चंडीगढ़-दिल्लीः पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपनी 36 सदस्यीय कमेटी से अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर सुझाव लिए. ये वही कमेटी है जो भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 18 अगस्त को बनाई थी. इसी कमेटी को हुड्डा की नई पार्टी को लेकर फैसला लेना था.
कमेटी ने हुड्डा पर छोड़ा आखिरी फैसला
दिल्ली स्थित भूपेंद्र सिंह हुड्डा के आवास पर हुई इस बैठक में 36 सदस्यीय कमेटी से हुड्डा ने सुझाव लिए साथ ही एक-एक सदस्य से अलग-अलग बिठाकर भी बात की गई. लेकिन आखिर में इस पूरी कमेटी ने आखिरी फैसला भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर ही छोड़ दिया.
हुड्डा ने दिखाए थे बागी तेवर !
दरअसल भूपेंद्र सिंह हुड्डा और अशोक तंवर के कांग्रेस में रिश्ते जगजाहिर हैं दोनों कभी भी एक मंच पर नहीं आते हैं और जब से अशोक तंवर का हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल खत्म हुआ तब से हुड्डा गुट कांग्रेस हाईकमान पर हुड्डा को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के लिए दबाव डालने लगा. कई बार हुड्डा ने खुलकर कहा कि सूबे के संगठन में बदलाव की जरूरत है वो लगातार बड़े नेताओं से मिले लेकिन कुछ खास बात बन नहीं पाई इसीलिए हुड्डा ने 18 अगस्त की रैली से पहले ऐसा माहौल बनाया जैसे वो नई पार्टी बनाने जा रहे हैं हालांकि बाद में साफ हो गया कि ये केवल दबाव बनाने की रणनीति थी. इसी रैली में हुड्डा ने ये कमेटी बनाने का ऐलान कर दिया और कह दिया कि जो कमेटी कहेगी मैं वही करूंगा और अब उसी कमेटी ने कह दिया कि जो हुड्डा कहेंगे वही आखिरी फैसला होगा.
कांग्रेस का चुनाव में क्या होगा ?
कांग्रेस में अंदर ही अंदर इतनी कशमकश चल रही है कि वो अभी तक चुनाव में नहीं उतर पाई है. क्योंकि विधानसभा चुनाव में बहुत ज्यादा वक्त नहीं बचा है और बीजेपी पूरे तरीके से चुनावी मोड में पहले ही आ चुकी है. जेजेपी भी सक्रिय हो चुकी है लेकिन कांग्रेस में अभी भी हुड्डा बनाम तंवर ही चल रहा है.