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देखिए गृहमंत्री अनिल विज के जिले के सरकारी स्कूल का हाल, यहां 8वीं तक के बच्चों को पढ़ाते हैं 5 टीचर

अंबाला जिले के काकड़ू के सरकारी स्कूल में करीब 110 बच्चे पढ़ते हैं, लेकिन इन सभी बच्चों का भविष्य अधंकार में दिखाई दे रहा है, क्योंकि यहां 110 बच्चों को सिर्फ 5 शिक्षक पढ़ा रहे हैं. गणित ये है कि पांच शिक्षक आठ क्लास और करीब 32 पीरियड संभाल लेते हैं.

poor condition of government school of kakadu ambala
सुनिए शिक्षा मंत्री
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Published : Nov 30, 2019, 7:48 PM IST

अंबाला: हरियाणा सरकार की ओर से सरकारी स्कूलों के स्तर को सुधारने की तमाम कोशिशें की जा रही हैं. जब शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने कार्यभार संभाला तो उन्होंने भी यही कहा था कि उनका मकसद सरकारी स्कूल में पढ़ाई के स्तर को बढ़ाना है, लेकिन अब जरा उस सरकारी स्कूल का हाल सोचिए जहां नर्सरी से तीसरी कक्षा तक के बच्चों के लिए दो शिक्षक और चौथी-पांचवी के लिए 3 ही शिक्षक हैं.

110 शिक्षकों को पढ़ा रहे 5 शिक्षक
अंबाला जिले के काकड़ू के सरकारी स्कूल में करीब 110 बच्चे पढ़ते हैं, लेकिन इन सभी बच्चों का भविष्य अधंकार में दिखाई दे रहा है, क्योंकि यहां 110 बच्चों को सिर्फ 5 शिक्षक पढ़ा रहे हैं. गणित ये है कि पांच शिक्षक आठ क्लास और करीब 32 पीरियड संभाल लेते हैं.

क्लिक कर देखें रिपोर्ट

खास बात ये है कि छठी कक्षा से लेकर आठवीं कक्षा तक लगभग 7 विषय है, लेकिन एक-एक शिक्षक 2-2 विषय पढ़ाता है, यानी साइंस का शिक्षक साइंस ही नहीं बल्कि मैथ भी पढ़ाता है तो वहीं सोशल स्टडीज का शिक्षक सोशल स्टडी के साथ-साथ हिंदी भी पढ़ाता है. जब इन शिक्षकों में से कोई छुट्टी पर चला जाए तो दूसरा शिक्षक दो कक्षाओं को एक करके पढ़ाएगा.

ये भी पढ़ें- नूंह के सरकारी स्कूल में नहीं एक भी शिक्षक, बिन गुरु ज्ञान प्राप्त करते हैं 83 'एकलव्य'!

स्कूल में नहीं है प्लेग्राउंड और PT टीचर
अगर बात की जाए खेलों की तो स्कूल में प्लेग्राउंड नहीं है. जिस वजह से बच्चों को खेल कूद के लिए दूसरे स्कूलों में जाना पड़ता है. वहीं जब बच्चों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि स्कूल में पढ़ाई तो अच्छी होती है, लेकिन उनके स्कूल में PT टीचर नहीं हैं. वो चाहते हैं कि उनके स्कूल भी PT टीचर हो. जो उन्हें खेल सिखाए. वहीं कुछ बच्चों ने बताया कि उन्हें कंप्यूटर चलाना तक नहीं आता है.

ये भी पढ़ें- जर्जर इमारत और कक्षा पर लगे ताले, देखिए शिक्षा मंत्री गुरुग्राम के सरकारी स्कूल की हालत

वहीं जब इस बारे में जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी रमेश कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा की हमारे पास हेडमास्टर की तरफ से कोई भी मांग नही आई है. फिर भी वो खुद जाकर स्कूल का जायजा लेंगे.

