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कोयले की कमी से बंद होने लगे थर्मल पावर स्टेशन, जानिए किन राज्यों में संकट गहराया - कोयला संयंत्र

देश के तीन राज्यों में कोयले की कमी के कारण 20 थर्मल पावर स्टेशन बंद हो चुके हैं. इसके अलावा अन्य राज्यों में कोयले से चलने वाले पावर प्लांट की यूनिटें बंद होने लगी हैं. अभी तक सबसे अधिक महाराष्ट्र के 13 और पंजाब के 7 प्लांट बंद हुए हैं.

ऊंचाहार क्षेत्र में स्थित एनटीपीसी परियोजना
ऊंचाहार क्षेत्र में स्थित एनटीपीसी परियोजना
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Published : Oct 11, 2021, 4:03 PM IST

हैदराबाद : देश में कोयले की कमी के कारण बिजली संकट गहराने लगा है. हालात यह है कि 5 अक्टूबर को तक कोयले से चलने वाले 135 पावर प्लांट में से 106 क्रिटिकल या सुपरक्रिटिकल स्टेज में थे. बिजली मंत्री आर के सिंह ने दावा किया है कि कोयले की घरेलू आपूर्ति पर्याप्त है. देश में पावर प्लांट के पास औसतन 4 दिन के लिए कोयले का स्टॉक है. केंद्र सरकार सुनिश्चित कर रही है कि जहां भी जरूरी है, कोयला पहुंचे. हालांकि उन्होंने माना है कि पावर प्लांट्स के पास पहले की तरह 17 दिन का कोल स्टॉक होल्डिंग नहीं है. केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी (Pralhad Joshi) ने कहा कि उन्होंने देश में कोयला उत्पादन और आपूर्ति की स्थिति की समीक्षा की है. कोल इंडिया लिमिटेड के पास 24 दिनों की कोयला मांग पूरा करने के लिए पर्याप्त 43 मिलियन टन कोल स्टॉक उपलब्ध है.

power crisis
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री का दावा है कि देश के काेयले से चलने वाले थर्मल प्लांट्स में 4 दिनों से अधिक का कोयला उपलब्ध हैं.

राजस्थान की सूरतगढ़ थर्मल में भी असर : कोयले की कमी के चलते राजस्थान राज्य बिजली उत्पादन निगम की 8 से अधिक इकाइयों में बिजली का उत्पादन पूरी तरह बंद है. कुछ इकाइयों में उत्पादन का कार्य प्रभावित हो रहा है. सूरतगढ़ थर्मल में 250 यूनिट क्षमता की 5 इकाइयों में उत्पादन बंद है. सूरतगढ़ की ही 660 मेगावाट की एक अन्य इकाई भी कोयले की कमी के चलते बंद है. इसी तरह छबड़ा की 250 मेगावाट की इकाइयों में भी बिजली उत्पादन बंद है.

कर्नाटक में बिजली का प्रोडक्शन कम हुआ : कर्नाटक के रायचूर थर्मल पावर स्टेशन भी कोयले की किल्लत हो गई है. इस कारण स्टेशन की 8 यूनिटों में 4 से ही बिजली का उत्पादन हो रहा है. रायचूर थर्मल पावर स्टेशन की कपैसिटी 1720 मेगावॉट है, मगर यहां सिर्फ 660 मेगावॉट बिजली का उत्पादन हो रहा है. सामान्य दिनों में यहां 11 कोल रैक का उपयोग होता था, अभी सिर्फ 3-4 कोल रैक का उपयोग हो रहा है. एक कोल रैक में 700-800 टन कोयला होता है.

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देश में कई थर्मल पावर स्टेशन की यूनिटें बंद हो गईं .

उत्तरप्रदेश में भी पावर प्लांट की यूनिटें : यूपी के रायबरेली के ऊंचाहार क्षेत्र में स्थित एनटीपीसी परियोजना में कोयले का संकट लगातार गहराता जा रहा है. चार दिन पहले यहां की यूनिट नम्बर 6 को बंद किया गया था. अब अब यूनिट नंबर 2 को भी बंद किया गया है. परियोजना में इस समय 1550 मेगावाट की जगह लगभग 840 मेगावाट ही बिजली उत्पादन किया जा रहा है. ऊंचाहार एनटीपीसी से ही उत्तरी ग्रिड के जरिए उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा , दिल्ली, पंजाब, जम्मू कश्मीर जैसे देश के नौ राज्यों को बिजली की आपूर्ति की जाती है.

इसके अलावा शाहजहांपुर स्थित रोजा के रिलायंस थर्मल प्लांट की 300 मेगावॉट की एक यूनिट को बंद किया गया है. इसके अलावा पारीछा और ललितपुर प्लांट की एक यूनिट से उत्पादन ठप है. उत्तर प्रदेश में बिजली की मांग लगभग 17000 मेगावाट है, जबकि मौजूदा समय में 15000 मेगावाट के आसपास बिजली उपलब्ध है.

