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सभी की निगाहें बिहार पर, गठबंधन टूटेगा या फिर सिर्फ दबाव की राजनीति - बिहार पर नजर

बिहार गठबंधन में जेडीयू और भाजपा के बीच एक बार फिर से खटास आई है और इस बार खुद पार्टी के नेता यह समझ नहीं पा रहे कि क्या यह दबाव की राजनीति है या नीतीश कुमार एक बार फिर पलटी मारने वाले हैं. बहरहाल जहां जेडीयू के सभी सांसदों को दिल्ली से पटना बुला लिया गया है, वहीं सूत्रों की माने तो बिहार के नेताओं को बीजेपी के आलाकमान ने दिल्ली में रहने की सलाह दी है. साथ ही पार्टी के नेताओं को जेडीयू या बिहार सरकार पर बयानबाजी करने पर भी रोक लगा दी गई है. क्या है इस बार का मामला 'ईटीवी भारत' की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की इस रिपोर्ट में जानते हैं.

bihar political crisis all eyes on tuesday meeting
नीतीश कुमार
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Published : Aug 8, 2022, 10:39 PM IST

नई दिल्ली : बिहार में सियासी घमासान के बीच सत्तारूढ़ जनता दल-यूनाइटेड, राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस, हम और वाम दलों सहित राज्य के अन्य राजनीतिक दलों के मंगलवार को अलग-अलग बैठकें बुलाने के मद्देनजर घटनाक्रम तेज हो गया है. 'ईटीवी भारत' ने जब बिहार की परिस्थितियों पर जनता दल यूनाइटेड के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी से बात की तो उन्होंने कहा कि फिलहाल वह कुछ भी बोलने में असमर्थ हैं कोई भी टिप्पणी वह मंगलवार 11:00 बजे की बैठक के बाद ही करेंगे. वहीं, भारतीय जनता पार्टी के कोटे से बने कुछ मंत्रियों से भी जब संपर्क साधा गया तो वह दिल्ली में तो मौजूद थे लेकिन किसी भी सवाल पर उन्होंने चुप्पी साध ली.

खास रिपोर्ट

सूत्रों की मानें तो पार्टी की तरफ से सभी नेताओं को गठबंधन पर कोई भी टिप्पणी करने से सख्त मना किया गया है. बहरहाल सभी की नजरें मंगलवार की सुबह बुलाई गई जेडीयू की बैठक पर है. जेडीयू के कुछ नेताओं ने नाम ना लेने की शर्त पर यह दावा किया कि इस बार जेडीयू किसी भी मुद्दे पर कंप्रोमाइज नहीं करेगी, भले ही सरकार में क्यों ना बड़ी फेरबदल करनी पड़े.

क्या नीतीश कुमार गठबंधन से रिश्ता तोड़ देंगे या फिर आरसीपी सिंह की वजह से एक बार फिर से यह भाजपा पर बनाई गई दबाव की राजनीति है. यह सवाल राजनीतिक हलकों में बार-बार उठाया जा रहा है. लेकिन खुद पार्टी के नेता इस बात को लेकर संशय में है कि बिहार की सरकार रहेगी या जाएगी. जेडीयू ने मंगलवार सुबह 11 बजे अपने नेताओं की बैठक बुलाई है. यही वजह है कि दिल्ली से भी सभी सांसदों को मंगलवार की बैठक में विधायकों के साथ पटना में मौजूद रहने के निर्देश दिए गए हैं. वहीं दूसरी तरफ यदि देखें तो भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने बिहार के तमाम नेताओं को जेडीयू पर कोई भी बयानबाजी करने से मना किया है.

फिलहाल बीजेपी आगे बढ़कर कोई भी कदम या ऐसे कोई बयान नहीं देना चाहती जिससे सरकार पर कोई संकट आए. साथ ही सूत्रों की मानें तो बीजेपी ने भी अपने तमाम कद्दावर नेताओं को दिल्ली तलब कर लिया है. मुख्य तौर पर शाहनवाज हुसैन, नितिन नवीन, रविशंकर प्रसाद, सतीश चंद्र दुबे सरीखे नेता दिल्ली में मौजूद हैं और पार्टी के साथ विचार मंथन में लगे हैं.

