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अलविदा 2020: वो साल जब हरियाणा में अचानक बढ़ गई बेरोजगारी, घटा राजस्व, लेना पड़ा कर्ज

साल 2020 में जहां प्रदेश कोरोना से बुरी तरह से प्रभावित रहा तो इसका सीधा असर प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा. लॉकडाउन के दौरान उद्योग बंद होने से बेरोजगारी दर अचानक से बढ़ गई. हरियाणा सरकार को राजस्व घटने की वजह से कर्ज लेना पड़ा.

Haryana's economy deteriorated in 2020
अलविदा 2020: वो साल जब अचानक से जाने लगी नौकरियां
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Published : Dec 21, 2020, 11:46 AM IST

Updated : Dec 31, 2020, 8:44 PM IST

चंडीगढ़: साल 2020 अपने आखिरी पड़ाव पर है. लेकिन इस साल को दुनिया कई बड़े कारणों की वजह से याद रखेगी. साल 2020 में कोरोना वायरस ने करोड़ों लोगों को प्रभावित किया. लाखों लोगों ने इस साल कोरोना के चलते अपनी जान गंवाई. साल 2020 आर्थिक मोर्चे पर भी कई देशों को बड़ा झटका देकर गया. भारत समेत कई देशों में इस साल बेरोजगारी दर बढ़ी.

इस साल हरियाणा ने बेरोजगारी के पिछले सभी रिकॉर्ड ही तोड़ दिए. कई कंपनियां बंद हो गई. कई कर्मचारियों की नौकरी चली गई. मजदूरों को मनरेगा में काम तक नहीं मिला. बड़े पदों पर काम करने वाले लोग इस दौरान सब्जी बेचते नज़र आए. यही नहीं कोरोना काल में सरकार का खजाना तक खाली हो गया और सरकार को पहले से ज्यादा कर्ज लेना पड़ा.

अलविदा 2020: वो साल जब अचानक से जाने लगी नौकरियां, घट गया राजस्व, लेना पड़ा अतिरिक्त कर्ज

साल 2020 में बढ़ी बेरोजगारी

कोरोना हरियाणा की अर्थव्यवस्था पर इस तरह कहर बनकर बरसा कि पुराने सभी रिकॉर्ड ही टूट गए. CMIE की रिपोर्ट के मुताबिक नवंबर माह में सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर हरियाणा की रही, यह 25.6% थी. CMIE के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था की हेल्थ को बेरोजगारी दर सही तरह से दर्शाता है. क्योंकि यह देश की कुल जनसंख्या में कितने रोजगार हैं इसको बताता है.

Haryana economy deteriorated in 2020
अलविदा 2020: वो साल जब अचानक से जाने लगी नौकरियां, घट गया राजस्व, लेना पड़ा अतिरिक्त कर्ज

ये भी पढ़ें- हरियाणा में बढ़ रही बेरोजगारी, योग्यता के हिसाब से काम नहीं मिलने से युवा नाखुश

हरियाणा सरकार को करोड़ों का राजस्व घाटा

देशभर के साथ-साथ हरियाणा को भी कोरोना महामारी ने आर्थिक स्तर पर भारी नुकसान पहुंचाया है. हरियाणा सरकार को लॉकडाउन के दौरान करीब 16000 करोड़ से ज्यादा का राजस्व घाटा उठाना पड़ा. इस आर्थिक बोझ के चलते प्रदेश सरकार 10,000 करोड़ से ऊपर का अतिरिक्त कर्ज भी ले चुकी है. आंकड़ों के मुताबिक 1966 से लेकर 2014 तक हरियाणा का कर्ज 70 हजार करोड़ रुपये था. केवल साढ़े तीन साल मार्च 2018 तक 90 हजार करोड़ रुपये बढ़ गया. वहीं अब 2 लाख करोड़ के करीब पहुंचता जा रहा है.

हालात बिगड़े तो जागी मनोहर सरकार

हालात से निपटने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए. इस दौरान मनोहर सरकार ने कई अस्थाई कर्मचारियों को पदमुक्त किया. अपने स्तर पर कई अहम खर्चों में कटौती की गई. कोरोना रिलीफ फंड में प्रदेश सरकार के मंत्रियों से लेकर विधायकों तक ने 1 माह का वेतन दिया. हरियाणा सरकार ने नई गाड़ियों की खरीद पर रोक लगाने का निर्णय लिया. डेढ़ साल के लिए महंगाई भत्ता रोकने का फैसला लिया गया.

एलटीसी रोकने का फैसला लिया गया, एक साल के लिए नई भर्ती पर रोक लगाई गई. बसों का किराया बढ़ाया गया सरकार ने 100 किलोमीटर तक 15 पैसे प्रति किलोमीटर की बढ़ोतरी का फैसला लिया. मंडियों में सब्जी एवं फलों की बिक्री पर 1 फीसदी मार्किट फीस और 1 फीसदी HRDF सेस लगाया. प्रदेश सरकार ने डीजल और पेट्रोल पर वैट की दरों में भी बढ़ोतरी की पेट्रोल पर 1 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 1.1 रुपये प्रति लीटर वैट लगाया गया.