अंबाला: हरियाणा सरकार की ओर से सरकारी स्कूलों के स्तर को सुधारने की तमाम कोशिशें की जा रही हैं. जब शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने कार्यभार संभाला तो उन्होंने भी यही कहा था कि उनका मकसद सरकारी स्कूल में पढ़ाई के स्तर को बढ़ाना है, लेकिन अब जरा उस सरकारी स्कूल का हाल सोचिए जहां नर्सरी से तीसरी कक्षा तक के बच्चों के लिए दो शिक्षक और चौथी-पांचवी के लिए 3 ही शिक्षक हैं.

110 शिक्षकों को पढ़ा रहे 5 शिक्षक
अंबाला जिले के काकड़ू के सरकारी स्कूल में करीब 110 बच्चे पढ़ते हैं, लेकिन इन सभी बच्चों का भविष्य अधंकार में दिखाई दे रहा है, क्योंकि यहां 110 बच्चों को सिर्फ 5 शिक्षक पढ़ा रहे हैं. गणित ये है कि पांच शिक्षक आठ क्लास और करीब 32 पीरियड संभाल लेते हैं.

क्लिक कर देखें रिपोर्ट

खास बात ये है कि छठी कक्षा से लेकर आठवीं कक्षा तक लगभग 7 विषय है, लेकिन एक-एक शिक्षक 2-2 विषय पढ़ाता है, यानी साइंस का शिक्षक साइंस ही नहीं बल्कि मैथ भी पढ़ाता है तो वहीं सोशल स्टडीज का शिक्षक सोशल स्टडी के साथ-साथ हिंदी भी पढ़ाता है. जब इन शिक्षकों में से कोई छुट्टी पर चला जाए तो दूसरा शिक्षक दो कक्षाओं को एक करके पढ़ाएगा.

ये भी पढ़ें- नूंह के सरकारी स्कूल में नहीं एक भी शिक्षक, बिन गुरु ज्ञान प्राप्त करते हैं 83 'एकलव्य'!

स्कूल में नहीं है प्लेग्राउंड और PT टीचर
अगर बात की जाए खेलों की तो स्कूल में प्लेग्राउंड नहीं है. जिस वजह से बच्चों को खेल कूद के लिए दूसरे स्कूलों में जाना पड़ता है. वहीं जब बच्चों से बात की गई तो उन्होंने कहा कि स्कूल में पढ़ाई तो अच्छी होती है, लेकिन उनके स्कूल में PT टीचर नहीं हैं. वो चाहते हैं कि उनके स्कूल भी PT टीचर हो. जो उन्हें खेल सिखाए. वहीं कुछ बच्चों ने बताया कि उन्हें कंप्यूटर चलाना तक नहीं आता है.

ये भी पढ़ें- जर्जर इमारत और कक्षा पर लगे ताले, देखिए शिक्षा मंत्री गुरुग्राम के सरकारी स्कूल की हालत

वहीं जब इस बारे में जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी रमेश कुमार से बात की गई तो उन्होंने कहा की हमारे पास हेडमास्टर की तरफ से कोई भी मांग नही आई है. फिर भी वो खुद जाकर स्कूल का जायजा लेंगे.

Intro:ना पीएन, माली और ना ही चौकीदार, इतना ही नही पढ़ाने के लिए पर्याप्त अध्यापक भी नही कुछ ऐसे हालात है गवर्नमेंट मिडल स्कूल काकरु के।

जो सरकार के तमाम दावो की पोल खोल रहे है।


Body:हरियाणा सरकार द्वारा प्रदेश के स्कूलों में शिक्षा के स्तर को और भी उम्दा बनाने के तमाम दावो की पोल खोलता गवर्नमेंट मिडिल स्कूल काकरु।

कहने को तो यहा पर नर्सरी से लेकर आठवी कक्षा तक के बच्चो को शिक्षित किया जाता है लेकिन यहाँ पर पढ रहे लगभग 110 बच्चों का भविष्य खतरे में नजर आता है।

