भिवानी : हरियाणा आदमपुर उपचुनाव जितने नजदीक आ रहे हैं कर्मचारियों की मांगों का सिलसिला भी उतनी तेज हो गया है. हाल ही में स्वच्छ सर्वेक्षण की रिपोर्ट आने के बाद हरियाणा के भिवानी को प्रथम स्थान तो मिल गया लेकिन इसे साफ सुथरा बनाने वाले कर्मचारी अभी भी अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए लाइन पर खड़े हैं.
बता दें कि स्वच्छता सर्वेक्षण-2022 में भिवानी को प्रथम (Swachh Sarvekshan 2022) और हरियाणा प्रदेश को देश भर में दूसरा स्थान मिला है, जिसका पूरा श्रेय सफाई कर्मचारियों को जाता है. सफाई कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही उनकी मांगे नहीं मांगी गई तो अबकी बार भाजपा प्रदेश से बाहर का नारा देकर भाजपा को सत्ता की कुर्सी से गिराने का काम करेंगे, जिसकी शुरूआत हरियाणा आदमपुर उपचुनाव से होगी.
सफाई कर्मचारियों ने चेतावनी दी कि 4 अक्टूबर को शहर में उल्टी झाडू लेकर उन्होंने प्रदर्शन किया (safai karamchari protest in haryana) था. मांगें नहीं मानी तो 11 और 12 अक्टूबर को क्रमिक भूख हड़ताल की जाएगी. 19 और 20 अक्टूबर को 2 दिन का कार्य बहिष्कार किया जाएगा. कर्मचारियों ने कहा कि अगर फिर भी 20 अक्टूबर तक मांगों का निवारण नहीं किया गया तो अनिश्चितकालीन हड़ताल किया जाएगा.
क्या है कर्मचारियों की मांगें: सभी प्रकार के ठेकों को समाप्त कर ग्रामीण सफाई कर्मचारियों सहित सभी कच्चे कर्मचारियों को पक्का किया जाए, सभी प्रकार के ठेकों पर रोक लगाते हुए नियमित भर्ती की जाए, अनियमित कर्मचारियों को भी एक्सग्रेसिया पॉलिसी (Haryana exgracia policy) में शामिल किया जाए, अनुबंध और कई प्रकार के ठेकों पर लगे कच्चे कर्मचारियों को ग्रेचुटी का लाभ दिया जाए, अनियमित कर्मचारियों की मृत्यु होने पर 3 लाख के स्थान 10 लाख रूपये आर्थिक सहायता दी जाए, जोखिम भत्ता 5 हजार रूपये दिया जाए, नगर पालिका, नगर परिषद और नगर निगम अग्निशमन विभाग के तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की मांगों का बातचीत कर समाधान किए जाने की मांग की
यह भी पढ़ें-ऑनलाइन प्रणाली के खिलाफ आढ़तियों की हड़ताल जारी, कैबिनेट मंत्री के कार्यालय पहुंचकर सौंपा ज्ञापन
नगर पालिका कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव पुरूषोत्तम दानव ने कहा कि लोगों की सुबह की शुरूआत मंदिरों से होती है, लेकिन सफाई कर्मचारियों के सुबह की शुरूआत शहर की सफाई के साथ होती है. जब लोग अपने बच्चों को स्कूल के लिए तैयार कर रहे होते है, तब सफाई कर्मचारी अपने बच्चों को सोया हुआ छोड़कर शहर की सफाई व्यवस्था सुधारने के लिए निकलते हैं. उन्होंने कहा कि आज प्रदेशभर के सफाई कर्मचारियों के साथ अन्याय और शोषण हो रहा है. सबसे बड़ा शोषण ठेका कर्मचारियों के साथ हुआ है. जिन्हें सिर्फ गुजरात के ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए नौकरी से हटा दिया गया.