वैकल्पिक सरकार बनाने की तैयारी! : सूत्रों की मानें तो नीतीश कुमार आरजेडी, लेफ्ट फ्रंट और कांग्रेस के साथ मिलकर वैकल्पिक सरकार बनाने की तैयारी में भी जुट गए हैं और इसी पर मुहर लगाने के लिए या अपने पार्टी के नेताओं की राय जानने के लिए उन्होंने मंगलवार सुबह 11 बजे पटना में बैठक बुलाई है. एक तरफ जेडीयू बीजेपी पर जेडीयू को तोड़ने का भी आरोप लगा रही है क्योंकि हाल ही में केंद्र में रहे जदयू कोटे से मंत्री आरसीपी सिंह ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया. मगर इससे पहले केंद्र की सरकार ने भी उन्हें मंत्रिमंडल से हटा दिया था. बार-बार आरसीपी सिंह यह दावा कर रहे हैं कि पार्टी के कई विधायक उनके साथ हैं. इसी बात से खफा नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी के सभी पदों से बर्खास्त तो कर ही दिया साथ ही कांग्रेस और आरजेडी से संपर्क में भी आ गए. हालांकि गठबंधन में रहते हुए भी पिछले 1 साल से जिस तरह से बीजेपी और जेडीयू के बीच में टकराव चल रही है उसके बाद से ही गाहे-बगाहे यह सवाल खड़े किए जा रहे थे कि क्या नीतीश कुमार सरकार से अलग होकर विपक्षियों से हाथ मिला सकते हैं?

'जनता को देना होगा जवाब' : बीजेपी आलाकमान के निर्देश पर दिल्ली पहुंचे बिहार के एक नेता ने नाम ना लेने की शर्त पर कहा कि यदि नीतीश कुमार विरोधियों के साथ हाथ मिलाते हैं तो उन्हें जनता को जवाब देना होगा. उन्होंने कहा कि जहां तक उन्हें ऐसा लगता है कि दोनों ही पार्टियों के बीच सब कुछ ठीक हो जाएगा मगर जिस तरह जेडीयू के अलावा राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस ने भी अपने सभी विधायकों को पटना तलब कर लिया है उसे देखते हुए ऐसा लगता है कि महाराष्ट्र के बाद बिहार में भी बड़ी सियासी उठापटक देखने को मिल सकती है. यह उठापटक मात्र दबाव की राजनीति तक रहेगी या सत्ता परिवर्तन तक जाएगी यह बात मंगलवार की जेडीयू की बैठक के बाद बहुत हद तक साफ हो पाएगी. हालांकि कुछ नेता दबी जुबान में यह भी कह रहे हैं कि मंगलवार को बुलाई गई जेडीयू की बैठक आरसीपी सिंह प्रकरण को लेकर है. नीतीश कुमार आरसीपी सिंह के आरोपों के बाद पार्टी के विधायकों और सांसदों की राय जानना चाहते हैं.

पढ़ें- बिहार में टूट सकता है BJP और JDU का गठबंधन, नीतीश ने बुलाई विधायकों की बैठक

पढ़ें- बिहार में बड़े सियासी बदलाव के संकेत, CM नीतीश ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से फोन पर की बात

नई दिल्ली : बिहार में सियासी घमासान के बीच सत्तारूढ़ जनता दल-यूनाइटेड, राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस, हम और वाम दलों सहित राज्य के अन्य राजनीतिक दलों के मंगलवार को अलग-अलग बैठकें बुलाने के मद्देनजर घटनाक्रम तेज हो गया है. 'ईटीवी भारत' ने जब बिहार की परिस्थितियों पर जनता दल यूनाइटेड के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी से बात की तो उन्होंने कहा कि फिलहाल वह कुछ भी बोलने में असमर्थ हैं कोई भी टिप्पणी वह मंगलवार 11:00 बजे की बैठक के बाद ही करेंगे. वहीं, भारतीय जनता पार्टी के कोटे से बने कुछ मंत्रियों से भी जब संपर्क साधा गया तो वह दिल्ली में तो मौजूद थे लेकिन किसी भी सवाल पर उन्होंने चुप्पी साध ली.

खास रिपोर्ट

सूत्रों की मानें तो पार्टी की तरफ से सभी नेताओं को गठबंधन पर कोई भी टिप्पणी करने से सख्त मना किया गया है. बहरहाल सभी की नजरें मंगलवार की सुबह बुलाई गई जेडीयू की बैठक पर है. जेडीयू के कुछ नेताओं ने नाम ना लेने की शर्त पर यह दावा किया कि इस बार जेडीयू किसी भी मुद्दे पर कंप्रोमाइज नहीं करेगी, भले ही सरकार में क्यों ना बड़ी फेरबदल करनी पड़े.