आपको बता दें की नर्सरी से लेकर पांचवी कक्षा तक यहां पर लगभग 60 बच्चे पढ़ते हैं और जिन्हें पढ़ाने के लिए मात्र दो अध्यापक हैं जो नर्सरी से लेकर तीसरी कक्षा तक के बच्चों को एक ही क्लास रूम में बिठाकर पढ़ाते हैं और चौथी और पांचवी कक्षा के बच्चों को अलग से एक ही क्लास रूम में पढ़ाया जाता है। खास बात यह है कि यदि एक अध्यापक छुट्टी पर चला जाता है तो दूसरा अध्यापक नर्सरी से पांचवीं तक की कक्षा के बच्चों को एक ही क्लास में बिठाकर पढ़ाते हैं।

वहीं अगर बात की जाए हरियाणा सरकार के स्मार्ट क्लास रूम की तो यहां पर किसी भी तरह की कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं है। हरियाणा सरकार द्वारा नर्सरी से लेकर दूसरी कक्षा तक के बच्चों के लिए एडु-सेट की सुविधा उपलब्ध करायी जाती है जोकि प्राइवेट स्कूलों के प्लेवे स्कूलों की तर्ज पर बच्चों को पढ़ाने के लिए दी जाती है लेकिन यह बच्चे इस सुविधा से भी नदारद हैं।

अगर बात करें छठी कक्षा से लेकर आठवीं कक्षा तक के बच्चों की तो आपको बता दें कि छठी कक्षा से लेकर आठवीं कक्षा तक लगभग 40 बच्चे यहां पर पड़ते हैं लेकिन उन्हें पढ़ाने के लिए मात्र 3 अध्यापक हैं। खास बात यह है कि छठी कक्षा से लेकर आठवीं कक्षा तक लगभग 7 विषय है लेकिन एक-एक अध्यापक 2-2 विषय पढ़ाता है यानी साइंस का टीचर साइंस ही नहीं बल्कि मैथ भी पढ़ाता है तो वहीं सोशल स्टडीज का टीचर सोशल स्टडी के साथ-साथ हिंदी भी पढ़ाता है।

अगर बात की जाए खेलों की तो खेलों को लेकर किसी भी तरह की कोई भी एक्टिविटी स्कूल में नहीं होती है और ना ही स्कूल के पास अपना कोई प्लेग्राउंड है।

इस स्कूल के अंदर खास बात यह देखने को मिली कि बच्चों को मिड डे मील बाकायदा बढ़िया तरीके से दी जाती है जिस का जायजा हमारे संवाददाता ने मिड डे मील का खाना खाकर लिया और साथ ही बच्चों से भी बातचीत करी।

वही इन तमाम बातों को लेकर जब हमारे संवाददाता ने स्कूल के हेडमास्टर बलविंदर सिंह से बात करी तो उन्होंने बताया कि स्कूल में माली चौकीदार और पीएन ना होने की वजह से वह खुद ही स्कूल का ताला खोलते हैं और खुद ही स्कूल को लॉक करते हैं। जब उनसे पूछा कि स्कूल के अंदर अध्यापक पर्याप्त मात्रा में नहीं है तो उन्होंने कहा कि जितनी सैंक्शनएड पोस्ट स्कूल को दी गई है वह सारी फुल है।

उन्होंने कहा की खेलों को बढ़ावा देने के लिए हमने पीटीआई टीचर की मांग रखी थी लेकिन विभाग ने इस मांग को अनसुना कर दिया।

बाइट- बलविंदर सिंह, हेडमास्टर, गवर्नमेंट मिड्ल स्कूल काकरु


वहीं जब ईटीवी भारत की टीम जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी रमेश कुमार से मिलने पहुंची तो उन्होंने कहा की हमारे पास हेड मास्टर की तरफ से कोई भी माग नही आई है। साथ ही स्मार्ट क्लासेस और एडु-सेट को लेकर सभी स्कूलों को साधन दिए है लेकिन यदि उनके पास नही है तो मैं खुद वहा जाकर इसका जायजा लगा।

बाइट रमेश कुमार जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी


Conclusion:
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