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अफ्रीकन स्वाइन फ्लू: अब तक लाखों सूअरों की मौत, लोग कर रहे मुआवजे की मांग

सुअरों में आई अफ्रीकन स्वाइन फ्लू नामक बीमारी से लाखों की संख्या में सुअरों की मौत हो रही (African Swine Flu in Haryana) है. इसी कड़ी में रविवार को दलित समाज के लोगों ने भिवानी में घंटाघर (Dalit society protest in Bhiwani) स्थित मदन लाल धींगड़ा की प्रतिमा के समक्ष एनिमल सिंपैथी आर्गेनाईजेशन के बैनर तले मोमबती जलाकर सरकार को श्रद्धांजलि अर्पित करते प्रदर्शन किया और सरकार से प्रति सूअर 10 हजार रुपए देने की मांग की. पढ़ें पूरी खबर..

स्वाइन फ्लू की बीमारी
स्वाइन फ्लू की बीमारी
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Published : Sep 11, 2022, 4:42 PM IST

भिवानी: सुअरों में आई अफ्रीकन स्वाइन फ्लू नामक बीमारी से लाखों की संख्या में सुअरों की मौत हो रही (African Swine Flu in Haryana) है. इसी कड़ी में रविवार को दलित समाज के लोगों ने भिवानी में घंटाघर (Dalit society protest in Bhiwani) स्थित मदन लाल धींगड़ा की प्रतिमा के समक्ष एनिमल सिंपैथी आर्गेनाईजेशन के बैनर तले मोमबती जलाकर सरकार को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए जोरदार नारेबाजी की और सरकार से प्रति सूअर 10 हजार रुपए दिये जाने की मांग की. एनिमल सिंपैथी आग्रेनाइजेशन के राष्ट्रीय उप प्रधान व अधिवक्ता कुलदीप शर्मा ने कहा कि हरियाणा सरकार बड़ी-बड़ी घोषणाएं व परियोजनाओं की शुरुआत कर रही है. वहीं दलितों के साथ दिन प्रतिदिन अत्याचार की चरम सीमा बढ़ रही है.

उन्होंने कहा कि हरियाणा प्रदेश के प्रत्येक शहर व गांव में अफ्रीकन स्वाइन फ्लू नामक बीमारी (pigs died to Swine Flu in Haryana) से लाखों की संख्या में बेजुबान सूअर मौत की नींद सो चुके हैं. परंतु हरियाणा सरकार व पशुपालन विभाग उन सूअरों की मौत की नींद से भी ज्यादा गहरी नींद में सोए हुए हैं. जबकि भारत देश के संविधान में महामारी व किसी आपदा में मरने वाले बेजुबान जानवरों के मालिकों को मुआवजा देने का प्रावधान है. परंतु दलित समाज को यह हक भी हरियाणा सरकार के द्वारा नहीं दिया जा रहा.

उन्होंने कहा कि एक तरफ जहां अन्य किसी समाज के पशुओं की मृत्यु पर मोटी-मोटी रकम हरियाणा सरकार बतौर मुआवजे के रूप में देती है. परंतु आज दलितों के पशुओं की कोई भी सुनाई करने वाला नहीं है. हरियाणा प्रदेश एक कृषि प्रधान प्रदेश है, जहां पर आज भी अनेकों दलित परिवार सूअर पालन कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं. दलित समाज द्वारा पाले जाने वाले देसी सूअरों का जीवन बीमा इंश्योरेंस हरियाणा सरकार के पशुपालन विभाग के पैनल में नहीं आता, यह धोखा पिछले कई वर्षों से हरियाणा सरकार दलित समाज के लोगों के साथ कर रही है.

