चंडीगढ़: किसान आंदोलन से पहले और इस दौरान हरियाणा सरकार की ओर से कई किसानों को हिरासत में लिया गया था. जिसके खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जिसपर मंगलवार को हाई कोर्ट ने सुनवाई की.
सुनवाई के दौरान पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को डिटेल रिप्लाई फाइल करने के लिए कहा है कि जिन किसानों को हिरासत में लिया गया उनकी कस्टडी कानून के दायरे में है या फिर नहीं? कोर्ट ने सरकार से ये भी पूछा है कि क्या हिरासत में लिए गए किसानों को मुआवजा दिया जाना चाहिए या नहीं ? साथ ही कोर्ट ने ये भी पूछा है कि किसानों को हिरासत में लेना कानूनी तौर पर सही था या फिर नहीं?
सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखते हुए हरियाणा सरकार की ओर से कहा गया कि तीन-चार दिनों के अंदर ही सभी किसानों को छोड़ दिया गया था. ऐसे में इस याचिका को खारिज किया जाए. हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार की इस मांग को इनकार किया और कहा कि ये कह देने से ये मुद्दा खत्म नहीं होता. हाई कोर्ट ये देखेगा कि जिन किसानों को हिरासत में लिया गया है वो कानून के दायरे में सही था या नहीं.
इसके अलावा याचिकाकर्ता किसान जत्थे बंदियों की ओर से एक रिमाइंडर दाखिल किया गया और कोर्ट को बताया गया कि जिस तरह से किसानों को गिरफ्तार किया गया उसकी कोई भी सफाई सरकार नहीं दे सकती और किसानों को हार्ड कोर क्रिमिनल्स की तरह व्यवहार किया गया. याचिकाकर्ताओं ने कहा कि जिस तरह से किसानों को हिरासत में लिया गया उसमें किसी भी तरह का सही प्रक्रिया इस्तेमाल नहीं किया गया और किसी भी किसान को लीगल ऐड नहीं दी गई. इसके अलावा याचिकाकर्ताओं ने हिरासत में लिए हुए किसानों को मुआवजा राशि देने की भी मांग की है.