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भारत के मार्स ऑर्बिटर यान की बैटरी और ईंधन खत्म, 8 साल तक किया काम - Discovery and exploration of the Solar System

भारत के मार्स ऑर्बिटर यान की बैटरी और ईंधन खत्म हो गए हैं. 6 महीने की क्षमता के लिए बनाया गया मंगलयान 8 साल तक चला. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने 5 नंवबर 2013 को इस प्रक्षेपित किया था.

Mars Orbiter Vehicle
मार्स ऑर्बिटर यान
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Published : Oct 2, 2022, 8:48 PM IST

बेंगलुरुः भारत के मंगलयान में प्रणोदक खत्म हो गया है और इसकी बैटरी एक सुरक्षित सीमा से अधिक समय तक चलने के बाद खत्म हो गई है, जिससे ये अटकलें तेज हो गई हैं कि देश के पहले अंतर्ग्रहीय मिशन ने आखिरकार अपनी लंबी पारी पूरी कर ली है. साढ़े चार सौ करोड़ रुपये की लागत वाला 'मार्स ऑर्बिटर मिशन' (Mars Orbiter Vehicle) 5 नवंबर, 2013 को पीएसएलवी-सी 25 से प्रक्षेपित किया गया था और वैज्ञानिकों ने इस अंतरिक्ष यान को पहले ही प्रयास में 24 सितंबर, 2014 को सफलतापूर्वक मंगल की कक्षा में स्थापित कर दिया था.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organization) के सूत्रों ने कहा, 'अब, मंगलयान में कोई ईंधन नहीं बचा है. उपग्रह की बैटरी खत्म हो गई है और संपर्क टूट गया है. हालांकि इसरो (ISRO) की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. इसरो पहले एक आसन्न ग्रहण से बचने के लिए यान को एक नयी कक्षा में ले जाने का प्रयास कर रहा था. अधिकारियों ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा, 'लेकिन हाल ही में एक के बाद एक ग्रहण लगा, जिनमें से एक ग्रहण तो साढ़े सात घंटे तक चला. वहीं, एक अन्य अधिकारी ने कहा, 'चूंकि उपग्रह बैटरी को केवल एक घंटे और 40 मिनट की ग्रहण अवधि के हिसाब से डिज़ाइन किया गया था, इसलिए एक लंबा ग्रहण लग जाने से बैटरी लगभग समाप्त हो गई.

इसे भी पढ़ें- इसरो के वैज्ञानिक अनिल कुमार बने इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉटिकल फेडरेशन के उपाध्यक्ष

इसरो के अधिकारियों ने कहा कि मार्स ऑर्बिटर यान ने लगभग आठ वर्षों तक काम किया, जबकि इसे छह महीने की क्षमता के अनुरूप बनाया गया था. उन्होंने कहा, 'इसने अपना काम बखूबी किया और महत्वपूर्ण वैज्ञानिक परिणाम प्राप्त किए.

(पीटीआई-भाषा)

बेंगलुरुः भारत के मंगलयान में प्रणोदक खत्म हो गया है और इसकी बैटरी एक सुरक्षित सीमा से अधिक समय तक चलने के बाद खत्म हो गई है, जिससे ये अटकलें तेज हो गई हैं कि देश के पहले अंतर्ग्रहीय मिशन ने आखिरकार अपनी लंबी पारी पूरी कर ली है. साढ़े चार सौ करोड़ रुपये की लागत वाला 'मार्स ऑर्बिटर मिशन' (Mars Orbiter Vehicle) 5 नवंबर, 2013 को पीएसएलवी-सी 25 से प्रक्षेपित किया गया था और वैज्ञानिकों ने इस अंतरिक्ष यान को पहले ही प्रयास में 24 सितंबर, 2014 को सफलतापूर्वक मंगल की कक्षा में स्थापित कर दिया था.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organization) के सूत्रों ने कहा, 'अब, मंगलयान में कोई ईंधन नहीं बचा है. उपग्रह की बैटरी खत्म हो गई है और संपर्क टूट गया है. हालांकि इसरो (ISRO) की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. इसरो पहले एक आसन्न ग्रहण से बचने के लिए यान को एक नयी कक्षा में ले जाने का प्रयास कर रहा था. अधिकारियों ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा, 'लेकिन हाल ही में एक के बाद एक ग्रहण लगा, जिनमें से एक ग्रहण तो साढ़े सात घंटे तक चला. वहीं, एक अन्य अधिकारी ने कहा, 'चूंकि उपग्रह बैटरी को केवल एक घंटे और 40 मिनट की ग्रहण अवधि के हिसाब से डिज़ाइन किया गया था, इसलिए एक लंबा ग्रहण लग जाने से बैटरी लगभग समाप्त हो गई.

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इसरो के अधिकारियों ने कहा कि मार्स ऑर्बिटर यान ने लगभग आठ वर्षों तक काम किया, जबकि इसे छह महीने की क्षमता के अनुरूप बनाया गया था. उन्होंने कहा, 'इसने अपना काम बखूबी किया और महत्वपूर्ण वैज्ञानिक परिणाम प्राप्त किए.

(पीटीआई-भाषा)

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