भिवानी: हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी 16-17 नवंबर को पूरे सूबे में भावी अध्यापकों की एचटेट की परीक्षा का आयोजन करा रहा है. बोर्ड प्रशासन को ये परीक्षाएं बिना किसी बाधा के संपन्न होने के लिए अपने पुख्ता प्रबंधों की बजाय भगवान भरोसे सपन्न होने की उम्मीद है. इसके लिए बोर्ड प्रशासन ने हवन-यज्ञ किया है, जिसे स्थानीय लोग अंधविश्वास को बढ़ावा बता रहे हैं.
प्रदेश में कुल परीक्षा केंद्र 956
बता दें कि पूरे प्रदेश में हर साल की तरह इस साल भी शिक्षा बोर्ड एचटेट परीक्षाओं का आयोजन करवा रहा है. ये परीक्षाएं 16 और 17 नवंबर को होंगी, जिनमें करीब दो लाख 83 हजार भावी अध्यापकों ने आवेदन किया हुआ है. प्रदेश भर में दोनों दिन ये परीक्षाएं 956 परीक्षा केंद्रों पर होंगी.
गृह जिलों में होगी परीक्षा
पहली बार ये परीक्षाएं गृह जिलों में हो रही हैं. बोर्ड ने इन्हें बिना किसी बाधा के करवाने के लिए हर परीक्षा केंद्रों पर पुलिस बल, अपनी टीमें और सीसीटीवी कैमरे और जैमर के अलावा वीडियो रिकॉर्डिंग का प्रबंध किया है. परीक्षा केंद्रों के बाहर धारा-144 लागू रहेगी. हर जिला के डीसी, एसपी, एसडीएम, जिला शिक्षा अधिकारी सहित तमाम आला अधिकारी निगरानी रखेंगें.
परीक्षा शांति के लिए हवन
इतने बड़े ताम-झाम और करोड़ों रूपये के आधुनिक सिस्टम के बावजूद शिक्षा बोर्ड प्रशासन इन परीक्षाओं को भगवान भरोसे मान रहा है. बोर्ड प्रशासन ने इसके लिए बोर्ड परिसर में हवन-यज्ञ करवाया गया.
बोर्ड चेयरमैन डॉ. जगबीर सिंह ने कहा कि हवन-यज्ञ से वातावरण शुद्ध रहता है. साथ ही कहा कि हवन-यज्ञ करके भगवान से प्रार्थना की गई है कि ये परीक्षाएं सुचारू रूप से संपन्न हों. मतलब कि कोई गड़बड़ या बाधा ना आए. इसके लिए उन्होंने वैदिक परंपराओं की दुहाई भी दी.
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भगवान भरोसे एचटेट परीक्षा
वहीं इतने बड़े तामझाम, सिस्टम पर करोड़ों रुपये के खर्च के बाद भी इन परीक्षाओं को भगवान भरोसे छोड़ने को लेकर लोग बोर्ड प्रशासन की कड़ी निंदा कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि बोर्ड प्रशासन अंधविश्वास फैला रहा है. कुछ लोगों ने कहा कि हवन-यज्ञ गलत नहीं, लेकिन परीक्षाओं को भगवान भरोसे छोडना गलत है. वहीं कुछ लोगों ने बताया कि ये अंधविश्वास को बढ़ावा देना है. ऐसे में तो बच्चे भी स्कूलों में आकर पढने की बजाय मंदिरों में जाकर हवन-यज्ञ कर भगवान से पास होने की उम्मीद करने लगेंगे.
शिक्षा बोर्ड की परीक्षा?
निश्चित तौर पर ये परीक्षाएं परीक्षार्थियों से ज्यादा खुद शिक्षा बोर्ड के लिए इन्हें सुचारू रूप से संपन्न करवाना एक परीक्षा है. अब देखना होगा कि बोर्ड प्रशासन इन परीक्षाओं में कितना कामयाब होता है.