क्या नीतीश कुमार गठबंधन से रिश्ता तोड़ देंगे या फिर आरसीपी सिंह की वजह से एक बार फिर से यह भाजपा पर बनाई गई दबाव की राजनीति है. यह सवाल राजनीतिक हलकों में बार-बार उठाया जा रहा है. लेकिन खुद पार्टी के नेता इस बात को लेकर संशय में है कि बिहार की सरकार रहेगी या जाएगी. जेडीयू ने मंगलवार सुबह 11 बजे अपने नेताओं की बैठक बुलाई है. यही वजह है कि दिल्ली से भी सभी सांसदों को मंगलवार की बैठक में विधायकों के साथ पटना में मौजूद रहने के निर्देश दिए गए हैं. वहीं दूसरी तरफ यदि देखें तो भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने बिहार के तमाम नेताओं को जेडीयू पर कोई भी बयानबाजी करने से मना किया है.

फिलहाल बीजेपी आगे बढ़कर कोई भी कदम या ऐसे कोई बयान नहीं देना चाहती जिससे सरकार पर कोई संकट आए. साथ ही सूत्रों की मानें तो बीजेपी ने भी अपने तमाम कद्दावर नेताओं को दिल्ली तलब कर लिया है. मुख्य तौर पर शाहनवाज हुसैन, नितिन नवीन, रविशंकर प्रसाद, सतीश चंद्र दुबे सरीखे नेता दिल्ली में मौजूद हैं और पार्टी के साथ विचार मंथन में लगे हैं.

वैकल्पिक सरकार बनाने की तैयारी! : सूत्रों की मानें तो नीतीश कुमार आरजेडी, लेफ्ट फ्रंट और कांग्रेस के साथ मिलकर वैकल्पिक सरकार बनाने की तैयारी में भी जुट गए हैं और इसी पर मुहर लगाने के लिए या अपने पार्टी के नेताओं की राय जानने के लिए उन्होंने मंगलवार सुबह 11 बजे पटना में बैठक बुलाई है. एक तरफ जेडीयू बीजेपी पर जेडीयू को तोड़ने का भी आरोप लगा रही है क्योंकि हाल ही में केंद्र में रहे जदयू कोटे से मंत्री आरसीपी सिंह ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया. मगर इससे पहले केंद्र की सरकार ने भी उन्हें मंत्रिमंडल से हटा दिया था. बार-बार आरसीपी सिंह यह दावा कर रहे हैं कि पार्टी के कई विधायक उनके साथ हैं. इसी बात से खफा नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी के सभी पदों से बर्खास्त तो कर ही दिया साथ ही कांग्रेस और आरजेडी से संपर्क में भी आ गए. हालांकि गठबंधन में रहते हुए भी पिछले 1 साल से जिस तरह से बीजेपी और जेडीयू के बीच में टकराव चल रही है उसके बाद से ही गाहे-बगाहे यह सवाल खड़े किए जा रहे थे कि क्या नीतीश कुमार सरकार से अलग होकर विपक्षियों से हाथ मिला सकते हैं?

'जनता को देना होगा जवाब' : बीजेपी आलाकमान के निर्देश पर दिल्ली पहुंचे बिहार के एक नेता ने नाम ना लेने की शर्त पर कहा कि यदि नीतीश कुमार विरोधियों के साथ हाथ मिलाते हैं तो उन्हें जनता को जवाब देना होगा. उन्होंने कहा कि जहां तक उन्हें ऐसा लगता है कि दोनों ही पार्टियों के बीच सब कुछ ठीक हो जाएगा मगर जिस तरह जेडीयू के अलावा राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस ने भी अपने सभी विधायकों को पटना तलब कर लिया है उसे देखते हुए ऐसा लगता है कि महाराष्ट्र के बाद बिहार में भी बड़ी सियासी उठापटक देखने को मिल सकती है. यह उठापटक मात्र दबाव की राजनीति तक रहेगी या सत्ता परिवर्तन तक जाएगी यह बात मंगलवार की जेडीयू की बैठक के बाद बहुत हद तक साफ हो पाएगी. हालांकि कुछ नेता दबी जुबान में यह भी कह रहे हैं कि मंगलवार को बुलाई गई जेडीयू की बैठक आरसीपी सिंह प्रकरण को लेकर है. नीतीश कुमार आरसीपी सिंह के आरोपों के बाद पार्टी के विधायकों और सांसदों की राय जानना चाहते हैं.

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