लॉकडाउन के दौरान हुए नुकसान की भरपाई हरियाणा सरकार ने जून महीने के बाद शुरू की. जब धीरे-धीरे चीजें अनलॉक होने लगी. इस दौरान न सिर्फ बेरोजगारी दर में गिरावट आनी शुरू हुई, साथ ही प्रदेश की आर्थिक हालत भी सुधरने लगी. हालांकि अभी सरकार को जरूरी खर्चों को पूरी करने के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है.

ये भी पढ़ें- अलविदा 2020: वो साल जब कोरोना के कारण चरमरा गई हरियाणा की स्वास्थ्य सेवाएं

चंडीगढ़: साल 2020 अपने आखिरी पड़ाव पर है. लेकिन इस साल को दुनिया कई बड़े कारणों की वजह से याद रखेगी. साल 2020 में कोरोना वायरस ने करोड़ों लोगों को प्रभावित किया. लाखों लोगों ने इस साल कोरोना के चलते अपनी जान गंवाई. साल 2020 आर्थिक मोर्चे पर भी कई देशों को बड़ा झटका देकर गया. भारत समेत कई देशों में इस साल बेरोजगारी दर बढ़ी.

इस साल हरियाणा ने बेरोजगारी के पिछले सभी रिकॉर्ड ही तोड़ दिए. कई कंपनियां बंद हो गई. कई कर्मचारियों की नौकरी चली गई. मजदूरों को मनरेगा में काम तक नहीं मिला. बड़े पदों पर काम करने वाले लोग इस दौरान सब्जी बेचते नज़र आए. यही नहीं कोरोना काल में सरकार का खजाना तक खाली हो गया और सरकार को पहले से ज्यादा कर्ज लेना पड़ा.

अलविदा 2020: वो साल जब अचानक से जाने लगी नौकरियां, घट गया राजस्व, लेना पड़ा अतिरिक्त कर्ज

साल 2020 में बढ़ी बेरोजगारी

कोरोना हरियाणा की अर्थव्यवस्था पर इस तरह कहर बनकर बरसा कि पुराने सभी रिकॉर्ड ही टूट गए. CMIE की रिपोर्ट के मुताबिक नवंबर माह में सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर हरियाणा की रही, यह 25.6% थी. CMIE के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था की हेल्थ को बेरोजगारी दर सही तरह से दर्शाता है. क्योंकि यह देश की कुल जनसंख्या में कितने रोजगार हैं इसको बताता है.

Haryana economy deteriorated in 2020
अलविदा 2020: वो साल जब अचानक से जाने लगी नौकरियां, घट गया राजस्व, लेना पड़ा अतिरिक्त कर्ज

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हरियाणा सरकार को करोड़ों का राजस्व घाटा

देशभर के साथ-साथ हरियाणा को भी कोरोना महामारी ने आर्थिक स्तर पर भारी नुकसान पहुंचाया है. हरियाणा सरकार को लॉकडाउन के दौरान करीब 16000 करोड़ से ज्यादा का राजस्व घाटा उठाना पड़ा. इस आर्थिक बोझ के चलते प्रदेश सरकार 10,000 करोड़ से ऊपर का अतिरिक्त कर्ज भी ले चुकी है. आंकड़ों के मुताबिक 1966 से लेकर 2014 तक हरियाणा का कर्ज 70 हजार करोड़ रुपये था. केवल साढ़े तीन साल मार्च 2018 तक 90 हजार करोड़ रुपये बढ़ गया. वहीं अब 2 लाख करोड़ के करीब पहुंचता जा रहा है.

हालात बिगड़े तो जागी मनोहर सरकार

हालात से निपटने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए. इस दौरान मनोहर सरकार ने कई अस्थाई कर्मचारियों को पदमुक्त किया. अपने स्तर पर कई अहम खर्चों में कटौती की गई. कोरोना रिलीफ फंड में प्रदेश सरकार के मंत्रियों से लेकर विधायकों तक ने 1 माह का वेतन दिया. हरियाणा सरकार ने नई गाड़ियों की खरीद पर रोक लगाने का निर्णय लिया. डेढ़ साल के लिए महंगाई भत्ता रोकने का फैसला लिया गया.

एलटीसी रोकने का फैसला लिया गया, एक साल के लिए नई भर्ती पर रोक लगाई गई. बसों का किराया बढ़ाया गया सरकार ने 100 किलोमीटर तक 15 पैसे प्रति किलोमीटर की बढ़ोतरी का फैसला लिया. मंडियों में सब्जी एवं फलों की बिक्री पर 1 फीसदी मार्किट फीस और 1 फीसदी HRDF सेस लगाया. प्रदेश सरकार ने डीजल और पेट्रोल पर वैट की दरों में भी बढ़ोतरी की पेट्रोल पर 1 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 1.1 रुपये प्रति लीटर वैट लगाया गया.

लॉकडाउन के दौरान हुए नुकसान की भरपाई हरियाणा सरकार ने जून महीने के बाद शुरू की. जब धीरे-धीरे चीजें अनलॉक होने लगी. इस दौरान न सिर्फ बेरोजगारी दर में गिरावट आनी शुरू हुई, साथ ही प्रदेश की आर्थिक हालत भी सुधरने लगी. हालांकि अभी सरकार को जरूरी खर्चों को पूरी करने के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है.

ये भी पढ़ें- अलविदा 2020: वो साल जब कोरोना के कारण चरमरा गई हरियाणा की स्वास्थ्य सेवाएं

Last Updated : Dec 31, 2020, 8:44 PM IST
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