आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति की वजह से साल 2003 से दुनिया भर में आत्महत्याओं को रोकने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने प्रतिवर्ष 'विश्व आत्महत्या निवारण दिवस' (World Suicide Prevention Day) मनाने की शुरुआत की. दुनिया में हर चार सेकंड में एक व्यक्ति आत्महत्या कर लेता है. पूरे विश्व में इस कार्यक्रम की शुरुआत की प्रमुख वजह यह थी कि विश्व में तेजी से बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति पर रोक लगाया जा सके. खुदकुशी की रोकथाम की जा सकती है, अगर शुरुआती स्तर पर डिप्रेशन की पहचान कर ली जाए, साथ ही असहाय शख्स को जरूरी मानसिक परामर्श मुहैया करा दिया जाए. WSPD 10 September .
इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने विश्व आत्महत्या निवारण दिवस के लिए नया नारा दिया है. कार्यवाही के द्वारा आशा जगाना. (WSPD 2022 theme Creating hope through action) दरअसल आत्महत्याओं को रोकने के लिए कारगर कदम लगातार उठाए जा रहे हैं. उन्हीं में से एक खास दिन है 10 सितंबर को विश्व भर में World Suicide Prevention Day के रूप में मनाया जाना. क्या यह आगे चलकर एक दिन वाकई सुसाइड के प्रतिशत को शून्य कर पाएगा, इसे लेकर हर जगह मंथन चल रहा है.
आखिर क्यों आता है मन मे आत्महत्या का ख्याल : रांची रिनपास के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉक्टर सिद्धार्थ सिन्हा (Dr Siddhartha Sinha Psychiatrist Rinpas Ranchi) के अनुसार सुसाइड या आत्महत्या का ख्याल किसी व्यक्ति में अचानक नहीं आता है. जब व्यक्ति बहुत परेशान होता है या बहुत निराश रहता है, तो उसके आसपास मौजूद लोगों की जिम्मेदारी होती है, वो उसको इमोशनल, मेंटल या फिजिकल जैसी जरूरत हो, सपोर्ट करें. ताकि व्यक्ति खुद को अकेला न महसूस करे. विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर वरिष्ठ मनोचिकित्सक Dr Siddhartha Sinha लोगों से अपील करते हैं कि जीवन में निराशा या परेशानी आने पर दोस्तों या परिजनों से बात करें और समस्या को सुलझाने का प्रयास करें.
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आत्महत्या करने वालों में भारत का 43वां स्थान
77% आत्महत्या निम्न व मध्यम आय वाले देशों में घटित होता है. दुनिया में हर 40 सेकेंड पर एक व्यक्ति की मौत आत्महत्या से होती है. आत्महत्या करने वाले व्यक्तियों के संख्या के आधार पर विश्व में भारत का 43वां स्थान है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विगत वर्ष में लगभग 10 लाख लोगों की मौत आत्महत्या के कारण हुई है. विश्व में होने वाले कुल आत्महत्या में से 21% आत्महत्या भारत में होती है.
प्रतिवर्ष 36 फीसदी महिलाएं करती हैं आत्महत्या
डॉक्टर मनोज तिवारी बताते हैं कि एक पत्रिका के अनुसार विश्व की कुल 18% महिलाएं भारत में रहती हैं. जबकि विश्व में महिलाओं द्वारा किए जाने वाले कुल आत्महत्या में भारतीय महिलाओं की हिस्सेदारी 36% है, जिसके पीछे घरेलू हिंसा एक बड़ा कारण होता है. आत्महत्या करने वालों में 7.4% किसान होते हैं. रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर 4 मिनट में एक आत्महत्या होती है.
उदाहरण से समझें : NCRB के आंकड़े के अनुसार झारखंड में साल 2021 में 1825 लोगों ने आत्महत्या की है, हालांकि 2020 में ये आंकड़ा 2200 के करीब था. आंकड़े बताते हैं कि सबसे ज्यादा लोग अपने वैवाहिक जीवन से परेशान होकर जान देते हैं. झारखंड में सबसे ज्यादा शादी से संबंधित समस्या को लेकर 240, शादी के बाद लड़ाई झगड़ा के कारण 60, दहेज को लेकर 43, शादी के बाद अवैध संबंध को लेकर 90, शादी के बाद तलाक को लेकर 47, बांझपन और नपुंसकता के वजह से 15, परीक्षा में फेल होने पर 168, परिवारिक कलह होने पर 173 लोगों ने आत्महत्या की थी. बीमारी आत्महत्या की एक बड़ी वजह मानी जाती है. झारखंड में बीमारी, मानसिक बीमारी और नशे की लत के कारण 569 लोगों ने आत्महत्या की है. इसके अलावा सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल होने पर 37, संपत्ति विवाद में 63, भविष्य की चिंता को लेकर 64, हाउस वाइफ 162, प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करने वाले 201 और सरकारी नौकरी करने वाले 9 लोगों ने आत्महत्या की है.