महाराष्ट्र में 13 थर्मल पावर प्लांट बंद : कोयले की कमी के कारण महाराष्ट्र में 13 थर्मल पावर प्लांट बंद हो गए हैं. महाराष्ट्र राज्य विद्युत नियामक आयोग (MSEDCL) के अनुसार, प्लांट बंद होने से से 3330 मेगावाट बिजली की कमी हो गई है. ऊर्जा विभाग ने लोगों से बिजली का कम से कम उपयोग करने की अपील की है.

केरल में भी चार स्टेशन बंद, 15 फीसदी प्रोडक्शन कम : केरल में चार थर्मल पावर स्टेशन बंद हो गए हैं. केरल के बिजली मंत्री के कृष्णनकुट्टी का कहना है कि राज्य पिछले कुछ दिनों से सेंट्रल पूल से 15 प्रतिशत बिजली की कमी का सामना कर रहा है, हालांकि लेकिन अभी तक लोड शेडिंग नहीं हुई है.

पंजाब के सात प्लांट भी पड़े ठंडे : कोयले की कमी का असर पंजाब में सात थर्मल पावर प्लांटों पर पड़ा है. वे सभी बंद हो चुके हैं. बाकी बचे थर्मल प्लांट् से 2,800 मेगावाट ही उत्पादन कर पा रहे हैं जबकि उनकी क्षमता 5,620 मेगावाट की है. अभी हालत यह है कि पंजाब में लहर मोहब्बत, रोपड़ (रूपनगर), राजपुरा, तलवंडी साबो और गोइंदवाल साहिब पावर प्लांट पर एक से चार दिनों के लिए कोयला उपलब्ध है.

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ऊंचाहार क्षेत्र में स्थित एनटीपीसी परियोजना में कोयले का संकट है.

दिल्ली में बढ़ी परेशानी : एनटीपीसी से पर्याप्त बिजली नहीं मिलने के कारण दिल्ली में भी परेशानी बढ़ गई है. सत्येंद्र जैन ने बताया कि दिल्ली की पीक डिमांड इन दिनों 7400 मेगावाट पर गई थी, कल पीक डिमांड 4562 मेगावाट थी, इसके बावजूद पूरी सप्लाई नहीं हो पाई. उन्होंने कहा कि केंद्र के NTPC के प्लांट्स से दिल्ली को करीब 4 हजार मेगावाट की सप्लाई मिलती है. अभी इसमें से सिर्फ 55 फीसदी सप्लाई ही मिल रही है.

छत्तीसगढ़ में भी 4 दिनों का स्टॉक बचा : कोरबा जिले में सेंट्रल सेक्टर की एनटीपीसी और राज्य शासन के विद्युत संयंत्रों में दो से तीन हजार मेगावॉट बिजली का उत्पादन हो रहा है, जबकि प्लांट की कपैसिटी 6000 मेगावाट की है. सामान्य दिनों में यहां औसतन 3650 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है. ऊर्जा विभाग के अनुसार, एनटीपीसी को मिलाकर छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल के सभी संयंत्र के पास केवल 3 से 4 दिनों के कोयले का स्टॉक शेष है.

हैदराबाद : देश में कोयले की कमी के कारण बिजली संकट गहराने लगा है. हालात यह है कि 5 अक्टूबर को तक कोयले से चलने वाले 135 पावर प्लांट में से 106 क्रिटिकल या सुपरक्रिटिकल स्टेज में थे. बिजली मंत्री आर के सिंह ने दावा किया है कि कोयले की घरेलू आपूर्ति पर्याप्त है. देश में पावर प्लांट के पास औसतन 4 दिन के लिए कोयले का स्टॉक है. केंद्र सरकार सुनिश्चित कर रही है कि जहां भी जरूरी है, कोयला पहुंचे. हालांकि उन्होंने माना है कि पावर प्लांट्स के पास पहले की तरह 17 दिन का कोल स्टॉक होल्डिंग नहीं है. केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी (Pralhad Joshi) ने कहा कि उन्होंने देश में कोयला उत्पादन और आपूर्ति की स्थिति की समीक्षा की है. कोल इंडिया लिमिटेड के पास 24 दिनों की कोयला मांग पूरा करने के लिए पर्याप्त 43 मिलियन टन कोल स्टॉक उपलब्ध है.

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केंद्रीय ऊर्जा मंत्री का दावा है कि देश के काेयले से चलने वाले थर्मल प्लांट्स में 4 दिनों से अधिक का कोयला उपलब्ध हैं.

राजस्थान की सूरतगढ़ थर्मल में भी असर : कोयले की कमी के चलते राजस्थान राज्य बिजली उत्पादन निगम की 8 से अधिक इकाइयों में बिजली का उत्पादन पूरी तरह बंद है. कुछ इकाइयों में उत्पादन का कार्य प्रभावित हो रहा है. सूरतगढ़ थर्मल में 250 यूनिट क्षमता की 5 इकाइयों में उत्पादन बंद है. सूरतगढ़ की ही 660 मेगावाट की एक अन्य इकाई भी कोयले की कमी के चलते बंद है. इसी तरह छबड़ा की 250 मेगावाट की इकाइयों में भी बिजली उत्पादन बंद है.

