्वीकार भी करेंगे।


Conclusion:सभी सदस्यों ने अपनी राय में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को पूर्ण रूप से समर्थन दिया है ऐसे में देखना दिलचस्प होगा की हरियाणा में आने वाले चुनाव के लिए बिंदु सिंह हुड्डा कांग्रेस के साथ अपना सफर जारी रखेंगे या फिर अपने समर्थकों के साथ एक अलग पार्टी बना कर हरियाणा के चुनाव में खड़े होंगे।
Last Updated : Sep 3, 2019, 7:37 PM IST
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