हरियाणा सरकार द्वारा गांव व शहरों में मृत सूअरो की संख्या का सर्वे भी नहीं करवाया जा रहा है. सरकार लगातार दलितों की आवाज को दबाने का कार्य कर रही है. उन्होंने कहा कि मरने वाले सूअरो का गांवों व शहरों में सर्वे करे व मृत सूअर पालकों को प्रति सूअर 10 हजार रुपए मुआवजा प्रदान किया जाए. हरियाणा पशुपालन विभाग द्वारा गरीब समाज द्वारा पाली जा रही देसी सूअर प्रजाति को पशु जीवन बीमा (इंश्योरेंस पॉलिसी ) में शामिल करें व प्रति सूअर मृत्यु पर 15 हजार रुपए का बीमा प्रदान करें.

ये भी पढ़ें: सरकारी स्कूल में मृतक अध्यापक के तबादले के आदेश रद्द, शिक्षा विभाग ने PRINCIPAL से मांगा स्पष्टीकरण

भिवानी: सुअरों में आई अफ्रीकन स्वाइन फ्लू नामक बीमारी से लाखों की संख्या में सुअरों की मौत हो रही (African Swine Flu in Haryana) है. इसी कड़ी में रविवार को दलित समाज के लोगों ने भिवानी में घंटाघर (Dalit society protest in Bhiwani) स्थित मदन लाल धींगड़ा की प्रतिमा के समक्ष एनिमल सिंपैथी आर्गेनाईजेशन के बैनर तले मोमबती जलाकर सरकार को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए जोरदार नारेबाजी की और सरकार से प्रति सूअर 10 हजार रुपए दिये जाने की मांग की. एनिमल सिंपैथी आग्रेनाइजेशन के राष्ट्रीय उप प्रधान व अधिवक्ता कुलदीप शर्मा ने कहा कि हरियाणा सरकार बड़ी-बड़ी घोषणाएं व परियोजनाओं की शुरुआत कर रही है. वहीं दलितों के साथ दिन प्रतिदिन अत्याचार की चरम सीमा बढ़ रही है.

उन्होंने कहा कि हरियाणा प्रदेश के प्रत्येक शहर व गांव में अफ्रीकन स्वाइन फ्लू नामक बीमारी (pigs died to Swine Flu in Haryana) से लाखों की संख्या में बेजुबान सूअर मौत की नींद सो चुके हैं. परंतु हरियाणा सरकार व पशुपालन विभाग उन सूअरों की मौत की नींद से भी ज्यादा गहरी नींद में सोए हुए हैं. जबकि भारत देश के संविधान में महामारी व किसी आपदा में मरने वाले बेजुबान जानवरों के मालिकों को मुआवजा देने का प्रावधान है. परंतु दलित समाज को यह हक भी हरियाणा सरकार के द्वारा नहीं दिया जा रहा.

उन्होंने कहा कि एक तरफ जहां अन्य किसी समाज के पशुओं की मृत्यु पर मोटी-मोटी रकम हरियाणा सरकार बतौर मुआवजे के रूप में देती है. परंतु आज दलितों के पशुओं की कोई भी सुनाई करने वाला नहीं है. हरियाणा प्रदेश एक कृषि प्रधान प्रदेश है, जहां पर आज भी अनेकों दलित परिवार सूअर पालन कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं. दलित समाज द्वारा पाले जाने वाले देसी सूअरों का जीवन बीमा इंश्योरेंस हरियाणा सरकार के पशुपालन विभाग के पैनल में नहीं आता, यह धोखा पिछले कई वर्षों से हरियाणा सरकार दलित समाज के लोगों के साथ कर रही है.

हरियाणा सरकार द्वारा गांव व शहरों में मृत सूअरो की संख्या का सर्वे भी नहीं करवाया जा रहा है. सरकार लगातार दलितों की आवाज को दबाने का कार्य कर रही है. उन्होंने कहा कि मरने वाले सूअरो का गांवों व शहरों में सर्वे करे व मृत सूअर पालकों को प्रति सूअर 10 हजार रुपए मुआवजा प्रदान किया जाए. हरियाणा पशुपालन विभाग द्वारा गरीब समाज द्वारा पाली जा रही देसी सूअर प्रजाति को पशु जीवन बीमा (इंश्योरेंस पॉलिसी ) में शामिल करें व प्रति सूअर मृत्यु पर 15 हजार रुपए का बीमा प्रदान करें.

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