प्रेम सबंध में 389 लोगों ने दी जान : इसी प्रकार झारखंड में आत्महत्या के आंकड़ों में बढ़ोतरी के पीछे एक प्रमुख बड़ी वजह प्रेम प्रसंग रहा है. प्यार मोहब्बत में धोखा खाने के बाद 389 लोगों ने साल 2021 में जान दे दी. हैरानी की बात यह है कि प्यार में जान देने वाले लोगों में पुरुषों की संख्या ज्यादा थी.
आंकड़ों से लेना होगा सबक : रांची, रिनपास (Rinpas Ranchi) के वरिष्ठ मनो चिकित्सक डॉक्टर सिद्धार्थ सिन्हा (Psychiatrist Dr. Siddhartha Sinha Rinpas) ने वर्ल्ड सुसाइड प्रीवेंशन डे को लेकर ईटीवी भारत से विस्तार से बातचीत की डॉक्टर सिद्धार्थ के अनुसार अगर आत्महत्या रोकना है तो स्कूल कॉलेजों और परिवार तक हर कदम पर काउंसलिंग करनी होगी. हमें आत्महत्याओं की जड़ में बैठे वजहों के बारे में चर्चा करनी होगी. आत्महत्या की दीवारों को सामने लाने और इसके रोकथाम में मीडिया की भी अहम भूमिका है. वर्ल्ड सुसाइड प्रीवेंशन डे 2022 में भी लोगों को सुसाइड से बचाने के लिए एक प्रयास की तरह देखा जा रहा है. इस बार वर्ल्ड सुसाइड प्रवेश अंडे का थीम क्रिएटिंग होप थ्रू एक्सन है. यानी आप अपने बीच काम करने वाले लोगों के उम्मीदों को जगाए रखें उनमें उम्मीद पैदा करें. डॉक्टर सिद्धार्थ सिन्हा के अनुसार इस थीम के जरिए हम आत्महत्या का विचार रखने वाले लोगों को ये संदेश देना चाहता है कि उन्हें उम्मीद नहीं छोड़नी है. हर छोटी-बड़ी जैसी भी संभव हो, मदद के जरिए ऐसे व्यक्ति के जीवन में थोड़ी उम्मीद भर सकें इसका प्रयास जारी है.
आत्महत्या का विचार रखने वाले व्यक्तियों के लक्षण
- बार-बार मरने की इच्छा व्यक्त करना (वास्तव में व्यक्ति आत्महत्या करने से पूर्व अपने परिवार, दोस्त व परिचितों से इसके बारे में चर्चा करता है ताकि लोग उसकी सहायता करें)
- निराशावादी सोच प्रकट करना (कहना कि मैं जी कर क्या करूंगा, मेरे जीवन का कोई उद्देश्य नहीं है.)
- उच्च स्तर का दोष भाव व्यक्त करना
- असहाय महसूस करना
- अपने को मूल्यहीन समझना
- जोखिम पूर्ण व्यवहार करना
- अचानक से व्यवहार एवं दिनचर्या में परिवर्तन होना
- नशे का बहुत अधिक उपयोग करना
- अपने पसंदीदा कार्यों में भी अरुचि दिखाना
- परिवार व मित्रों से दूरी बना लेना
- स्वयं को समाप्त करने का अवसर एवं साधन तलाश करना
आत्महत्या निवारण के उपाय - लोगों से जुड़े रहें क्योंकि अकेलापन आत्महत्या के लिए एक बड़ा जोखिम कारक है.
- अपने उत्साह को बनाए रखें.
- स्वास्थ संबंधी समस्या होने पर उपचार कराएं
- अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें
- मन में आत्महत्या का विचार आने पर प्रशिक्षित एवं अनुभवी मनोवैज्ञानिक से परामर्श लें
- धैर्य बनाए रखें
- सकारात्मक सोच रखें
- उन स्थितियों पर ध्यान दें जो आपके नियंत्रण नियंत्रण में हो
- अपने रुचियां व शौक को भी पर्याप्त समय एवं महत्व प्रदान करें
- स्वस्थ मनोरंजन करें
- परिवार के साथ गुणवत्तापूर्ण समय व्यतीत करें
- बच्चों के साथ खेलें
- अपने सृजनात्मक क्षमताओं का विकास करें
- अपने को स्वयं प्रेरित करें
- जीवन के अच्छे दिनों एवं घटनाओं का स्मरण करें
- हंसी मजाक करने वाले व्यक्तियों के साथ समय व्यतीत करें
- कॉमेडी फिल्में देखें
- चुटकुले पढ़ें
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