कर्नाटक में बिजली का प्रोडक्शन कम हुआ : कर्नाटक के रायचूर थर्मल पावर स्टेशन भी कोयले की किल्लत हो गई है. इस कारण स्टेशन की 8 यूनिटों में 4 से ही बिजली का उत्पादन हो रहा है. रायचूर थर्मल पावर स्टेशन की कपैसिटी 1720 मेगावॉट है, मगर यहां सिर्फ 660 मेगावॉट बिजली का उत्पादन हो रहा है. सामान्य दिनों में यहां 11 कोल रैक का उपयोग होता था, अभी सिर्फ 3-4 कोल रैक का उपयोग हो रहा है. एक कोल रैक में 700-800 टन कोयला होता है.

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देश में कई थर्मल पावर स्टेशन की यूनिटें बंद हो गईं .

उत्तरप्रदेश में भी पावर प्लांट की यूनिटें : यूपी के रायबरेली के ऊंचाहार क्षेत्र में स्थित एनटीपीसी परियोजना में कोयले का संकट लगातार गहराता जा रहा है. चार दिन पहले यहां की यूनिट नम्बर 6 को बंद किया गया था. अब अब यूनिट नंबर 2 को भी बंद किया गया है. परियोजना में इस समय 1550 मेगावाट की जगह लगभग 840 मेगावाट ही बिजली उत्पादन किया जा रहा है. ऊंचाहार एनटीपीसी से ही उत्तरी ग्रिड के जरिए उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा , दिल्ली, पंजाब, जम्मू कश्मीर जैसे देश के नौ राज्यों को बिजली की आपूर्ति की जाती है.

इसके अलावा शाहजहांपुर स्थित रोजा के रिलायंस थर्मल प्लांट की 300 मेगावॉट की एक यूनिट को बंद किया गया है. इसके अलावा पारीछा और ललितपुर प्लांट की एक यूनिट से उत्पादन ठप है. उत्तर प्रदेश में बिजली की मांग लगभग 17000 मेगावाट है, जबकि मौजूदा समय में 15000 मेगावाट के आसपास बिजली उपलब्ध है.

महाराष्ट्र में 13 थर्मल पावर प्लांट बंद : कोयले की कमी के कारण महाराष्ट्र में 13 थर्मल पावर प्लांट बंद हो गए हैं. महाराष्ट्र राज्य विद्युत नियामक आयोग (MSEDCL) के अनुसार, प्लांट बंद होने से से 3330 मेगावाट बिजली की कमी हो गई है. ऊर्जा विभाग ने लोगों से बिजली का कम से कम उपयोग करने की अपील की है.

केरल में भी चार स्टेशन बंद, 15 फीसदी प्रोडक्शन कम : केरल में चार थर्मल पावर स्टेशन बंद हो गए हैं. केरल के बिजली मंत्री के कृष्णनकुट्टी का कहना है कि राज्य पिछले कुछ दिनों से सेंट्रल पूल से 15 प्रतिशत बिजली की कमी का सामना कर रहा है, हालांकि लेकिन अभी तक लोड शेडिंग नहीं हुई है.

पंजाब के सात प्लांट भी पड़े ठंडे : कोयले की कमी का असर पंजाब में सात थर्मल पावर प्लांटों पर पड़ा है. वे सभी बंद हो चुके हैं. बाकी बचे थर्मल प्लांट् से 2,800 मेगावाट ही उत्पादन कर पा रहे हैं जबकि उनकी क्षमता 5,620 मेगावाट की है. अभी हालत यह है कि पंजाब में लहर मोहब्बत, रोपड़ (रूपनगर), राजपुरा, तलवंडी साबो और गोइंदवाल साहिब पावर प्लांट पर एक से चार दिनों के लिए कोयला उपलब्ध है.

power crisis
ऊंचाहार क्षेत्र में स्थित एनटीपीसी परियोजना में कोयले का संकट है.

दिल्ली में बढ़ी परेशानी : एनटीपीसी से पर्याप्त बिजली नहीं मिलने के कारण दिल्ली में भी परेशानी बढ़ गई है. सत्येंद्र जैन ने बताया कि दिल्ली की पीक डिमांड इन दिनों 7400 मेगावाट पर गई थी, कल पीक डिमांड 4562 मेगावाट थी, इसके बावजूद पूरी सप्लाई नहीं हो पाई. उन्होंने कहा कि केंद्र के NTPC के प्लांट्स से दिल्ली को करीब 4 हजार मेगावाट की सप्लाई मिलती है. अभी इसमें से सिर्फ 55 फीसदी सप्लाई ही मिल रही है.

छत्तीसगढ़ में भी 4 दिनों का स्टॉक बचा : कोरबा जिले में सेंट्रल सेक्टर की एनटीपीसी और राज्य शासन के विद्युत संयंत्रों में दो से तीन हजार मेगावॉट बिजली का उत्पादन हो रहा है, जबकि प्लांट की कपैसिटी 6000 मेगावाट की है. सामान्य दिनों में यहां औसतन 3650 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है. ऊर्जा विभाग के अनुसार, एनटीपीसी को मिलाकर छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल के सभी संयंत्र के पास केवल 3 से 4 दिनों के कोयले का स्टॉक शेष है.

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